टाॅफी की दीवानी दादी
रोजाना 80 टाॅफियां खाने की लत
बच्चों की टाॅफी के लिए दीवानगी के किस्से तो दुनिया में मशहुर है...लेकिन अगर कोई 100 साल वृद्ध महिला टाॅफी की दिवानी हो जाए तो इसे क्या कहेंगे। जी हां हैरतअंगेज मगर सौ फीसदी सच....ये घटना है लौह नगरी, जमशेदपुर की जहां की कस्तुरी बाई पर दीवानगी के हद तक टाॅफियां खाने का भूत सवार है।
चाॅक्लेट-आईसक्रीम मेरी सहेलियां पहले से अब मेरे शौक है कहां, ये गाना शायद आज भी लोगों को याद होगा पर और सच भी है कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों की पसंद में भी बदलाव होता है....लेकिन लौह नगरी की कस्तुरी बाई ने मानों उम्र के साथ पसंद में वाले इस गाने को भी झुठा साबित कर दिया है। काहे की 100 साल की उम्र में उन्हें लग गई है रोजाना 80 टाॅफियां खाने की लत
हालाaकि शुरूआत में उनकी खुराक काफी कम थी, पर पिछले कुछ दिनों से इनकी खुराक में काफी इजाफा हुआ है। अब वो रोजाना सैकड़े के बहुत करीब पहुंच जाती हैं और वो भी बिना दांतो के , पर इसके लिए भी उन्होंने एक आसान सा रास्ता भी निकाल लिया है। चलने-फिरने में लाचार कस्तुरी बाई बिस्तर पर बैठे-बैठे एक हीं ब्रांड विशेष की मुलायम सी टाॅफियों को अपने पोपले मुंह में गटक जाती हैं कुछ इस तरह ...खुदे देखिए न...कइसे टाॅफी खाते हुए मनोहारी मुस्कुराहट बिखेरते हुए अपनी लड़खड़ाती आवाज में कह रही हैं कि इसे खाने में बहुत मजा आता है।
इस उम्र में इतनी टाॅफियां खाने के बावजूद इसे कुदरत का करिश्मा हीं कहेंगे कि उन्हें इससे कोई तकलीफ नहीं,न हीं इन्हें मधुमेह है और न हीं कोई और बिमारी। लेकिन इनकी टाॅफी खाने की बिमारी ने घर के लोगों को परेशान कर रखा है...कैसे अरे भई वो ऐसे कि एक तो इससे महीने का बजट तो बिगड़ता है हीं साथ-साथ इज्जत पर भी पड़ने लगता है जब वो घर आए हुए मेहमानों से टाॅफी की मांग करती हैं और न देने पर हंगामा करने लगती हैं।
लोगों के शौक और आदतों के बारे में तो बहुत कुछ सुना और देखा होगा पर इस उम्र में ऐसी आदत के बारे में क्या किसी ने सोचा होगा। सचमुच ये तो एक नायाब शौक है जो बच्चे और बुढ़ों को एक कहने वाली बात को बदस्तुर सच कर रही है।
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