आत्महत्या और घरेलू हिंसा
आत्महत्या जिसे लोग गुनाह का दर्जा देते हैं, लेकिन सच तो यह है कि आत्महत्या स्वयं के प्रति एक कठोर निर्णय है। जिसके लिए शायद कहीं न कहीं समाज भी जिम्मेवार है। समाज में तेजी से बढ़ रहे आत्महत्या को देखते हुए आंगनबाड़ी सेविकाओं और महिला हेल्प लाईन ने संयुक्त रुप से इसके जड़ पर प्रहार करने की एक अनोखी पहल की है।
किशनगंज में आत्महत्या की बढ़ती हुई तादात को देखते हुए आंगनबाड़ी सेविकाओं और महिला हेल्प लाइन ने संयुक्त रुप से मिलकर आत्म हत्या के जड़ पर प्रहार करने की ठान ली है।जिसके तहत आंगनबाड़ी सेविकाएं ऐसी घटनाओं को लिखित रुप से महिला हेल्प लाइन तक पहुंचाएंगी और फिर हेल्पलाइन इस पर कारवाई करेगी। ऐसा करने से इस तरह की घटनाओं पर कुछ हद तक अंकुश जरुर लगाया जा सकता है।
इसके अलावा समाज में महिलाओं की दशा को लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी-अजहरुद्दीन ने हेल्प लाइन के अधिवक्ता के साथ बैठक की जिसमें सभी प्रखंडों के सी.डी.पी.ओ. भी मौजूद थे। इस बैठक में आत्म हत्या के रोकथाम के लिए घरेलू हिंसा सहित विभिन्न पहलूओं पर विचार किया गया।
अब महिला हेल्पलाइन आत्म-हत्या के अलावा 15 से 50 वर्ष तक मौत या संदिग्ध मौत पर कड़ी नजर के साथ-साथ हत्या के संभावित कारणों जैसे अज्ञानता , घरेलू हिंसा ,गरीबी , आदि का निवारण भी कराएगी।जिसमें जिले में सेविकाओं की बड़ी फौज का होना है ,मानो हेल्पलाइन के लिए वरदान साबित साबित होगा।
बात चाहे जो भी हो , लेकिन सच्चाई तो यही है कि समाज में आत्महत्या की बढ़ती हुई घटनाएं चिंतनीय मुद्दा जरुर है ,ऐसे में इस तरह के पहल से महिलाओं की दशा में सुधार होने की संभावनाएं जरुर दिखने लगी है। अभी ये तो आगाज है, पर इसका अंजाम कैसा होगा ? ये तो आने वाला वक्त हीं बताएगा।
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