बारूद के धुओं के बीच महकी फूलीें की खुषबू
आईए अब बात करते हंै मसौढ़ी से 10 से 12 किलोमीटर दूरी पर बसे भगवान गंज क्षेत्र की। ये वो इलाका है जिसके नाम को सुनकर कभी लोग कांप जाया करते थे और आज आलम ये है कि उस क्षेत्र पर खुशहाली की फसल लहलहा रही है। कहते हंै समय के साथ सब कुछ बदल जाता है । वही मसौढ़ी का भगवानगंज क्षेत्र जो कभी गोलियों और बमों के धमाके के लिए कुख्यात था।.इस जगह के नाम से आम आदमी तो क्या पुलिस प्रसाशन भी कांप उठता था...यहां के लोग हमेशा दहशत के साए में जीते थे क्योंकि उनको इस बात का डर था कि किसी भी गोली पर उनका नाम लिखा हो सकता है। वहां के लोग गुलामों की जिंदगी बिता रहे थे। बारूद के धुएं में अपने पहचान को तलाशने वाले उग्रवाद प्रभावित इस क्षेत्र में आज सब कुछ बदल बदला सा नजर आ रहा है। आज यहां पर फूलों की खेती की जा रहा है । रंग बिरेगे और खूबसूरत फूलों की वजह से यहां के लोगों में जीने की आस पैदा हुई है। समय के साथ बदलाव ने इस क्षेत्र में भी परिवर्तन ला दिया।.फूलों का पौधा इस जगह के परिवर्तन का संदेश दे रहा है।. आज इस क्षेत्र के लोगों को ये बात समझ में आ गई है कि सभी बातों का हल हिंसा नहीं है।
-----मानुषी दीपक
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