Wednesday, May 13, 2009

बारूद के धुओं के बीच महकी फूलीें की खुषबू
आईए अब बात करते हंै मसौढ़ी से 10 से 12 किलोमीटर दूरी पर बसे भगवान गंज क्षेत्र की। ये वो इलाका है जिसके नाम को सुनकर कभी लोग कांप जाया करते थे और आज आलम ये है कि उस क्षेत्र पर खुशहाली की फसल लहलहा रही है। कहते हंै समय के साथ सब कुछ बदल जाता है । वही मसौढ़ी का भगवानगंज क्षेत्र जो कभी गोलियों और बमों के धमाके के लिए कुख्यात था।.इस जगह के नाम से आम आदमी तो क्या पुलिस प्रसाशन भी कांप उठता था...यहां के लोग हमेशा दहशत के साए में जीते थे क्योंकि उनको इस बात का डर था कि किसी भी गोली पर उनका नाम लिखा हो सकता है। वहां के लोग गुलामों की जिंदगी बिता रहे थे। बारूद के धुएं में अपने पहचान को तलाशने वाले उग्रवाद प्रभावित इस क्षेत्र में आज सब कुछ बदल बदला सा नजर आ रहा है। आज यहां पर फूलों की खेती की जा रहा है । रंग बिरेगे और खूबसूरत फूलों की वजह से यहां के लोगों में जीने की आस पैदा हुई है। समय के साथ बदलाव ने इस क्षेत्र में भी परिवर्तन ला दिया।.फूलों का पौधा इस जगह के परिवर्तन का संदेश दे रहा है।. आज इस क्षेत्र के लोगों को ये बात समझ में आ गई है कि सभी बातों का हल हिंसा नहीं है।
-----मानुषी दीपक

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....