नेपाली पत्थरों की तस्करी
नेपाल से तस्करी के पत्थरों से हो रहा है पश्चिमी चंपारण का विकास। विभागीय अधिकारी भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। इसके बाद भी इस पर रोक लगाने की कोई पहल नहीं की जा रही है।
ये हालात है पश्चिमी चंपारण जिले का बेतिया। ईहां चालू वित्तीय वर्ष में जिले के विभिन्न प्रखंडों में नगर निकाय क्षेत्रों में करीब 50 करोड़ के वैसे कार्यों को स्वीकृति मिली है। जिसमें से करीब 10 करोड़ के पत्थरों को पीसीसी या छत्त के कामों में लगाया जाना है। कुछ कार्यों के प्राक्कलन में पाकुड़ या शेखपुरा स्टोन की व्यवस्था की गई है। वहीं ज्यादातर में बीटीस्टोन हीं लिखा गया है। जो प्राक्कलन संवेदको के लिए कठिनाई पैदा कर रहा है। ऐसा नहीं कि विभागीय अभियंता इस बात को नहीं जानते। वहीं दूसरी तरफ भिखनाठोरी स्टोन वाले प्राक्कलन में शेखपुरा या पाकुड़ के पत्थर को लगाना घाटे का काम हो जाएगा।
भीखनाठोरी क्षेत्र को वन विभाग ने वन्य आश्रय क्षेत्र घोषित कर दिया है। इसको लेकर इस एरिया के खनन पर रोक लगा दी गई है। जिससे नेपाली पत्थरों के तस्करों को काफी बल मिल रहा है। नेपाल से बिना किसी टैक्स भुगतान किए उपरी चढ़ावा की बदौलत बेतिया तक पहुंचाए गए पत्थरों को सरकारी कार्यों में लगाया जा रहा है।
बात चाहें जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि नेपाली पत्थरों से खुलेआम काम किया जा रहा है। इससे तस्करों को जहां बल मिल रहा है। वहीं इसके बढ़ावा के लिए आला अफसर भी कोई कम दोषी नहीं।
मंत्री जी के नुस्खे
जब से निगरानी ने नेताओं की अथाह संपत्ति पर पैनी नजर रखनी शुरू की है तब से नेता माल ठिकाने लगाने की जुगत में जुट गये हैं। झारखंड के नेता एनोस एक्का और हरिनारायण खुद को निगरानी की तलवार से बचाने के लिये कुछ अलग ही नुस्खा अपना रहे हैं।
इस दान को देखकर आप ये कयास लगा रहे होंगे कि जरूर ये किसी पुण्य के लिये हो रहा है। पर इस गफलत में आप ना ही रहे तो बेहतर होगा। दरअसल ऐषो-आराम की ये चीजें किसी पुण्य के लिये नही बल्कि अपने पापों को छिपाने के लिये दान के तौर पर दी जा रही है। इस बार अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोषिष कर रहे हैं झारखंड के मंत्री एनोस एक्का और हरिनारायण। जिनकी गाढ़ी कमाई पर जब से निगरानी विभाग की नजर टेढी हुई है ये अपनी गर्दन बचाने के लिये हर तरह का नुस्खा इस्तेमाल कर रहे हैं।
कहा जाता है अमीरों के घरों में लगी ईटें भी महंगी होती है। किसी मंत्री के घर में रखी वस्तुओं की चमक कितनी लाजवाब होती है ये कौन नही जानता ? जिस कमाई की बदौलत मंत्री जी ने नायाब सामानों से अपने घर को स्वर्ग जैसा सजाया था उसपर निगरानी की नजर लग गई है और आज मंत्री जी उन्हे सस्ते दामों पर बेच रहे हैं। भाई कम दाम में मोती मिले तो कोई कैसे छोड़ दे। जनता भी इन कीमती सामानों को पाकर काफी खुष है।
निगरानी के चंगुल में फसे ये दोनो मंत्री खुद को बेगुनाह साबित करने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। पर मंत्री जी जरा ये भी तो बतलाईये कि, अगर आप के पास काली कमाई नही है तो फिर ये दान का स्वांग रचने का क्या मतलब है ?
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