निबंधन पर खतरा
गलती है सरकार की और भुगतना पड़ सकता है मेडिकल कालेज के तीन प्राचार्यों को। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान,पावापुरी ,सरकारी मेडिकल कालेज ,बेतिया और मधेपुरा मेडिकल कालेज के प्राचार्यों से सवाल किया है कि वे प्रभार में ये पद कैसे संभाल सकते हैं। उन्हें चेतावनी दी गई है कि इसके लिए उनका निबंध रद्द किया जा सकता है।
धोकरी में पैसा नहीं,सराय में डेरा। मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सीट बढ़ाने और तीन नये मेडिकल कालेज खोलने के मामले में बिहार सरकार का यही रवैया है। पढ़ाई के लिए न पूरे उपयुक्त टीचर हैं न संसाधन,फिर भी सरकार पहले से चल रहे मेडिकल कालेजों में छात्रों की सीट बढ़ाने पर अमादा है। पीएचसी के डाक्टरों को मेडिकल कालेजों में जैसे-तैसे बहाल कर सरकार ने एमसीआई को सुतुष्ट करना चाहा लेकिन कामयाबी नहीं मिली। एमसीआई ने इसे नामंजूर कर दिया है।
इसरी तरह जोगाड़ व्यवस्था के तहत तीन नये मेडिकल कालेजो में प्रभारी प्राचार्य नियुक्त कर दिये गये। पीएमसीएच के सर्जरी विभाग के प्राफेसर डा. आरपी सिंह को पावापुरी मेडिकल कालेज, मुजफ्फरपुर मेडिकल कालेज के प्राचार्य को बेतिया और भागलपुर मेडिकल कालेज के प्राचार्य को मधेपुरा मेडिकल कालेज का प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया है। एमसीआई ने इनसे पूछा है कि येे किस तरह दो दायित्वों को निभा सकते हैं। इस गलती के लिए उनके निबंधन पर गाज गिर सकता है। एमसीआई की इस चेतावनी से सरकार के होश उड़ गये हैं।
एमसीआई ने अपने निरीक्षण में जो खामियां पायी हैं उससे सरकार की उममीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा
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