Monday, December 28, 2009

Happy New Year-2010

नया साल लेकर
आएजीवन में बहार आपके.
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खुशीयों से भरा-पूरा,
जीवन में हो उल्लास आपके.
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हर कदम पर पूरे हो
जीवन के हर ख्वाब आपके.
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हर दिन जगमगाते रहे सितारे
खुशीयों को लगे पंख आपके.
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ईश्वर से है मेरी प्रार्थना
नव वर्ष में खुशीयों से
दामन भर दें आपके.....
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नव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित.....
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-मुरली मनोहर श्रीवास्तव,

बाबू मोसाय...ये दुनिया एक रंगमंच है....

...जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मोकाम वो फिर नहीं आते.........
.........और हम सब की डोर उपर वाले की हाथ में है....वो जब चाहे....जैसे चाहे नचा सकता है......यह डायलॉग आज भी लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई है......और हो भी क्यो नहीं...सच्चाई से रुबरु कराती है.....राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के इस जीवंत भूमिका ने फिल्म जगत में इतिहास रच दिया.......राजेश आज जिन्दगी के इस पड़ाव पर भी
अपने रूमानी अंदाज, जीवंत अभिनय और कामयाब फिल्मों के बूते करीब डेढ़ दशक तक सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज करते रहे......राजेश खन्ना के रूप में हिन्दी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था।29 दिसम्बर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। उनका अभिनय का शुरुआती अच्छा नहीं रहा.....बाद में इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती है।परिवार से खिलाफत कर बतौर एक्टर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 वर्ष की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा में कदम रखा। बाद में बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आईं मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वे युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वे हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशंसकों के दिलोदिमाग पर छा गए।आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा-झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया।वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेहँदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिये उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा।भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इनसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया।राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिए वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया।वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई। उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा-रानी और आविष्कार में जोड़ी बनाई जबकि दो रास्ते, बंधन, सच्चा-झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई।संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिन्दी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से विवाह किया और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। हालाँकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया।करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे।वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई वफा के साथ उनका सफर अब भी जारी है।...सदी के ऐसे बहुत कम ही अभिनेता हुए जिनके नाम आज भी है......और उनके जन्म दिन पर लॉट आफ कॉन्ग्राचुलेशन डीयर राजेश.....
.......घुंधरु की तरह बजता ही रहा हूं मै.......
प्रस्तुति--सिमरन

Tuesday, December 15, 2009

बिहार में उद्दोगों की तादाद............

बिहार में बिजली का उत्पादन बढ़ेगा... उद्दोगों की तादाद भी बढ़ेगीरोजी-रोटी के लिए लोगों को परदेश नहीं जाना होगा......लोग यहीं कमाएंगे और ऐसे पार्कों में अपना मन बहलाएंगे.........बिहार में तेज हो रही है विकास की रफ्तार... यकीन नही होता तो जान लीजिए कि जिस तेजी के साथ बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े संस्थान खुल रहे हैं... उसी रफ्तार से अब यहां इंडस्ट्री लागाने का काम भी शुरु हो चुका है... राज्य में कई तरह की इंडस्ट्री लगाने के लिए... सरकार की तरफ से पटना में ही साढ़े पांच हजार एकड़ जमीन.. के अधिग्रहण की प्रक्रिया... करीब-करीब पुरी हो चुकी है...

स्थान- बाढ़
परियोजना- एनटीपीसी पावर प्लांट
3111.22 एकड़ जमीन का अधिग्रहणबाढ़ में एनटीपीसी पावर प्लांट की स्थापना के लिए सरकार ने तीन हजार एक सौ एगारह एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया है...
साथ ही पावर ग्रिड सब स्टेशन के लिए 43.33 एकड़, और राज्य विद्युत बोर्ड के विस्तार के लिए 30.68 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है... अगर ये परियोजनाएं पूरी हो जाती है... तो न सिर्फ हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि बिजली की समस्या से भी बिहार को निजात मिलेगी।

स्थान- बिहटा
परियोजना- मेगा औद्योगिक पार्क और औद्योगिक क्षेत्र

औद्योगिक क्षेत्र के लिए 99.12 एकड़ जमीन का अधिग्रहण
मेगा औद्योगिक पार्क के लिए 1810.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण
बिहटा में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए जहां सरकार ने 99.12 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है वहीं मेगा औद्दोगिक पार्क के लिए 1810.60 जमीन का अधिग्रहण किया गया है... जिसके बाद यहां पर तरह-तरह के उद्योग और शिक्षण संस्थान खोलने का काम भी शुरु हो चुका है...

स्थान- नौबतपुर
परियोजना- चीनी मिल
96.71 एकड़ जमीन का अधिग्रहण

वहीं नौबतपुर के कोपा में चीनी मिल लगाने के लिए 96.71 जमीन का अधिग्रहण किया गया है, साथ ही सरकार ने मनेर शरीफ को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए भी 35.64 एकड़ जमीन अधिग्रहित की है


लोगों को अब कूड़े-कचरे से भी निजात मिलेगी, क्योंकि कूड़े-कचरे से बिजली और खाद बनाने का इंतजाम भी किया जा रहा है... इसके तहत बैरिया में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भी 60.73 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है... साथ ही बेघर लोगों के लिए झुग्गी झोपड़ी बनाने के लिए फतेहपुर में 12.62 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है... औऱ सबसे बड़ी बात तो ये कि अब इलाज के लिए भी लोगों को दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली जैसा एम्स पटना के भुसुल्ला इलाके में बनने वाला है... इसके लिए भी सरकार ने 29.31 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रकिया पूरी कर ली है। इ सब जानकर तो हर कोई यही कहेगा कि बिहार बदल रहा है... लेकिन बदलाव के इस बयार में आपको भी ईमानदारी से अपनी पूरी ताकत झोंकनी होगी... ताकि बिहार जल्द से जल्द देश का नंबर वन स्टेट बन सके।
गरीबी से जुड़ी तेंदुलकर रिपोर्ट...

बिहार तरक्की कर रहा है ........यहां गरीबी कम हो रही है ..............रोजगार के अवसर बढ़ रहे है.. और हम कई राज्यों को पीछे छोड़ते जा रहे है... ऐसा हम नहीं कह रहे... बल्कि कह रही है... गरीबी से जुड़ी सुरेश तेंदुलकर कमेटी कि वो रिपोर्ट... जिसके मुताबिक बिहार अब देश का दूसरा गरीब राज्य है ना कि पहला...
प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च के आधार पर.... गरीबी का आकलन करनेवाली... कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल 37.2 पर्सेंट लोग.. अब भी गरीबी रेखा के नीचे हैं... रिपोर्ट में अलग अलग मानक पर शहरी और ग्रामीण गरीबों की जो तस्वीर उभर कर सामने आई है... वो बताती है कि बिहार से ज्यादा गरीब दूसरे राज्यों में हैं... कमेटी ने... हर महीने ग्रमीण इलाकों में 446 रुपया अड़सठ पैसा, और शहरी इलाकों में 578 रुपया आठ पैसा से नीचे खर्च करने वालों को गरीब मानकर जो रिपोर्ट पेश की है... उसके मुताबिक सबसे ज्यादा गरीब उत्तर प्रदेश में हैं... यहां ग्रामीण गरीबों की संख्या 607.74 लाख है... रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश के आंकड़े चौकाने वाले है... यहां के गांवों में 187.07 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं... जबकि बिहार में ग्रामीण गरीबों की तादाद 109 लाख ही है, बिहार के बाद महाराष्ट्र में ग्रामीण गरीबों की संख्या 106 लाख और राजस्थान में 80 लाख है... हालांकि आबादी और उसके अनुपात के लिहाज से उड़ीसा सबसे ज्यादा गरीब राज्य है, उड़ीसा में जहां 57.2 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं... वहीं बिहार में 54.4 फीसदी लोग गरीब है... इस क्रम में बिहार के बाद नंबर आता है छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और फिर झारखंड का। बीमारु राज्य के नाम से मशहूर बिहार विकास के जिस डगर पर चल निकला है... जानकार उसे राज्य की एनडीए सरकार और सीएम नीतीश कुमार की नीतियों का नतीजा मानते हैं।

तेंडुलकर कमेटी की रिपोर्ट
देश में कुल 37.2 parsent लोग गरीब
बिहार से ज्यादा गरीब दूसरे राज्यों में
प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च को बनाया आधार
उत्तर प्रदेश में 607.74 लाख ग्रामीण गरीब
आंध्र प्रदेश में 187.07 लाख ग्रामीण गरीब
बिहार के गांवों में 106 लाख लोग गरीब
सबसे गरीब राज्य उड़ीसा
गरीब राज्यों की सूची

राज्य गरीबी
उड़ीसा 57.2%
बिहार 54.4%
छत्तीसगढ़ 49.4%
मध्यप्रदेश 48.6%
झारखंड 45.3%
शो कितना टिक पाता है.......
जितना नया सब्जेक्ट उतनी ही आंखे गड़ जाती है TV screen से....TRP के इसी फंडे की वजह से छोटे पर्दे पर अबतक सबकुछ आजमाया जा चुका है...सपनों से रिएलिटी तक, टैलेन्ट से परफोरमेन्स तक, विदाई से जुदाई तक....बस कुछ बचा था तो पर्दा उठना पिछले जन्म के राज से....

तो भला ये कसर क्यों छोड़ी जाती...यही सोच NDTV IMAGINE लेकर आ गया एक ऐसा शो जिसमें उठ रहा है पर्दा लोगों के पिछले जन्म के राज से...इस शो को होस्ट कर रहे हैं भोजपुरी फिल्मों के स्टार रविकिशन...जो शो में जानी-मानी हस्तियों के अलावा आम आदमी को भी उसके पिछले जन्म की झलक दिखा रहे हैं...

- इससे पहले STAR PLUS ने सच का सामना से इस जन्म के राज खोलने की कोशिश की थी....जिसके कारण उस शो ने TRP तो खुब बटोरी...लेकिन हमेशा विवादो में घिरा रहा....यही वजह थी कि चैनल वालों को वो शो बंद करना पड़ा...अब TRP के इस खेल में य शो कितना टिक पाता है ये तो दर्शकों के रिस्पॉन्स से पता चल जाएगा...
अलग राज्य का मामला तूल पकड़ा...........

तेलंगना राज्य के गठन की प्रक्रिया के बाद अब अलग मिथिला राज्य की मांग भी जोर पकड़ने लगी है....कई संगठनों ने मिथिला राज्य की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है...
तेलंगना राज्य को लेकर जो आग उठी वो अब पूरे देश में फैलने लगी है...यूपी हो महाराष्ट्र हो या फिर बिहार...हर जगह में अलग राज्य बनाने की आवाज बुलंद हो रही है...बिहार में अलग मिथिला राज्य की मांग को लेकर कई संगठन आंदोलन पर उतारु हो गए हैं...उनका मानना है कि विकास चाहिए तो अलग राज्य का गठन जरुरी है.
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक भाषा और क्षेत्रिय आधार पर अलग राज्य के गठन को सही नहीं मानते...अलग राज्य की मांग सही है या गलत ये तो नहीं कहा जा सकता...लेकिन असल मुद्दा है विकास...और वो हर हाल में होना चाहिए....

उम्र महज नौ साल............



उम्र नौ साल की और सिने पर हजारों जख्म । बात किसी बच्चे की नहीं , बल्कि आज से नौ साल पहले यानि 15 नवम्बर 2000 को बिहार से अलग होकर बने झारखंड स्टेट की हो रही है । नये स्टेट को रिश्वतखोरी , जंगलराज और करप्शन ने हजारो जख्म दिये है । जल – जंगल और जमीन के नाम पर पॉलिटिक्स करने वाले कई लीडर का असली चेहरा देख स्टेट के पुननिर्माण की लड़ाई में कुर्बान हुये लोगो को बड़ी तकलीफ हो रही है ।
15 नवम्बर 2000 । एही दिन झारखंड अलग स्टेट का निर्माण हुआ । लेकिन नौ सालों में झारखंड के पब्लिकों ने 6 सीएम और 6 गवर्नर को देखा । नौ साल के झारखंड ने सरकार बनाने की जोड़-तोड़ और एक निर्दलीय विधायक को सीएम भी बनते देखा । हद तो ये हुई कि झारखंड को अलग स्टेट का दर्जा मिलने पर अबुआ राज यानि अपना राज का सपना देखने वाले ही बेगाने हो गये और पब्लिक की गाढ़ी कमाई करप्शन करने वाले के हवाले हो गई । इसकी गवाही कोड़ा की बेहिसाब दौलत दे रही है ।

मजे की बात है कि करप्शन के आरोपों में कई बार घिर चुके झारखंड के एक्ससीएम इस एसेम्बली इलेक्शन प्रचार में कोड़ा को कोसने में तनिक नहीं थक रहे है । जबकि आरजेडी , कांग्रेस , और जेएमएम के समर्थन के बूते ही 23 महीने तक निर्दलीय कोड़ा सत्ता की थाली में खीर खा रहे थे ।
कहा जाये तो झारखंड बनते ही , स्टेट पर ग्रहण लग गया । स्टेट के पहिले सीएम बाबूलाल मरांडी ने डोमिसाइल का पेंच फेंक कर झारखंड को झगड़ाखंड बना दिया । डोमिसाइल की आग में झारखंड महिनों जला । बाद में सीएम की कुर्सी सम्हालने आये अर्जुन मुंडा पर टाटा के साथ सांठ-गांठ करने के आरोप लगे । कई कंपनियो के साथ एमओयू कर उद्योग नहीं खुलवा पाये । ऐसे में ये सवाल अब बीजेपी के लोग ही उठा रहे है ।
नौ साल के झारखंड में 6 बरस बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार रही है ।इस सरकार पर भी कई बार करप्शन के आरोप लगे है । यही वजह है कि पहले चरण का इलेक्शन दस दिनों बाद होना है लेकिन बीजेपी के लीडर करप्शन को मुद्दा नहीं बना पाये है । झारखंड में अब तक जिनकी भी सरकार बनी नौ साल बीतने के बाद भी वे स्टेट को डेवलपमेंट की पटरी पर नहीं ला पाये ।


डा. जहांगीर होमी भाभा...


जहांगीर होमी भाभा...जिन्होंने वर्षों पहले परमाणु ऊर्जा के महत्व को समझकर परमाणु ऊर्जा प्रोग्राम की नींव रखी...परमाणु क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए ही उन्हें आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम भी कहा जाता है...डा. भाभा का जन्म तीस अक्तूबर 1909 में मुबंई के एक धनी पारसी परिवार में हुआ... और इसलिए बचपन से ही उनकी परवरिश बेहद उच्चस्तरीय परिवेश में हुई।

डा. भाभा ने अपनी पढ़ाई मुबंई से ही की...लेकिन उसके बाद उन्होंने के कैअस कॉलेज से इंजनियरिंग की पढ़ाई कर वो इंजीनियर बने...लेकिन वे कभी भी इंजीनियर बनना नहीं चाहते थे...उनका झुकाव हमेशा से ही साइंस की तरफ था...इसलिए उन्होंने हमेशा खुद को अपने फेवरेट सबजेक्ट फिजीक्स से जोड़े रखा।

महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित डा. भाभा का व्यक्तित्व बहुते सिंपल था। लेकिन वो इरादों के उतने ही पक्के थे...Nuclear फिजीक्स के प्रति उन्हें बहुते लगाव था...इसलिए उन्होंने भारत में Nuclear energy की जरुरत को देखते हुए 1957 में atomic energy training school की स्थापना की...जहां साइंस व इंजनियरिंग के students को ट्रेनिंग दी जाती थी...

डा. भाभा के ही guidance में भारत में Atomic energy commission की स्थापना की गई। जहांगीर होमी भाभा ने atomic energy के विकास के लिए कई प्रयास किए...जिस के परिणामस्वरुप 1956 में ट्रांबे में एशिया के पहले एटोमिक रियेक्टर की स्थापना की गई...यही नहीं 1956 में जेनेवा में आयोजित यूएन कांफ्रेस on atomic energy के लिए उन्हें चेयरमैन भी चुना गया। आज उस महान व्यक्ति के जन्मतिथि के अवसर पर लोगों ने उन्हें याद किया।

Saturday, December 12, 2009

जाली नोटों का धंधा
जाली नोट हमारी अर्थव्यवस्था को घुन की तरह खाये जा रही है। हर छोटा बड़ा अपराधी इस धंधे से जुड़कर लाखों की कमाई कर रहा है। जाली नोटों का धंधा अब बन चुका है मुनाफे का धंधा। क्योंकि इस धंधे में खतरा कम और कमाई है अधिक। पुलिस लगातार इन धंधेबाजों पर नजर रखती है। लेकिन धंधेबाज हैं कि अपने नापाक कारनामों को अंजाम दे ही देते हैं। लेकिन इस बार थी पुलिस पूरी चौकन्नी। पुलिस लगातार सर्विलांस के जरिए धंधेबाजों पर नजर रख रही थी। पुलिस को खबर मिलती है कि दो लोग बेऊर के पास जाली नोटों का डिलिंग करने आने वाले हैं। पुलिस सादी वर्दी में चारों तरफ तैनात हो गई। जैसे ही वो दोनों वहां पहुंचे, पुलिस ने दोनों को अरेस्ट कर लिया।
पुलिस ने पूछताछ की तो एक ने अपना नाम रामबाबू और दूसरे ने सुरेन्द्र बताया। पुलिसिया पूछताछ के आगे दोनों की एक न चली और जल्द ही दोनों ने घुटने टेक दिए। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में जो खुलासा किया उसे सुनकर पुलिस के होश उड़ गए।

हालांकि अरेस्ट आरोपियों का कहना है कि वो इस धंधे से कुछ दिन पहले ही जुड़े थे। उनकी माने तो पूरे धंधे का सरगना नेपाल में बैठा है। वो तो बस एक मोहरा हैं।
जाली नोटों के धंधे से सिर्फ हमारे देश की अर्थवयवस्था ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है। अब देखने वाली बात ये है कि पुलिस कब तक इस धंधे को रोक पाने में कामयाब हो पाती है।
उपनयास पर फिल्में ............
उपनयास पर फिल्में बनने का सिलसिला काफी पुराना हैं। हिन्दी सिनेमा कि अगर बात करें तो इसमें सत्यजित रे का प्रयोग काफी सफल रहा।

उसके बाद तिसरी कसम, देवदास, परिनिता, स्लम डौग जैसे फिल्मों ने इसे ट्रेंड बना दिया ..और अब इस ट्रेंड को फौलौ कर रहे है..राज कुमारी हिरानी...अपनी फिल्म थ्री इडीयट्स में।

थ्री इडीयट्स.... बनी हैं चेतन भगत के नोवेल फाई पोन्ट समवन के आधार पर। चेतन भगत कि पहली नोवेल अ नाईट इन अ कौल सेन्टर पर फिल्म हैलो बन चूकी हैं। और अब उनके दुसरी किताब पर बनी हैं...3 idiots। ये कहानी है तीन दोस्तों कि ..उनके कॉलेज लाईफ कि, romance की...उनके career choice कि। इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे हैं। आमिर खान,आर माधवन,सरमन जोशी ,बोमन ईरानी,करीना कपूर और स्लेशल अपीयरन्स में काजोल।
इस फिल्म के promos दर्शको को खुब पसंद आ रहे है।

ओझल हो जाऐं


भूल न जाना अंजाने को,जो राहों में मिल गया था.
मिली थी इक नजर बस तेरा होकर रह गया था.

सफर करते-करते,इतनी दूर निकल गए
दूर जाने की बातें की, आंसू छलक गए

दुनिया की भीड़ में, बहुतेरे लोग मिले
ये मुझे क्या हुआ,बस तेरे होकर रह गए

दर्द तो पलते रहे,सब खिलखिलाते रहे
जख्म पर मरहम लगाया,उम्मीद पल गए

चल दूर इस जहां से,नई दुनिया बसाऐं
जहां हम-तुम,दो टूक गुफ्तगु कर पाएं

मंजिल-ए-जिंदगी का क्या कुछ कहूं
जहां को रास न आए,ओझल हो जाऐं
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव

शम्मी को एक्टिंग तो विरासत में

पृथ्वी राजकपूर के बेटे यानि शमशेर राजकपूर का जन्म 21 october 1931 में हुआ। बॉलीवुड में अपने पेट नेम शम्मी कपूर के नाम से फेमस ये एक्टर आज मना रहा है अपना 78 birthday । रिबेल स्टार के नाम से जाने जाने वाले शम्मी कपूर का जन्म भले ही मुंबई में हुआ लेकिन उनका बचपन कोलकता में ही बीता। पर उनहोंने अपनी स्कूलिंग मुंबई के st. joseph’s convent , don bosco school और New era school से पूरी की।

कॉलेज के दिनों में उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थेयटर्स को ज्वाइन किया। फिर 1948 में 50 रू के सैलरी पर उन्होंने एक जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर इस इंडस्ट्री में कदम रखा। लेकिन शम्मी को एक्टिंग तो विरासत में ही मिली थी। तो भला इस एक्टर का सफर थेयटर तक आके कैसे रुकता। इसलिए चार साल थेयटर में काम करने के बाद उन्होंने फिल्मों की तरफ रुख किया और 1953 में जीवन ज्योति के साथ अपना डेब्यू किया।

1955 में फिल्म रंगीन रातें के सेट पर उनकी मुलाकात गीता बाली से हुई। दोनों में पहली ही नजर में प्यार हो गया। गीता उनसे एक साल बड़ी थी इसलिए समाज के डर से उन्होंने किसी को बिना बताए ही शादी कर ली। उनकी इस शादीशुदा खुशहाल जिन्दगी में और खुशियां भरने के लिए आया बेटा आदित्य और बेटी कंचन। पर ये खुशियां ज्यादा दिनों तक टिक ना सकी और 1956 में फिल्म तीसरी मंजिल के दौरान गीता बाली की चीकेन पॉक्स से डेथ हो गई। 1968 में उनका नाम उस समय की फेमस एक्ट्रेस मुमताज के साथ भी जुड़ा। लेकिन इस असफल प्रेम के बाद शम्मी कपूर ने निला देवी से शादी कर ली और दोनों आज तक खुशहाल मैरिड लाइफ बिता रहें हैं।

Sunday, December 6, 2009

Patna Daily.Com


बिस्मिल्ला खान राज्य अमेरिका के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, कम से कम अस्थायी
Patna: November 15, 2009 पटना: 15 नवम्बर 2009
In a rare picture of political togetherness, Chief Minister Nitish Kumar, Independent MP Jagadanand, and noted filmmaker Prakash Jha shared the same platform on Sunday at the release of a book on world-acclaimed Shehnai maestro Bismillah Khan. राजनैतिक एकजुटता का एक दुर्लभ चित्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वतंत्र सांसद Jagadanand, और फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने कहा रविवार को दुनिया पर एक पुस्तक का विमोचन-प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खान को एक ही मंच साझा की है. Highlighting the life story of Khan and his music career that exceeded six decades, Kumar said that the state would honor the Shehnai player at a function next year to mark his birth anniversary. खान के जीवन की कहानी और उनके संगीत कैरियर कि छह दशक से अधिक पर प्रकाश डालते कुमार ने कहा कि राज्य के एक समारोह में अगले साल शहनाई खिलाड़ी सम्मान के लिए उसके जन्म वीं वर्षगांठ के अवसर होगा. The Chief Minister also pledged to get a park constructed in Patna to honor Khan who, he said, brought joy to millions of people across the globe. मुख्यमंत्री को भी एक पटना में निर्माण के लिए खान, जो उन्होंने कहा कि सम्मान मिल पार्क का वादा, दुनिया भर में लाखों लोगों को आनन्द ले आया. The book written by Murli Manohar Srivastava celebrates the life of Khan, his humble beginning, and his contributions to the world of music in a very lucid manner that is certain to interest people of all ages, Kumar said. मुरली मनोहर श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक खान के जीवन, उनकी शुरूआत मनाता है, और संगीत की दुनिया के लिए अपने योगदान के एक बहुत स्पष्ट अर्थ का ढंग है कि ब्याज के लिए निश्चित है में सभी उम्र के लोग, कुमार ने कहा. The event was particularly interesting in the light of reported personal grudges against the three men sharing the same platform. घटना के आलोक में विशेष रूप से दिलचस्प था तीन एक ही मंच साझा लोगों के खिलाफ व्यक्तिगत शिकायत की सूचना दी. As reported, Jagadanand, the former Rashtriya Janata Dal (RJD) leader, and Nitish Kumar have not spoken to each other in years. के रूप में, Jagadanand, पूर्व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता, और नीतीश कुमार की रिपोर्ट के वर्षों में एक दूसरे से बात नहीं की है. Also, Jha, known for his several socially hard-hitting films like Gangajal and Apharan, after sharing friendly relationship with Kumar until he was denied a Janata Dal (U) ticket for the Lok Sabha polls earlier this year, has hardly kept in touch with the Chief Minister after making an unsuccessful bid from Bettiah on a Lok Janshakti Party (LJP) ticket. इसके अलावा, झा, के लिए जाना जाता अपनी कई सामाजिक हार्ड Gangajal और Apharan जैसी फिल्मों मार, कुमार के साथ दोस्ताना संबंध साझा जब तक वह जनता दल (यू) के पहले इस साल लोकसभा चुनाव के लिए टिकट के बाद इनकार कर दिया था, शायद ही संपर्क में रखा गया है साथ मुख्य Bettiah से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर एक असफल बोली टिकट करने के बाद मंत्री. Kumar, in an attempt to mend ways with both leaders, suggested keeping line of communication open with each other despite political and ideological differences among them. कुमार, एक के लिए दोनों नेताओं के साथ तरह से ठीक करने की कोशिश में रखने का सुझाव दिया एक दूसरे के साथ खुला संचार के उनके बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के बावजूद लाइन. He later invited both to have snacks with him. वह बाद में दोनों उसके साथ नाश्ते के लिए आमंत्रित किया है.
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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....