Friday, July 31, 2009

aamrs सप्लायर

एसटीएफ ने गया पुलिस के सहयोग से दो हार्ड कोर नक्सलियों और इन्हें हथियार सप्लाई करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के पास से भारी मात्रा में गोलियां भी बरामद की गयी है। इन चारों लोगों को गया पटना नेशनल हाईवे पर एक लाइन होटल से पकड़ा।
पुलिस की गिरफ्त में फंसे ये कौनो साधारण अपराधी नहीं हैं। ये हैं नक्सलियेां के हथियारों के सप्लायर। और इन्ही के पकड़े गये ये दोनों नक्सली गिरोह के सदस्य हैं। एसटीएफ को इन लोगों की काफी दिनों से तलाश थी। जैसे ही पुलिस को इनकी सूचना मिली पुलिस ने होटल में छापेमारी करके इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
ये लोग गया के चाकंद के पास एक लाइन होटल में नक्सलियों को गोली सप्लाई करने के लिए आये थे। इन लोगों के पास से लगभग दो सौ गोलियां भी बरामद हुई हैं। पुलिस का अनुमान है कि इन लोगों से पूछताछ के आधार पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं।
पुलिस ने जिस तरह तत्परता दिखाते हुए इन नक्सलियों और उन्हें हथियार सप्लाई करने वालों को गिरफ्तार किया है वह तारिफे काबिल है। और अगर पुलिस इसी तरह तत्परता दिखाती रहे तो बहुत जल्द ही अपराधियों पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया जाएगा।


ट्रेन में बच्ची


उधर बारसोई स्टेषन पर नार्थइस्ट एक्सप्रेस में एक महिला ने बच्ची को जन्म दिया है। बंगाल बंद के कारण ट्रेन को 10 घंटे रोक दिया गया था। उसी समय लेबर पेन की वजह से महिला ने ट्रेन के बाथरुम में ही बच्चे को जन्म दिया। यात्रियों ने उसकी मदद की। बंगाल बंद के दौरान इस बच्ची का जन्म होने की वजह से लोगों ने बच्ची का नाम बंदमती रख दिया है। यात्रियों ने बताया कि रेल प्रषासन ने उस महिला की कोई हेल्प नही की। पीड़ित महिला फिरोजाबाद से कोचबिहार जा रही थी। महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ बताये जा रहे हैं। जन्म देने के बाद महिला अपने बच्चे के साथ अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान कर गई।

कोसी नहर का टूटा सुलीस गेट

मधुबनी में बलिया के पास पश्चिमी कोसी नहर में हाल में ही बना सुलीस गेट टूट गया। नहर में पानी बढ़ने के बाद बांध पर बने दबाव को यह सुलीस गेट झेल नहीं पाया और टूट गया। इसमें जमा पानी बह गया और यहां के किसान भी खेतों की सिंचाई के लिए अब आसमान की ओर निहारने लगे हैं।
रामखेलावन को उम्मीद थी कि इस साल उसकी फसल मार नहीं खाएगी। चाहे कितना भी सूखा क्यों न पड़े, उसके खेतों में अच्छी फसल होगी। सिर्फ रामखेलावन ही नहीं, मधुबनी के बलिया गांव के सैकड़ों किसान खुश थे। नहर में सुलीस गेट लगने के बाद ज्यों-ज्यों नहर में पानी जमा होता गया, इन लोगों की आशा भी बढ़ती जा रही थी। लेकिन सुलीस गेट टूट गया। नहर में भरा पानी बह गया और इसके साथ ही बह गये यहां के किसानों की उम्मीदें।
एक महीना पहले ही मुख्यमंत्री ने इस सुलीस गेट का उद्घाटन किया था। लेकिन नहर में बढ़ते हुए पानी का दबाव यह झेल नहीं पाया और सुलीस गेट के चारों फाटक टूट गया। अब पश्चिमी कोसी नहर के अधिकारी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।
सरकारी उपेक्षा और लापरवाही के चलते वर्षों पहले शुरू हुई पश्चिमी कोसी नहर परियोजना अभी तक अधूरी है। और इसका खामियाजा यहां के किसानों को भुगतना पर रहा है। जो लगातार बाढ़ और सुखार दोनो का कहर झेलने के लिए मजबूर हैं।


रिमांड होम में मौत


पटना सिटी के पास गायघाट के रिमांड होम में दो दिनों में तीन संवासिनों की मौत हो गयी है। फिर भी सरकार इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रही है। और लगातार बीमार संवासिनों की संख्या बढती ही जा रही है। आइये नजर डालते हैं....संवासिनों की हालत पर
एनएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में अगल-बगल बेड पर है.......दो बीमार देह.....हडिडयों के ढांचे में-जी हां....आंखों से बहता पानीसूखकर गालों पर सफेद निशान छोड़ गया है। हाथ पैर की हरकत भी सुन्न हैं। ये है रिया और शांति जिन्हें देखकर इनकी सही उमर का अंदाजा लगाना मुश्किल है। इन्हें गंभीर हालात में एनएमसीएच में भर्ती कराया गया है। डाॅक्टर की माने तो इनके पेट में हफ्ते भर से अनाज का एक दाना तक नहीं गया है। अब हम आपको बताते हैं कि आखिर रिमांड होम की स्थिति क्या है- जी हां- यहां की क्षमता है 140 महिलाओं के रहने की-जबकि रह रहीं हैं 168 महिलाएं। और इनकी देख-रेख के लिए है सिर्फ एक डाॅक्टर। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां रहने वाली महिलाओं की हालत कितनी दयनीय है। इनके खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। जबकि रिमांड होम की स्टाफ लालती देवी का कहना है कि ये सारे आरोप बेबुनियाद है। एक तरफ तो सरकार सूबे में स्वास्थ्य सुधार के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है। वही दूसरी तरफ राजधानी के ही रिमांड होम की हालत कितनी बदतर है.....इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।

खादान में लगी आग

उधर झारखण्ड के रामगढ़ के कोलयरी खादान में लगी आग बढ़ती ही जा रही है। अब ये आग एनएच 33 के पास पहुंच गई है। आग की वजह से एनएच 33 के धंस जाने का खतरा बढ़ गया है।
रांची.पटना एनएच 33 इसे झारखंड का लाइफलाइन भी कहा जाता है। अब इस लाइफलाइन पर खतरा मंडरा रहा है। यहां से महज 10 मीटर की दूरी पर कोलयरी खदान है। इस खदान की आग की लपटे अब एनएच 33 तक भी पहुंच चुकी हैं। हम आपको बता दें कि खदान एरिया में लगभग 2 मीटर ब्यास की भूमि फटकर खोखली हो चुकी है। इसी वजह से एनएच 33 के भी धंस जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
अभी तक आग पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया हैं। लेकिन प्रशासन ने आसपास के गांवों को खाली कराने के आदेश दे दिए हैं। पिछले कई सालों से खदान एरिया में लगी आग और उससे उठता धुआं लोकल लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है।
एनएच 33 से डेली हजारों लोगों का आना.जाना होता है। ऐसे में अगर इस समस्या का जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया तो कई हादसे हो सकते हैं।


रांची धोनी कॉलेज


क्रिकेट स्टार महेन्द्र सिंह धोनी भले ही अपने शहर रांची में ना हो लेकिन उनके नाम पर कमाई करने वालों की रांची में कोई कमी नहीं है। ऐसा ही एक मामला धोनी के कॉलेज में भी देखने को मिला। जहां के कुछ छात्र अब पढ़ाई छोड़ डोनेशन लेकर एडमिशन कराने में लग गए हैं। क्योंकि धोनी के कॉलेज में पढ़ने के लिए छात्र मोटी रकम देने को भी तैयार हैं।
दलालों से सावधानण्ण्ण्जी हांए ये नोटिस चिपका है रांची के संत जेवियर कॉलेज में। जिस कॉलेज में माही बैचलर की डिग्री पाने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं। इन दिनों ये कॉलेज एडमिशन कराने वाले दलालों का अड्डा बन गया है। दरअसल जब से धोनी ने यहां एडमिशन लिया है ये कॉलेज रांची के फेमस कॉलेजों में गिना जाने लगा है। ऐसे में इस कॉलेज में दलाली कर एडमिशन कराने का धंधा इनदिनों जोरों पर है। साथ ही डोनेशन से होने वाली कमाई के कारण कॉलेज प्रबंधन भी इनडायरेक्टली इसमें मिला होता है। यहां तक की कुछ सिनियर स्टुडेंट और कर्मचारियों को भी इसमें लगा दिया जाता है।
फिलहाल कॉलेज प्रबंधन इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से इंनकार कर रहा है। हालांकि कॉलेज के स्टुडेंट ये मान रहे हैं कि धोनी के कारण छात्र यहां एडमिशन लेना चाहते हैं। जिसका फायदा दलाल और कॉलेज के कुछ कर्मचारी उठा रहे हैं।
वैसे जेवियर कॉलेज इससे पहले भी विवादों में रहा है। खास कर एडमिशन के सीजन में तो इस कॉलेज में सफेदपोश लोग भी डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगने से नहीं चुकते। हर साल सैकड़ों की संख्या में शिकायत दर्ज तो होती है पर अबतक उनपर कोइ कारवाई नही हो पाई है।

Friday, July 10, 2009




रेल पर ममता

सदन में रेल बजट के बाद ममता ने अपनी बातें बड़ा ही रोचक अंदाज में रखा। यही नहीं इसी में उन्होनंे सब बात कह भी दिया। जहां रेलवे को गांव-गांव तक पहुंचाने की चाहत रखती हैं। उहें 14 लाख कर्मचारियों को पेमेंट देने के बादो 8,361 करोड़ का फायदा भी नजर आता है।
रेलवे हमेशा से मुनाफा में रहने वाली संस्था है। वैसे में सबके समय में कुछ न कुछ हुआ है। रही बात काम होने की तो काम होने में टाईम तो लगेगा। बस की तरह रेल को भी डबल डेकर एक साल के भीतर कर दिया जाएगा। जो बजट में कमीटमेंट किया था उसे पूरा जरूरे करूंगी। साथ हीं साथ टेªन में जनता के लिए जनता खाना चालू करने का भी फैसला लिया गया है। इसके अलावे राजधानी और शताब्दी जैसी टेªनों के खानों की आउटसोर्सिंग बंद करने की बात कही।
जो खाली पड़े जगह होते हैं, उसके लिए वैकंेट लैण्ड का बैंक बनाकर इंडस्ट्री बन सकती है। अपने कर्मचारियों को बहुत पसंद करने वाली ममता ने गाड़ियों के लेट होने के लिए अनेको प्रोब्लम को गिनाया। उन्होंने यही कहा कि अस्पताल के साथ-साथ मेडिकल काॅलेज बनवायी जाएगी और इसमें 50 प्रतिशत कर्मचारियों के बच्चों के लिए तो 50 प्रतिशत बाहरी के लिए होंगे। यही नियम आर.आर.बी. एक्जाम मामले में भी लोकल को 50 प्रतिशत तो 50 प्रतिशत में अदर होंगे।
अर्निंग भी होता है खर्चा भी होता है। खर्चा दिखाने के बादो 8,361 करोड़ सरप्लस रह जाता है। ममता ने ये भी कहा कि लालू जी हम आपके खिलाफ नहीं बोल रहे हैं। बल्कि फैक्चुअल फिगर बता रहे हैं।
श्रमिक नगरी भूली पर संकट के बादल


एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी भूली पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बाबू जगजीवन राम ने यहां पर श्रमिकों की समस्या देखते हुए उसे यहां बसाने का फैसला किया था। लेकिन आज सरकार के एक फैसले से इस श्रमिक नगरी पर मुसीबत आ पड़ा है। लगभग सत्तर हजार लोग आज सड़कों पर आ जाने की स्थिति में हैं।
यह है धनबाद का भूली। एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी। कभी लेबर मिनिस्टर जगजीवन राम ने इसे बसाया था। आजादी के बाद जब उसने धनबाद का दौरा किया था, तो यहां उसने श्रमिकों की दुर्दशा देखी थी। तभी उसने यहां श्रमिकों को बसाने का निर्णय लिया था।
जगजीवन बाबू ने अपनी मां के नाम पर इस श्रमिक नगरी का नामकरण किया। उस समय मे इस वीरान जगह पर कोई नहीं रहना चाहता था। तब उसने यहां पर बहुत प्रयास करके श्रमिकों को बसाया।
लेकिन आज जब यह टाउनशिप काफी पूरी तरह से बस चुका है, सरकार उसे खाली कराने की बात कर रही है। यहां के लोग सरकार के इस निर्णय को हिटलरशाही बता रहे हैं। भूली मंे जमीन खाली कराने के सरकारी आदेश से यहां के मजदूर काफी उग्र हैं। अगर सरकार ने अपना आदेश वापस नहीं लिया तो कहीं नन्दीग्राम की तर्ज पर ही भूली में भी एक बड़ा आन्दोलन न शुरू हो जाए।
रांची में बाल वैज्ञानिकेां का जमावड़ा


झारखंड में इन दिनों बाल वैज्ञानिकेां का जमावड़ा लगा हुआ है। पूरे राज्य के बाल वैज्ञानिक इन दिनों रांची के जिला स्कूल में जमा हुए हैं। अवसर है जवाहर लाल नेहरू बाल विज्ञान प्रर्दशनी का। इसमें राज्य के विभिन्न स्कूलों के 157 बच्चों ने भाग लिया है।
तरह-तरह के उपकरणों से सजे स्टाॅल और उसके पास ही खड़े हैं इसे बनाने वाले। प्राकृतिक आपदा से बचना हो या फिर उर्जा दोहन। इन नन्हें वैज्ञानिकों ने हर मुश्किल से बचने का उपाय खोज निकाला है। यहां तक कि पूरे विश्व में बढ़ रहे प्रदूषण से बचने का उपाय भी इन बाल वैज्ञानिकों ने ढंूढ़ निकाला है। साथे-साथ देश के किसानों के लिए भी इन बच्चों ने कई प्रोजेक्ट तैयार किये हैं।
तीन दिनों तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 125 स्टाॅल लगाये गये हैं। प्रदर्शनी में सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्कूलों के बच्चे भाग ले रहे हैं। यहां बच्चों को विज्ञान के अलावे डांस, पंेटिंग और म्यूजिक में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। ताकि इनका सर्वांगीन विकास हो सके।
राज्य के बच्चों मंे प्रतिभा निखारने के लिए यह प्रदर्शनी एक अनूठी पहल है। निश्चित रूप से इसका प्रभाव इन बच्चों के भविष्य के साथ देश के भविष्य पर भी पड़ेगा।
बंधक बनाया

पीछले सात महीने से वेतन नहीं मिलने से खिसिआए मोकामा के भारत वैगन कंपनी के स्टाॅफों ने कंपनी के जीएम सहिते दो अधिकारियों को घंटो बंधक बनाए रखा। खिसिआए स्टाॅफों ने ईहो आरोप लगाया कि मैनेजमेंट इनसे सही तरीके से काम नहीं देती है। जबकि कर्मचारी रोजे अपनी ड्यूटी बढ़िया से कर रहे हैं।
मालगाड़ी का डिब्बा बनाने वाली मोकामा के भारत वैगन कंपनी के जीएम बी.के.ठाकुर और मोकामा यूनिट के प्रबंधक बी.के.पाण्डेय आज जैसे ही कंपनी के काम काज की समीखा करने के लिए कंपनी के भीतर घुसे वैसे ही कंपनी के स्टाॅफों ने दोनो अधिकारियों को बंधक बना लिया। कर्मचारी लोगों को ईहो कहना है कि कंपनी उन्हें काम और वेतन दोनों समय पर मुहैया करावे।
अफसरों को बंधक बनाते हुए कंपनी के स्टाॅफों ने मेनगेट को भीतरे से बंद करके घंटो बवाल काटते रहे। अफसारेां के लाख आश्वासन के बादो, कर्मचारी वेतन भ्ुागतान का अश्वासन लेना चाहते थे। बंधक बनाए जाने की घटना के बाद उहां पुलिस तो आई, लेकिन उनकी एक न चली।
पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद करीब डेढ़ साल पहिले मोकामा में एलान किए थे कि भारत वैगन कंपनी का रेलवे अधिग्रहण करेगी। लेकिन उ घोषणा महज एक छलावा बनकर रह गया है। जाहिर है स्टाॅफों का ख्सिियाना उसी खीस का गुबार है। जो काम के समय मैनेजमेंट उन्हें लालीपाॅप दिखाकर देता आया है।ऐसे में स्टाॅफ बिना वेतन के करें तो क्या?

Thursday, July 9, 2009



मेडिकल कालेजों की मान्यता पर सवाल


बिहार में मेडिकल कालेजों की दुर्दषा किसी से छुपी नहीं है। कहीं षिक्षक कमी है तो कहीं बिल्डिंग ही नहीं है।यह बात एक बार फिर उजागर किया हैै बिहार दौरे पर आई मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया की जांच टीम ने।
जर्जर भवन ....क्लासरूम की कमी .... टूटा फूटा लैब ..... और षिक्षकों का टोटा...... जी हां ! बिहार के मेेडिकल कालेजों की सच्चाई यही है। बिहार दौरे पर आई मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया की जांच टीम ने इस बात का खुलासा किया है। ऐसे में प्रदेष के मेडिकल कालेजों के लिए मान्यता बरकरार रख पाना मुष्किल हो रहा है।
दरअसल सूबे के ज्यादातर मेडिकल कालेजों में पढाई के लिये उचित माहौल ही नहीं है। खास्ताहाल भवनों में बिना इंस्ट्रूमेंट के प्रैक्टिकल क्लास चलते हैं। ज्यादातर कालेजों में षिक्षकों की बेहद कमी है। एम सी आई की जांच टीम के सात दिवसीय प्रदेष दौरे में ये तमाम खामिया निकल कर सामने आईं हैं।
सूबे के छह में से चार कार्यरत और तीन नये बने मेडिकल कालेजों के निरीक्षण में बिहार सरकार के दावों की पोल भी खुल गई। हालांकि इससे पहले भी जांच टीम आई थी लेकिन पहले जैसे तैसे सरकार मैनेज करके अच्छी तस्वीर पेष कर देती थी, लेकिन इसबार जांच टीम की नजरों से इन तमाम खामियों को छुपाया नहीं जा सका।
पटना मेडिकल कालेज में बीस प्रतिषत षिक्षक कम हैं तो आपरेषन थियेटर का रखरखाव भी स्तरीय नहीं है। यहां मरीजों के साथ भी अच्छा वर्ताव नहीं होता। दरभंगा मेडिकल कालेज , नालंदा मेडिकल कालेज और जेएलएन मेडिकल कालेज भागलपुर की भी कमोबेष यही स्थिति है, जबकि एमसीआइ से बिहार सरकार ने इन काॅलेजों में सीटों की संख्या बढाने की मांग की है। उधर नये बने मधेपुरा , पावापुरी और बेतिया के मेडिकल कालेजों के पास अपना भवन तक नहीं है। ऐसे में इस सत्र में पढाई पर ग्रहण लग सकता है।
एमसीआई की जांच टीम की रिपोर्ट पर दस जून को फैसला होना है। दिल्ली में कार्यकारिणी समिति की होने वाली बैठक में इन कालेजों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।



लापता बच्चों का सुराग नहीं



दिन पर दिन बढती अपहरण की घटनाओं की वजह से रोज नए खुलासे भी हो रहे हैं। बिहार में लगभग तीन सौ ऐसे बच्चे हैं जो लापता हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। बिहार में लगभग तीन सौ बच्चों का कोई अता - पता नहीं है। पुलिस की इस नाकामी का पता तब चला जब चर्चित गोलू अपहरण कांड के बाद दायर याचिका का जवाब उच्च न्यायालय को दिया गया है। हालांकि पुलिस रिकार्ड में ये भी दर्ज है कि ऐसे लापता बच्चों मे 75 बच्चों की हत्या कर दी गई है। ये आंकड़ा साल दो हजार एक से दो हजार सात तक की है जबकि दो हजार सात से दो हजार आठ का आंकड़ा नहीं बताया गया है। हालांकि ये देष की औसत के मुकाबले बिहार की अच्छी छवि बनाता है। पूरे देष से लापता होने वाले बच्चों में चैबीस दषमलव तीन प्रतिषत बच्चे वापस नहीं लौटते हैं। हालांकि गैर आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ये संख्या तीन सौ से कहीं ज्यादा है। पुलिस के अनुसार ये आकड़ा अट्ठारह साल से कम के वैसे सभी बच्चों के हैं जो विभिन्न कारणों से घर से भागे हैं। इसमें साठ से सत्तर प्रतिषत मामले प्रेमप्रसंग का है। बहरहाल , लापता बच्चों के मामले में कारण चाहे जो हों लेकिन यह आंकड़ा पुलिस की अकर्मण्यता की पोल तो जरुर खोल रहा है।



पानी पानी रे .......


उधर जमुई के मंझबे गांव के लोग पीने के पानी की किल्लत से परेषान हैें। जो पानी मिल रहा है उसमें फ्लोराइड मिला हुआ रहता है। ऐसे तो ये समस्या सालों भर रहती है लेकिन गर्मी में तो और भी बुरी गत हो जाती है। हालत यह है कि यहां के लोग पानीे खरीदकर पीने को मजबूर हैं। सर पर घड़ा .. बाल्टी .... और कैन लिये महिलाओं का ये जत्था किसी प्रदर्षन या जुलूस में नहीं जा रही हैं। बल्कि गांव में बने एकमात्र कुएं की ओर जा रही हैं। जी हां ! ये नजारा है जमुई जिले के मंझबे गांव का। जहां तीन हजार की आबादी पर है सिर्फ एक कुआं। बदले निजाम में विकास की बातें भी बड़े जोर षोर से प्रचारित की जा रही है। लेकिन विकास के दावों की पोल खुलती है जमुइ्र के इस गांव मंझवे में । जहां गांव के लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है। दरअसल पहाड़ की तलहटी में बसे मंझबे गांव के साथ साथ नवीनगर और डोमनपुरा का भी यही हाल है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां बोरिंग कराना आसान नहीं है। ऐसे में रोज रोज पानी के लिये जद्दोजहद करना यहां के लोगों की नीयति बन चुकी है। हालांकि सरकार की ओर से इन तीन गांवों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिये पेयजलापूर्ति योजना भी बनी लेकिन वह चार सालों से अधूरी पड़ी है। ऐसे में इस एक कुएं पर भी गांव के दबंगों का कब्जा रहता है। इस कारण लोगों को पानी के लिये नजराना भी चढाना पड़ता है जबकि। अधिकारी जल्दी ही सब ठीक होने का आष्वासन भर दे रहे हैं। जी हां ! ये हकीकत है इक्कीसवीं सदी के उस भारत की जो दुनिया की अगुवाई करना चाहता है। लेकिन जमुई के इस गांव का ये नजारा क्या हमारे इस दावे को पानी पानी नहीं कर रहा है।


सावन मिलन समारोह

अब बात सावन महीने की। कल से सावन माह की षुरूआत हो गई । इस मनभावन महीने के आगमन की खुषी में बिहार काउंसिल फाॅर विमेन ने सावन मिलन समारोह का आयोजन किया। संगीत के ताल पर थिरकती इ महिलाएं मना रही है सावन के आगमन की खुषी । मौका है काउंसिल फाॅर विमेन द्वारा आयोजित सावन मिलन समारोह का जिसका आयोजन लेडी स्टीफेन्सन हाॅल में किया गया। इस कार्यक्रम का मक्सद सावन के बहाने मिलने - जुलने के साथ साथ संस्था के लिए फंड जुटाना था।
इस मिलन समारोह में काउंसिल की महिलाओं ने बढ़कर हिस्सा लिया । इस मैके पर आयोजित मिस सावन क्वीन प्रतियोगिता का सीनियर ताज मधु अग्रवाल को गया । वहीं 40 से कम उम्र की कैटेगरी में चन्दा गुप्ता ने बाजी मारी। भाग लेने आई महिलाओें की माने तो इस तरह के आयोजन से सेलिब्रेषन का मजा दुगना हो जाता है । साथ ही सजन सवरनेे का यह एक अच्छा बहाना होता है।हरी साड़ी और हरी चुड़ियाॅं पहने ये महिलाएॅं सावन की मस्ती में पूरी तरह सराबोर दिखीं । यहाॅं नाच- गान के साथ इन्हांेने मेहन्दी और हाउज़ी गेम का भी खूब लुफत उठाया।


टूरिज्म होटल में बलात्कार


सहरसा में बिहार सरकार के टूरिज्म होटल कोशी विहार में सहरसा पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। उसने एक लड़की के साथे छः लड़को को धर दबोचा। पकड़ाये लोगेां में दो लोगों पर लड़की ने बलात्कार करने को आरोप लगाया है। एक आरोपी पिंटू कुमार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। जबकि दूसरा हिटलर कुमार भागने में सफल रहा। एक महिने से ई दोनों आरोपी लड़की के साथे बलात्कार कर रहे थे। और फिर राजस्थान के लड़कों को बनाया अपना शिकार और कर दी लड़की का सौदा।
सहरसा के टूरिज्म होटल कोशी विहार का यहां आज सहरसा के सौदागर को करना था, इस लड़की का सौदा। हालांकि बलात्कार का आरोपी इस लड़की से अपना संबंध भाई-बहन का बताता है। लेकिन लड़की साफे बता रही है कि आरोपी बलात्कारी और सौदागर है।
खुद को लड़की का मुंह बोला भाई कहलाने वाला शख्श। भाई-बहन के रिश्तों को भी दागदार कर दिया है। लड़की का भाई कहलाने वाला ये
शख्श एक महिने से अपने दोस्त हिटलर के साथे मिलकर बलात्कार कर रहा था। लड़की के बियाह का लालच देके उसे कोशी विहार होटल राजस्थान के लड़के के हाथों बेचने आया था। पिंटू भाई-बहन के नाम पर इंसानियत का कितना बड़ा पुजारी है। अब इनका हीं सुन लीजिए।
सहरसा पुलिस की मानें तो गुप्त सूचना मिलते ही छापेमारी कर इन लोगों को लड़की के बयान पर गिरफ्तारी कर लिया है। अब लड़की के निशानदेही पर छापेमारी जारी है। हालांकि एसडीपीओ ने मेडिकल करवाकर आगे की कार्रवाई करने की बात कही है।
बात चाहें जो भी हो लेकिन इस तरह से बलात्कार कर लड़की की सौदागरी करने वाले इस आरोपी को पकड़ने के बाद पुलिस सौदागर दरिंदों तक पहुंच पाएगी। या ये मामला भी ठंढ़े बस्ते में पड़ कर रह जाएगा।











द्वाद्वष ज्योतिर्लिंगों में एक बाबाधाम


झारखण्ड के देवघर स्थित मंदिर का अपना ही महत्व है। द्वाद्वष ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर की स्थापना रावण ने करवायी थी। इसलिए इस मंदिर में स्थापित षिवलिंग को रावणेष्वर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां मांगी जाने वाली हर मन्नत पूरी होती है।देवघर के बाबा धाम मंदिर का अलगे स्थान है। भक्तों का ऐसा विष्वास है कि इहां मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि इसे कामना लिंग भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से इ अकेला ऐसा मंदिर है जहां षिव के साथ षक्तिपीठ भी स्थापित हैं। कहा जाता है इहां माता सती का हृदय कट कर गिरा था और तब से इहां षिव और षक्ति की पूजा साथे साथे की जाती है।लोग इहां मन्नत मांग के इस विष्वास के साथ हाथ से लाल रंग का छापा लगााते हैं कि उनकी मन्नत जलदिए पुरी होगी । जेनरल तौर पे बाकी जगह तो लिंग को बिना छुए ही षिव की पूजा की जाती है। लेकिन इहां लिंग को छू के ही पूजा होती है। पुराणों में अइसा लिखा है कि लंकापति रावण इस लिंग को लंका में स्थापित करने के लिए ले जा रहा था। लेकिन भगवान् विष्णु ने छल से चरवाहे का रुप धारण कर लिंग को रावण से लेकर जमीन पर रख दिया। तब से इ लिंग यही पे स्थापित है। सावन के महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से इहां बाबा को जल चढ़ाने आते हैं। झारखण्ड ही नहीं बल्कि बिहार, बंगाल, असम और नेपाल तक से लोग इहां बाबा के दर्षन के लिए आते हैं।




Tuesday, July 7, 2009


बंद करो उत्तर भारतीयों पर हमला
---मुरली मनोहर श्रीवास्तव
ये क्या हो रहा है ? आए दिन उत्तर भारतीयों पर कहर बरसाए जा रहे है। महाराष्ट्र में पिछले साल रेलवे बोर्ड परीक्षा के दौरान किए गए हमले के बाद, अब बंगलुरू और मैसूर शहर में कन्नड़ समर्थक संगठन के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इसमें सबसे अधिक बिहारी ही निशाना बनाए जाते हंै। जमाने से एक बात कही जाती रही है कि साथी हाथ बटाना एक अकेला थक जाए तो मिलकर हाथ बटाना......लेकिन ये क्या अपने ही देश में बेगाने होने लगे हैं उत्तर भारतीय। अपनी मेहनत और लगन की बदौलत होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी जगह बनाते हैं। बावजूद इसके भेदभाव की नीति अपनाकर राज्यों में बांट डालते हैं। स्थानीय लोगों के ऐसी घिनौनी हरकत से हिन्दुस्तान की स्मिता को ठेस लगती है।उत्तर भारत पुराने जमाने से विभूतियों, मेहनतकश, प्रतिभावानों की उर्वरा भूमि रही है। यहां की मिट्टी हमेशा से प्रतिभाओं को जन्म देती है। ये वही उत्तर भारतीय हैं जो अभावग्रस्त जिन्दगी बसर करते हैं। इनके पास नौकरी के अलावे कोई दूसरा आधार नजर नहीं आता है। इसलिए ये अपनी मेहनत की बदौलत अपनी पहचान बना पाते हैं। इन उत्तर भारतीयों ने तो कभी नहीं किसी के साथ ऐसा किया। फिर इन लोगों के साथ ऐसा क्यूं होता है?
( आए दिन हो रहे उत्तर भारतीयों पर हमले कहां तक जायज )
राष्ट्रीय स्तर पर भारत को समृद्ध बनाने के लिए हर किसी का ख्वाब है। लेकिन ये विडंबना ही कही जाएगी जब एकता में अनेकता की बात को दर्शाते हुए आए दिन पढ़ाकुओं पर हमला कर अपनी किस मानसिकता का परिचय देते हैं। समझ में नहीं आता। ये वही भारत है जिसकी आजादी के लिए हर जाति,हर वर्ग के लोगेां ने अपना बलिदान दिया था। लेकिन दर्द तब होता है कि जिस आजादी को लेकर साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर हमारा भारत आजाद हुआ। आज उसी देश में आपसी द्वंद्व का सफर जारी है। वैसे में चाहें किसी भी प्रांत का रहने वाला इंसान हो, उनके साथ सम भाव का व्यवहार होना चाहिए। हिन्दुस्तान ही नहीं पूरे विश्व के मानचित्र पर उत्तर भारतीयों की प्रतिभा का जौहर देखने को मिलता है। ये अपनी प्रतिभा के बूते अपनी जगह बनाए हुए हैं। अगर उत्तर भारतीयों से मुकाबला करनी है तो स्वस्थ्य प्रतियोगिता होनी चाहिए। इससे छुपी प्रतिभाएं उभरकर सामने आती हैं। लेकिन यहां तो इन सबसे परे जब कोई परीक्षा हो तो असहाय परीक्षार्थियों पर हमला कर अपने बहादूरी का परिचय दे डालते है। इसे रोकना होगा, इस विषय पर सोचना होगा, कि आखिर उत्तर भारतीयों के पास धैर्य है, मेहनती हैं आपसे, लगन है इनके पास तभी तो अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर दिखा देते हैं। अगर कोइ्र किसी प्रांत में जन्म ले लिया तो उसका क्या कसूर है? है तो भारतीय। आप भी मेहनत करो आगे आओ और इनसे हमलाकर नहीं अपनी मेहनत से पछाड़ दो। ताकि आपकी प्रतिभा भी उभर कर सामने आए। ऐसा नहीं कि अन्य प्रांत में प्रतिभा की कमी है। कमी है तो अपनी सोंच की। मानसिक रूप से खुद को बदलना होगा। जरूर आप भी अपनी जगह को सुरक्षित कर सकेंगे। फिर एक बार कहना चाहूंगा मत करो हमला, ये भी आपके भाई हैं, देश की आजादी में इनके भी घर वाले शहीद हुए हैं। इनका भी कुछ हक बनता है। इनके हक और हकूक को भी बराबर का दर्जा मिलना चाहिए।
--------मुरलीमनोहरश्रीवास्तv
/9430623520/9234929710

कोसी का कहर

कोसी के किनारे बसे लोग अपनी सुरक्षा के लिए कोसी की गुहार करने में लगे हैं। सरकार और सरकारी तंत्र से इनका भरोसा एकदमे उठ चुका है। अब इनका भरोसा कोसी मइया पर ही टिका है। झुंड की झुंड महिलाएं चल पड़ी हैं कोसी को मनाने। इन्हें विश्वास है कि इनकी पूजा और भक्ति से कोसी का दिल पसीज जाएगा और वो खुश हो जाएंगी। फिर इहां के लोगों को इनका कहर नहीं झेलना पड़ेगा। कोसी के आंचल में बसने वाले इसके कहर को बखूबी जानते हैं। इन्हें मालूम है कि कोसी को जरा सा क्रोध नहीं आया कि ये हंसती खिलखिलाती जिंदगी पल में तबाह हो जाएगी। हजारों परिवार कोसी की धारा में विलीन हो जाएगा। सरकार न तो पहले ही कुछ की है और न ही आगे कुछ करेगी। कोसी की ई पूजा-अर्चना भक्ति और आस्था का प्रतीक तो हइये है, साथ ही ई प्रतीक है कोसी के किनारे में बसे हजारों लोगों के जीवन के प्रति आशा का। इन्हें विश्वास है कि अपनी भक्ति से ई विनाश की देवी को भी खुश कर लेंगी।


बरसात का भविष्य

लम्बी प्रतीक्षा के बाद मानसून की बारिश ने आम लोगों को खुश कर दिया। पूरी प्रकृति मानो बरिश के बूंदों के साथ ही झूमने लगी है। लेकिन इसके साथ ही मौसम विभाग की भविष्यवाणी ने आम लोगों की चिन्ता बढ़ा दी है। बारिश के बूंद के बीच लग रहा है जइसे पेड़-पौधे झूमने लगे हों। आखिर झूमे भी क्यूं न? तपती गर्मी के बाद मानसून की ई बारिश सुकून जो पहुंचा रही है। न सिर्फ पेड़-पौधे, बल्कि आम इंसान भी इस बारिश का मजा लेने में पीछे नहीं रहना चाह रहे हैं। और खास बात ई है कि ई नजारा अगले अड़तालीस घंटों तक बना रहेगा। मौसम विभाग तो कुछ अइसा ही कह रहा है।
झुलसाने वाली गर्मी के बाद बारिश की फुहार में भींगने की कल्पना भी काफी सुखद लगती है। लेकिन इस फुहार के बीच बारिश की कमी की बात कुछ अच्छी नहीं लगती। लेकिन मौसम विभाग ने बारिश के लिए कुछ अइसी ही निराशा भरी भविष्यवाणी की है। मौसम विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि इस बार पिछली बरसात की तुलना में कमे बारिश होगी। इस तरह की भविष्यवाणी ने मानसून का इंतजार कर रहे किसानों की चिन्ता बढ़ा दी है।


गुरू गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पांव
( गुरू पूर्णिमा पर विशेष )

गुरू जो हमारे जीवन को अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। वह इंसान के रूप में देवता होता है। लेकिन जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए होता है। वैसी ही गुरू के लिए भी। गुरू के कृपा बिना कुछ भी संभव नहीं है। प्राचीन काल से भारत देश में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरू के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था। तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरू का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति के अनुसार दक्षिणा देता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। आज के दिन भारत के कई जगहों पर मेला लगता है और भक्तजन गंगा स्नान कर अपने गुरू का पूजन करते हैं। अगर किसी के गुरू उनके पास नही है तो वे मन में ही गुरू पूजा करने के लिए गुरू प्रतिमा को रखकर उनका आर्शीवाद लेते हैं। साधक के लिए गुरू पूर्णिमा व्रत और तपस्या का दिन है, इस साधक उपवास करता है। आज के दिन गुरू पूजा करने से साल भर पूर्णिमाओं के दिन किए हुए सत्कर्मो का फल मिलता है।

( गुरूब्रम्ह गुरूरविश्णुगुरूदेवो महेश्वरः
गुरूःसाक्षात परब्रम्ह,तस्म्ययै श्री गुरूवे नमः )


भगवान वेदव्यास ने वेदों का संकलन किया। 19 पुराणों और उपपुराणों की रचना कर ऋषियों के बिखरे अनुभवों को समाज के लिए सहेजा। पंचम वेद महाभारत की रचना इसी पूर्णिमा के दिन ही पूरा की। सुप्रसिद्ध ग्रंथ ब्रम्हसूत्र लेखन का शुभारंभ भी इसी दिन किया। तब देवताओं ने वेदव्यास जी का पूजन किया। तभी से व्यास पूर्णिमा मनायी जा रही है, जिसे गुरू पूर्णिमा भी कहा जाता है।
हिन्दी महीने के आषाढ़ मास के पूर्णिमा को ही गुरू पूर्णिमा मनाया जाता है। इस दिन गुरू पूजा का विधान है। इस दिन गुरू पूर्णिमा मनाने के और भी कई वजह है। दरअसल गुरूपूर्णिमा वर्षा ऋतु आरंभ में आती है। इस दिन से चार महिने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि आज के दिन वेदव्यास जी का जन्म भी हुआ था।
आज कल के विद्यार्थी बड़े-बड़े प्रमाण पत्रों के पीछे भागते हैं। लेकिन पहले के विद्यार्थी संयम सदाचार का व्रत का नियम पालकर सालों साल गुरू के आश्रम में रहकर शिक्षा लेते थे। आज के विद्यार्थी अपनी पहचान बड़ी-बड़ी डिग्रीयों से देता है। जबकि पहले के विद्यार्थी में पहचान की महता वह किसका शिष्य है इससे होती थी।

Saturday, July 4, 2009

जोड़ियां हुई बेदम

अपनी बेहतरीन केमेस्ट्री के बल पर सारे रिकार्ड तोड़े थे, लेकिन आज बाॅलीवुड का हिट जोड़ियों वाला हिट फंडा अब फलौप साबित हो रहा है।
बाॅलीवुड में जोड़ियों का इतिहास काफी लंबा रहा है, जिन्होंने अपनी बदौलत न सिर्फ फिल्मों को चलाया बल्कि उसे दौड़ाकर दिखाया....लेकिन अब लगता है कि जोड़ियों का तिलस्म टूटने के साथ हीं फिल्मकारों को अपनी फिल्म को हिट कराने के इस र्फामूले से भरोसा उठता जा रहा है।
जोड़ियों की कहानी को अगर आगे बढ़ाएं तो....इसके बाद भी कई जोड़ियां हिट रही है.....जिसका सिलसिला कुछ वक्त पहले तक भी जारी रहा।
लेकिन अब तो लगता है कि शायद ऐसी जोड़ियां बन हीं नहीं रही है। जो कुछ फिल्मों में भी साथ दिखाई दे जाए.....और जिसे देखने के लिए दर्शकों की भीड़ सिनेमाहाॅल तक खिंची चली आए। ऐसे में फिल्मकार भी अब अपनी हरेक फिल्म में नयी जोड़ियों के फंडे को आजमाने में लगे हुए हैं।


लालू हुए मांसाहारी


लालू और उनके निराले अंदाज। इसी अंदाज के कारण
अक्सर लालू अपने प्रतिद्वंदियों पर भारी परते हैं। लेकिन
ये बहुत कम ही लोगों जानते हैं कि कोई ऐसी भी चीज
है जो लालू पर भारी पडती है।
लालू प्रसाद! एक जाना माना चेहरा।कभी मैनेजमेंट गुरु के रुप में
तो कभी क्लेभर पालीटिशीयन के रुप में। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं
कि लालू खाने के शौकीन हैं।शौख भी ऐसा जो उनकी प्रतिज्ञा पर इन दिनों
भारी पर रहा है। जी हां 6 वर्ष पहले लालू के सपने में भगवान
शंकर आये थे और उनके निर्देश पर लालू ने मांस मछली खाना
छोड दिया था।लेकिन अब लालू को साकाहार बर्दाश्त नहीं हो रहा सो
उन्होंने देवी देवताओं से माफी मांग मांसाहार शुरु कर दिया है।
लालू ने मांसाहार की शुरुआत मछली से की है।
कहते हैं कि मछली खाने से दिमाग तेज होता है। हाल के दिनों में
राजनीतिक पतन के बाद मछली के सेवन की शायद यही वजह रही
हो। वैसे मजाक मजाक में लालू ने मांसाहार छोडने के कारणों के
अलावे अपने मांसाहार मेनू का जिक्र भी कर दिया है।
अगर लालू की ही बातों को याद करें तो भगवान शंकर
से परेशानियों को दूर करने की शर्त पर उन्होंने मांसाहार
छोडा था। और परेशानी दूर हाते ही फिर मांसाहार पर
टूट पडे।अरे लालूजी कहीं आपके पतन का कारण भगवान
शंकर के साथ आपके द्वारा तोडा गया वादा तो नहीं ।


नाबालिग शादी


पटना सिटी में एक बार फिर बाल-विवाह कानून का मजाक बनाते हुए जबरन बियाह करवाया गया। हलांकि पुलिस वाले और लड़की वाले इसे प्रेम बियाह बता रहे है। वहीं लड़का के घर वाले इसे अपहरण कर जबरन बियाह करने का मामला दर्ज कराया है।
जीप पर बैठा नाबालिग दूल्हा दिनेश है। बुधवार की रात में इसका अपहरण कर इसका बियाह इस नाबालिग लड़की से जबरन करा दी गई। पता चलते ही लड़का के पक्ष वालांे ने पटना सिटी के चैक थाना में एफआइआर दर्ज करवा दिया। पुलिस ने भी तुरन्त कार्रवाई कर लड़की पक्ष के घर से दिनेश को बरामद कर लिया।
टीवी सिरियल में इन दिनों बाल-बियाह और अपहरण कर जबरन बियाह कराने वाली स्टोरी खुबे चल रही है। अब आप हीं देखिए न एक तरफ नाबालिग दूल्हा दिनेश के परिजनों का कहनाम है कि किसी भी हाल में ई बियाह को उ लोग नहीं मानेंगे। वहीं दुल्हन सुनीता का साफ कहना है कि बियाह जबरन नहीं बल्कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और ई बियाह अपनी मर्जी से किए हैं। दुल्हन की तरह दूल्हे मियां भी दबी जुबां से इहे कह रहे हैं। मामला प्रेम-प्रसंग का है। या अपहरण कर जबरन बियाह का। ई तो तय है कि ई बियाह बाल-विवाह कानून की धज्जी उड़ा रहा है।
सुसाइड जोन

प्रेमी और संसार से निराश लोगों के लिए गांधी सेतु पुल और इसके आस-पास का गंगा घाट सुसाइड जोन बन गया है। यहां लोग अपने जीवन की इह लीला समाप्त करने अक्सरे आया करते हैं। आजो कुछ ऐसा हीं हुआ, एक प्रेमी जोड़ों ने इहां आकर सुसाइड कर लिया।ये है पवित्र गंगा नदी, और ये है गांधी सेतू के पास का गायघाट का किनारा। ये प्लेस आजकल सुसाइड जोन के रूप में फेमस हो गया है। और हो भी क्यों नहीं ईहां आए दिन लोग आके सुसाइड जो करते हंै। अब आजे दिन के करीब 10 बजे एक प्रेमी जोड़ा आया और पहले जहर खाया फिर पानी में दोनों साथेसाथ डुबकी लगा दिए। पहले तो लोग नहीं समझे, बाद में जब नहीं निकले त हंगामा मच गया। नाविक छलांग लगाया त लड़किए की लाश हाथ लग पायी। इस तरह आए दिन होने वाली घटना से आलमगंज पुलिस बहुते परेशान है। घटना के बाद पुलिस आई और गोताखोर को बुलाकर लाश को खेजवाया। त कुछ देर बाद लड़का का भी लाश मिलिए गया। ई दोनों में से किसी की पहचान नहीं हो पायी है। पुलिस इसके अनुसंधान में लगी हुई है।बहरहाल बात चाहें जो भी हो, लेकिन इस तरह से बढ़ती आत्महत्या की घटना आए दिन एक नया झमेला खड़ा किए रहता है। जिससे पुलिस को परेशानी तो होइबे करता है। साथेसाथ ई जगह सुसाइड जोन के नाम से जाना जाने लगा है।

Thursday, July 2, 2009


Dr's DAY


कहते है की भगवान के बाद अगर धरती पर कोई दूसरा दर्जा किसी को दिया जाता है तो वो है डॉक्टर .जी हाँ हो भी क्यों न अगर भगवान हमें जिंदगी देता है तो ये डॉक्टर लोगो की जिंदगी को बचाता है .और शायद यही कारण है की इन डाक्टारो को सम्मानित करने के लिए एक दिन मुकरर किया गया है वो दिन जो की हम लोग डाक्टरों के प्रति आभा प्रकट कर सकते है .इसलिए रांची में आज डॉक्टर्स डे के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे कई डाक्टरों को चिकत्सा क्षेत्र में दिए गए मुख्य योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया .

About Me

My photo
HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....