Thursday, December 9, 2010

Saturday, December 4, 2010

किससे कहें ?

--मुरली मनोहर श्रीवास्तव

हमने क्या बिगाड़ा

जो मेरी तकदीर में

तूने आंसू लिख दिया.

लोग

हाड़ कंपाती ठंढ़ में

खुद को कपड़ों में छुपा लेते हैं

हम चाहकर भी

जमीनी हकीकत से

खुद को दूर नहीं कर पाते हैं

क्यों दिया तूने ऐसी जिंदगी

जो हर पल संघर्ष से जुझती है

न कोई देखने वाला

न कोई समझने वाला

मिलते हैं

दिलाषा के घूंट पिलाने वाला

हमारी उम्मीद

कब तलक

दिल में दफन होता रहेगा,

किसी को

कामयाबी गर मिल गई

तो वाहवाही के पुल बंध जाते है.

सोचता हूं

हमें क्या मिला,

कैसी हमारी जिंदगी

जमाना तो दूर

अपनों के काम न आ सके

सांसारिक रस्मों से

दूर रहकर

हमारी चाहत

ठीठुरती ठंढ़ के साथ

जाने कब सिमटकर

एक दिन चुपके से

आखिरी सफर पर निकल जाता है.....


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देख लो

दुनिया वालों

हमें भी जीना आता है

पांव न सही

हाथों के बल

जिंदगी काटना आता है

लग जाते अगर पंख

तो मैं भी उड़ लेता

पांव की जगह हाथों से

जिंदगी की इबारत लिख देता


Thursday, December 2, 2010


मौत का सफर

----मुरली मनोहर श्रीवास्तव

गाड़ी बुला रही है....सिटी बजा रही है....यानि कितनों को मौत की दावत दे रही है.....आप चौंक गए न ? लेकिन यही सच है...हम बात कर रहे हैं पूर्व मध्य रेलवे के तहत आने वाले दानापुर डिवीजन की रेल परिचालन व्यवस्था पर...इस डिवीजन का हाल इतना बूरा है कि आए दिन बक्सर से पटना के बीच यात्रा करने वाले यात्री ही जानते हैं....गाड़ी जैसे ही बिहटा स्टेशन पर पहुंचती है...लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं...होना भी लाजिमी है...क्यों कि मुगलसराय के रास्ते आने वाली सभी गाड़ियां भले ही समय पर बिहटा पहुंचें....लेकिन उन्हें बिहटा से पटना जाने के लिए लगभग 28 किलोमीटर की दूरी तय करने में 2 से 4 घंटे का समय बर्बाद करना पड़ता है....जिसका परिणाम डेली पैसेंजर, पढ़ने वाले छात्र, दूर-दराज से आने वाले यात्री...के साथ-साथ ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड सहित और कर्मचारी भी इसका खामियाजा भुगतते हैं....पर किसे किसकी परवाह है....जब कर्मचारी का ये हाल है, तो हल्कान यात्री आखिर अपनी व्यथा कहें तो किससे....किससे गुहार लगाएं....इनकी कौन सुनेगा...

इतना ही नहीं बिहटा से पटना आने के लिए हर यात्रियों को लगभग रोज बदलनी पड़ती है...चार गाड़ियां....अब आप सोचेंगे ऐसा कैसे तो मैं आपको बताउं.....एक टिकट खरीदिए और चार गाड़ियां बदलिए...वाह ये कैसा सफर.....स्टेशन पर गाड़ियां खड़ी हैं...कब..कौन खुलेगी...घर पहुंचने की लालच में लोग दौड़ लगाते हैं....जो कई घटनाओं को अंजाम देता है.....इस तरह की घटनाओं से सभी वाकिफ हैं...आला अधिकारी से लेकर लोकतंत्र के संवाहक तक.....न समय पर एनाउंसमेंट...न परिचालन की सही जानकारी...ये कैसी रेल विभाग की वफादारी....उपर से बेचारे टीटी साहब का रौब तो सुनिए....क्यों चढ़े रिजर्वेशन बोगी में...चलो फाईन दो...एक सवाल मेरा उनसे भी है कि गाड़िया इस कदर चलेंगी तो यात्री अगर ऐसा कर रहे हैं...तो उनकी मजबूरी भी समझिए...वर्ना कभी यात्रियों का कोपभाजन भी बन सकते हैं....आयी बात समझ में...नहीं तो आप रेलकर्मी भी हो जाएं एलर्ट क्योंकि बिहारी जनता हो रही जागरुक....आप भी अपनी रेलवे पास पर सिर्फ एक बार ही कर पाएंगे यात्रा...फिर होश ठिकाने आ जाएंगे......क्योंकि रेल आपकी जागिर नहीं...बल्कि हमारी बदौलत आपकी दुकान चलती है....

दानापुर रेल मंडल रेल विभाग को अच्छा राजस्व देने वाला मंडल है....पर गाड़ियों के परिचालन में सबसे फिसड्डी के लिए भी इस मंडल को ही पुरस्कृत की जानी चाहिए....

कौन उठाएगा अभागे यात्रियों के दर्द पर से पर्दा....कब तक भुगतते रहेंगे यात्री....कैसे सुधरेगा परिचालन...कौन उठाएगा इसका बीड़ा...किसके सर कब तक कौन फोड़ता रहेगा आरोप का ठीकरा....और कब तक मौत का मंजर देखता रहेगा विभाग......ऐसी गलती मत करो आप क्योंकि इसी भीड़ में कहीं आपके भी यात्रा कर रहे हैं......बस एक बार दिल से सोचिए क्या गुजरता होगा....परेशान यात्रियों पर, जो आर्थिक, मानसिक, शारीरिक शोषण के शिकार होकर भी....मुस्कुराकर कहते हैं....भाई साहब थोड़ा खिसकिए...अलसायी आवाज के साथ वो खिसकर उन्हें बैठा लेता है...और फिर चल पड़ती गाड़ी........

Tuesday, November 30, 2010


ये कैसी बेबसी

( यात्रा बनती मौत )

---मुरली मनोहर श्रीवास्तव

रुको..पकड़ो...वो देखो भागा जा रहा है.....उसी ने धक्का मारी है....यह कहते सुनते वो फरार हो गया.....फिर पीछे मुड़कर देखा तो सड़क पर खुन से लतपथ लोग कराह रहे हैं....कोई उनका हाल पुछता है....तो कोई घर वालों का पता पुछ रहा है....इतने में किसी के प्राण फखेरु उड़ गए.....तो किसी को बिगड़ती हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया....

वक्त बीता...सबकी निगाहें इस घटना पर दौड़ी...आखिर कैसे हुई यह घटना....किसकी गलती से हुई यह दुर्घटना....लोगों में कौतुहल का विषय बन जाता है....आखिरकार पता चलता है कि गाड़ी की तेज रफ्तार से दुर्घटना हुई....ओवरटेक की चक्कर में....या फिर युवाओं की बाईक राइडिंग की वजह कहें....लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण मुझे शराब के नशे में धुत होकर गाडियों को रफ्तार देना....जैसी गलतियों का बस एक ही रिजल्ट निकलता है...यात्रा के नाम पर मौत और सिर्फ मौत....

घर में मातम पसर गया....कहीं घर का इकलौता बेटा....तो कहीं किसी का सुहाग उजड़ गया...हाय रे सड़क दुर्घटना....कितनों को और निगलेगी...सुबह होते हीं पहली खबर होती है....सड़क दुर्घटना में सात की मौत...आए दिन होने वाली इस तरह की घटनाओं के लोग आदि हो गए हैं.....पर सवाल यह उठता है कि इस दुर्घटना के पीछे के कारण क्या है....सड़कों और डिवाईडर का सही नहीं होना........तो सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करना भी घटना को अंजाम देता है.....

समय रहते चेतने की जरुरत है....भाग-दौड़ भरी जिंदगी में समय से पहले मंजिल पर पहुंचने की चाहत ने कितनों को अपंग बना दिया तो कितने घरों को उजाड़कर रख दिया...रह गई तो बेबसी...यतिमों का एक बड़ा कुनबा...बेरंग महलों जैसी बेवा महिलाएं अपने कंधों पर अपने पूरे परिवार का बोझ ढ़ोने को विवश हो जाती हैं....और इसका एक बड़ा कारण है....दुर्घटना में मौत का होना....

बेतरतीब चलाते गाड़ियों के बादशाहों से पुछो तो एक ही बात उनकी जुबान पर होती है...........जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है....तेरे दामन में बता मौत से ज्यादा क्या है.....पर जब हो जाए कोई अपसगुन तो......सब कुछ बदलकर रह जाता है.....आईये ऐसे मुद्दे को ध्यान में रखते हुए...अपने को संभालने की कोशिश करें...कोई किसी को सलाह दे....इससे बेहतर होगा कि खुद ही अमल करें....शायद आए दिन होनें वाली दुर्घटना पर कुछ रोक लग जाए.....

Sunday, November 28, 2010




ये क्या कर रही हो ?

( ग्लैमर में गुम होती जिंदगी.....)

---मुरली मनोहर श्रीवास्तव

Beauty Is See But No Touch.....लेकिन आज यह पूरी तरह से नकारा साबित हो रहा है...वर्तमान परिवेश में लड़कियां अपने को किसी के साथ जुड़ जाना, उनके साथ बहुत आगे तक जाना, जिंदगी साथ जीने के वादे करना, फिर किसी लड़के को धोखा देकर..फिर किसी और से दिल लगाना....इंज्वाय करना उनके फैशन में सामिल हो गया है.....पर ये क्या ?यह जिंदगी नहीं, धोखा है, वादा करो तो उसे पूरा करो....लेकिन उसमें सही इंसान का चुनाव करो...ताकि जिंदगी के दिन भी उसके साथ बीता सको...कहीं ऐसा नहीं कि अपनी अस्मत लुटाकर अफसोस करें....तालियां दोनों हाथों से बजती हैं....यानि इसके लिए लड़का-लड़की दोनों दोषी हैं....कहीं लड़के धोखा देते हैं...तो कहीं लड़की...मगर इस गलती की दौड़ में लड़कियां आगे हैं....जिसका सबसे अधिक खामियाजा उन्हें अपनी इज्जत लुटाकर..या फिर अपना जीवन गंवाकर चुकानी पड़ती है....क्योंकि हमारे समाज में वो सर उठाकर जिंदगी नहीं जी सकती है.....उनके अंदर का लज्जा जब जगती है...अपनी खुबसुरत जिंदगी को मिटा देती हैं....एसी नौबत न आए पहले सोचो...समझो...फिर तजबीज करो फिर कोई कदम उठाओ....ताकि अफसोस न रह जाए.....

Leave In RelationShip ने तो इस को और बढ़ावा दिया है...खुलेआम तौर पर पाश्चात्य सभ्यता को आमंत्रण दिया तो......खुलेआम सेक्स को भी बढ़ावा दिया है.....लेकिन जब यह कानून नहीं लागू नहीं था...तो इस तरह की बातें क्यूं सामने आता था......

हम एडवांस हो रहे हैं....होना भी लाज़िमी है...समय के साथ चलना बहुत जरुरी है....लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखें " मौज में मौत को न भूलें " जी हां....ये हम आज की युवा पीढ़ी की भटकती जिंदगी को देखकर कह रहे हैं....हो सकता है हमारी सोच गलत हो....मगर घर की दहलीज से बाहर कदम रखने वाली हर लड़की एक बार जरुर सोचे कोई कदम उठाने से पहले कि उन पर उनके घर वालों ने किस कदर विश्वास किया है....कहीं झुठे ग्लैमर में अपने वर्तमान में भविष्य को बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं....इस तरह हुई जाने-अंजाने गलती से पूरी जिंदगी किसी कोने में सिसक कर दम तोड़ देती है....हो सकता है, कोई इसे फालतू बकवास कहे लेकिन जब वक्त बीत जाता है तब उन्हें समझ आती है.....जिसे आप किसी से कह भी नहीं पाते.....

आए दिन लड़कियों के साथ कोई-न-कोई दर्द भरी दास्तान तो जरुर सुनी जाती है...चाहे वो तरुणाई अवस्था में कॉलेज का प्यार के नाम पर धोखा..... खुबसुरती के जलवे में कितनों को मदहोश कर अपने पीछे घुमाने का कुछ लड़कियों का शौक...या फिर अपने शानों-शौकत को बढ़ाने की लालच में युवाओं के साथ अपने वजूद खो देती हैं.....फिर खुशहाल जिंदगी बन जाती है बदरंग....जो उनकी जिंदगी को खाक कर देती है....रह जाती है तो उनके घर वालों पर एक बदनुमा दाग....

इस तरह की घटनाओं की बात करें तो चाहे वो बीआइटी मेसरा हो, एमबीए की छात्रा का फांसी लगाकर हत्या करना, दिल्ली की गलियों में कॉलेजों की लड़कियों की हत्या, गया में लड़की की हत्या कर गाड़ी से फेंक दिया जाना....जैसी कई घटनाओं के पीछे एक सवाल बनकर खड़ा हो जाता है...आखिर दोषी कौन ? मैं, आप, या वक्त.......

Saturday, November 27, 2010



विधायक का अनोखा शपथ

(कानून को ताख पर रखकर विधायक ने शपथ को बनाया मजाक)

---मुरली मनोहर श्रीवास्तव

विधायक की शपथ तो बहुत लोग जानते हैं...देखते हैं...मगर एक अनोखा शपथ बिहार में देखने को मिला...आखिर क्या है...कैसा है ये शपथ....तो हम विधायक जी की बातों को ही सामने रख देते हैं.....शक्ति जनता ने िदया तो शपथ जनता के सामने लेने वाले हैं बिहार के औरंगाबाद के ओबरा के नवनिर्वाचित विधायक सोमप्रकाश......ये जनाब ओबरा थाना में दारोगा थे.....पर इनके उपर नेता बनने का शौक सवार क्या हुआ....जनाव निर्दलीय चुनाव लड़ गए..... विधायक भी बन गए.....इनकी तकदीर तो बदल गई...मगर इस क्षेत्र की जनता की कैसे सेवा करेंगे.....ये तो आपके सामने होगा.....सत्य और न्याय को इस युग में भी जिन्दा मानने वाले इस विधायक ने भले ही अपनी दलील जो भी दी हो...मगर इस पर कानूनविदों की मानें तो अपने विधानसभा क्षेत्र में शपथ लेना विधिसंवत नहीं है...इसे नासमझी कहेंगे या फिर सोची समझी कोई ड्रामेबाजी.... विधायक की आगे दलील है कि जनता ने जिताया है तो आम जनता के सामने ही शपथ लेना चाहिए.....यही ओरिजनल है....यह विधायक जी की भूल है....या लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का नायाब तरीका......वैसे विधानसभा में लिया गया शपथ पूरे राज्य की जनता को साक्षी मानकर लिया गया माना जाता है....

राजनीति एक मजाक बनकर रह गई है....अपनी हरकत से हर बार चर्चा में रहने वाले ऐसे विधायक कानून को अपने हाथों में ले लिए.....आखिर इस विधानसभा क्षेत्र की जनता का भविष्य का क्या होगा....राजनीति कोई खिलौना नहीं.....कोई मजाक नहीं...बल्कि यह आम अवाम के लिए संग्राम है...किसी भी क्षेत्र के विधायक के लिए निर्वाचित होना एक चुनौती है.....लोगों के प्रति आस्था है.....जनप्रतिनिधि समाज सेवा है, समर्पण है.....पर ऐसे नेता जी को सही मायने में सामाजिक प्रतिष्ठा को कायम रखने वाला कहा जाए....या फिर इसे जज्बात में उठाया गया कदम.......

बिहार में इस तरह का मजाक कोई नई बात नहीं....कहीं नेता जी नर्तकियों के साथ नाचते हैं..तो कहीं नर्तकियों को नचाकर भीड़ जुटाने में मशगुल रहते हैं.....भलगर गीत....भलगर ड्रेस में नाच तो सुना था....मगर इस तरह किया गया काम को क्या कहेंगे......यहां एक सवाल खड़ा करता है.......

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....