Sunday, March 24, 2013

नीतीश और अधिकार रैली


विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आज दिल्ली में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने रैली की .... रामलीला मैदान में हुई रैली में सबसे बड़ा सवाल ये उभरा कि क्या नीतीश बिहार के बहाने दिल्ली में पीएम की उम्मीदवारी की दस्तक दे रहे हैं.... इस रैली से कई ऐसे संकेत निकल रहे जो देश में भविष्य की राजनीति पर असर डाल सकते हैं. दिल्ली का रामलीला मैदान वैसे तो कई आंदोलनों और रैलियों का गवाह बना है लेकिन इस मैदान पर पहली बार है जब किसी राज्य की सरकार के मुखिया ने राज्य के विकास के नाम पर रैली की.... . खास ये भी है कि इस रैली में उसने एनडीए में अपने सहयोगी और बिहार की सत्ता में साझेदारी बीजेपी को भी शामिल नहीं किया है. दिल्ली में नीतीश की रैली, सिर्फ और सिर्फ जेडीयू की रही और जिसमें सबसे बड़ा चेहरा रहे नीतीश कुमार..... . वैसे 6 फरवरी को दिल्ली के SRCC कॉलेज से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की दौड़ शुरू की थी, मुद्दा बनाया था विकास को. अब SRCC कॉलेज से करीब आठ किलोमीटर दूर रामलीला मैदान में नीतीश की रैली इस बात का ऐलान है कि नीतीश भी दिल्ली की इस दौड़ में शामिल हैं.

इस रैली से नीतीश का दोहरा फायदा उठाते की कोशिश में दिखे........ एक तो वो बिहार में जातिगत फैक्टर से ऊपर उठकर वोटरों को एकजुट करते दिखे........ और दूसरा ये कि इस रैली से बीजेपी को दूर रखकर वो भविष्य का रास्ता भी खुला रखने के संकेत दे गए... जो बीजेपी के लिए एक चेतावनी से कम नहीं है. . नीतीश ये कोशिश करते दिखे कि विकास का पत्ता खेलते हुए वो नए ऐसे राजनैतिक समीकरण की तरफ बढ़े सकें जहां उनका समर्थन करने वालों की एक बड़ी तादाद हो जिसका फायदा वो आने वाले वक्त में उठा सकें.
. नरेंद्र मोदी की दिल्ली में पीएम बनने की संभावना को लेकर नीतीश और जेडीयू की नराजगी किसी से छिपी नहीं है. 17 मार्च को मुंबई में नरेंद्र मोदी भी रैली करना चाहते थे लेकिन खबरों के मुताबिक नीतीश के विरोध की वजह से मोदी की ये रैली रद्द कर दी गई. कहा गया कि बीजेपी फिलहाल नीतीश को नाराज नहीं करना चाहती.

बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट हैं जिसमें 2009 चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर 32 सीट जीती थीं. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर 243 सीटों में से 206 विधानसभा सीट जीती थीं. ऐसे में बीजेपी ये बिल्कुल नहीं चाहेगी कि बिहार का ये विनिंग कॉम्बीनेश टूटे या फिर नीतीश पाला बदलकर यूपीए की तरफ चले जाएं. इस रैली से नीतीश अपनी दिक्कतें से भी ध्यान हटाने की कोशिश में भी दिखे... . कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों पर लाठीचार्ज मामले में नीतीश को विपक्ष पूरी तरह से घेर रहा है. बिहार में कानून व्यवस्था को भी लगातार मुद्दा बनाए जाने की कोशिशें की जा रही हैं. वहीं नीतीश के विरोध में भी लालू यादव, पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने भी नए समीकरणों की तलाश शुरू कर दी है. नीतीश ने रैली के जरिए पूरी कोशिश की कि रामलीला मैदान पर विराट रूप दिखा कर अपने कार्यकर्ताओँ और वोटरों में नई उम्मीद जगा जाएं. नीतीश 

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....