जेलों में पुस्तकालय
निरक्षर कैदियों के पठन-पाठन के लिए जेलों में खुलेंगे पुस्तकालय। राज्य सरकार के इस फैसले से अब कैदी भी अन्य लोगों की तरह साक्षर हो पायेंगे।
बैठक चल रहा है अपराध पर शिकंजा कसने के लिए नहीं ]बल्कि निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने के लिए चल रहा है। बैठक में अहम फैसला लिया गया, कि जेलों में बंद कैदियों को भी अब साक्षर बनाया जाएगा। नवसाक्षरों के लिए खुलने वाले पुस्तकालयों में अइसे किताबों का संग्रह होगा, जिसमें लिखे हुए लेख और कहानियों में मात्रा का प्रयोग कम से कम हो। ई पुस्तकालय राज्य के सभी 6 केंद्रीय कारा, 33 जिला कारा के अलावा 16 उपकारा में खोला जाएगा। जिससे निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाया जा सके।
जेलो में खुलने वाले ई पुस्तकालयों को शिक्षण केन्द्र-सह-पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा। केन्द्रों का नाम गांधी, टैगोर, प्रेमचंद, भगत सिंह जैसे महापुरूषों पर होगा। केन्द्र के शुरू होने के दो महीने बाद से ही पुस्तकालय की सुविधा मिलने लगेगी। प्रत्येक पुस्तकालय में पांच हजार रुपये के पुस्तक खरीदने का प्लान बनाया गया है। राज्य के 21 जिलों के जेल अधीक्षकों और जन शिक्षा से जुड़े पदाधिकारियों की एक कार्यशाला भी आयोजित की गई।
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