Thursday, June 11, 2009

खास्ताहाल श्रम कल्याण केन्द्र

फुलवारीषरीफ का श्रम कल्याण केन्द्र बगैर श्रमिकों के चल रहा है। पर मजदूरों के कल्याण के नाम पर प्रबंधक प्रति वर्ष लाखों रुपये वेतन ले रहे हैं। श्रमिकों की मजदूरी मिल प्रबंधक पहले ही डकार गए हैं। अब मजदूरों के आवास पर भू माफियाओं की नजर है।
ठेला खींच रहा ई भोला है। काॅटन मिल में मजदूरी कर अपना गुजारा करता था । पर जब से ई मिल बंद हुआ है उसे उचित मजदूरी भी नहीं मिलती है। जिस कारण वह बदहाली की जिंदगी गुजारने को मजबूर है ।
सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए ई केन्द्र की स्थापना तो की लेकिन फायदा मिल प्रबंधक उठा रहे हैं। इस मिल के सटे दक्षिण में कर्मियों के लिए क्वाटर्स भी बनाया गया है । पर यह भी बदहाली के कगार पर है । यहां कभी श्रमिकों और उनके परिजनों को षिक्षा के साथे - साथ संगीत , सिलाई , खेल-कूद की व्यवस्था थी । इतना सम्पन्न केन्द्र समय के झोकों से अब बेहाल हो गया है।
मजे कि बात यह है कि कागजों पर यह श्रम कल्याण केन्द्र आज भी चल रहा है । उपस्थिति पंजी बताती है कि एक पदाधिकारी और एक आदेषपाल डयूटी पर है ।
वर्तमान समय में यह केन्द्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अब देखना यह है कि बगैर श्रमिक के चल रहे इस श्रम कल्याण केन्द्र पर सरकार की नजर कब पड़ती है।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....