Wednesday, June 10, 2009

जेपी के बड़े चेले

बात करते हैं जेपी के चेलों की। जेपी आन्दोलनकारियों की पेंशन योजना क्या सम्मान योजना है या इसको लेकर राजनीति की जा रही है ? अगर ई असलियत में सम्पूर्ण क्रांति को हाईलाइट करने का प्लान है तो नीतीश कुमार, लालू प्रसाद ,सुशील कुमार मोदी,अश्विनी चैबे जैसे आंदोलनकारियों ने इसके लिए आवेदन क्यों नहीं किया?
लगता है जेपी के कामयाब चेलों की नजर में सम्मान पेंशन योजना की कौनो अहमियत नहीं है। सत्ता के गलियारों में जिनकी तूती बोलती हो भला उनको ढाई हजार- पांच हजार में क्या इंटरेस्ट हो सकता है। अगर ई लोग इसको इज्जत की बात मानते तो जरूर इसके लिए एप्लीकेशन देते,लेकिन दिया नहीं।
अब देखिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या कहते हैं... ऊ ई पेंशन लेगें कि नहीं इसको यक्षप्रश्न बता रहे हैं.. यक्षप्रश्न का मतलब है वैसा सवाल जिसका कोई अंतिम उत्तर नहीं होता है क्यों कि वह लगातार चलते रहता है। अब पेंशन लेने की बात तो इतनी टेढ़ी नहीं है कि उसे यक्षप्रश्न बना दिया जाय। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी असमंजसे में हैं.. कहते हैं सोच कर बताएंगे। अब भला इसमें इतना सोच-विचार करने की कोैन बात है जो टाइम मांग रहे हैं। तो क्या यह सम्मान लेना उन्हें प्रेस्टिज के खिलाफ लगता है ?
अगर संवैधानिक पदों पर बैठे जेपी के चेले, पेंशन के लिए आवेदन करते तो शायद इसकी भी अहमियत स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना की तरह हो जाती ...पर हुआ ऐसा हुआ नहीं।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....