पानी पानी रे .......
उधर जमुई के मंझबे गांव के लोग पीने के पानी की किल्लत से परेषान हैें। जो पानी मिल रहा है उसमें फ्लोराइड मिला हुआ रहता है। ऐसे तो ये समस्या सालों भर रहती है लेकिन गर्मी में तो और भी बुरी गत हो जाती है। हालत यह है कि यहां के लोग पानीे खरीदकर पीने को मजबूर हैं। सर पर घड़ा .. बाल्टी .... और कैन लिये महिलाओं का ये जत्था किसी प्रदर्षन या जुलूस में नहीं जा रही हैं। बल्कि गांव में बने एकमात्र कुएं की ओर जा रही हैं। जी हां ! ये नजारा है जमुई जिले के मंझबे गांव का। जहां तीन हजार की आबादी पर है सिर्फ एक कुआं। बदले निजाम में विकास की बातें भी बड़े जोर षोर से प्रचारित की जा रही है। लेकिन विकास के दावों की पोल खुलती है जमुइ्र के इस गांव मंझवे में । जहां गांव के लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है। दरअसल पहाड़ की तलहटी में बसे मंझबे गांव के साथ साथ नवीनगर और डोमनपुरा का भी यही हाल है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां बोरिंग कराना आसान नहीं है। ऐसे में रोज रोज पानी के लिये जद्दोजहद करना यहां के लोगों की नीयति बन चुकी है। हालांकि सरकार की ओर से इन तीन गांवों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिये पेयजलापूर्ति योजना भी बनी लेकिन वह चार सालों से अधूरी पड़ी है। ऐसे में इस एक कुएं पर भी गांव के दबंगों का कब्जा रहता है। इस कारण लोगों को पानी के लिये नजराना भी चढाना पड़ता है जबकि। अधिकारी जल्दी ही सब ठीक होने का आष्वासन भर दे रहे हैं। जी हां ! ये हकीकत है इक्कीसवीं सदी के उस भारत की जो दुनिया की अगुवाई करना चाहता है। लेकिन जमुई के इस गांव का ये नजारा क्या हमारे इस दावे को पानी पानी नहीं कर रहा है।
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