Tuesday, July 7, 2009


बंद करो उत्तर भारतीयों पर हमला
---मुरली मनोहर श्रीवास्तव
ये क्या हो रहा है ? आए दिन उत्तर भारतीयों पर कहर बरसाए जा रहे है। महाराष्ट्र में पिछले साल रेलवे बोर्ड परीक्षा के दौरान किए गए हमले के बाद, अब बंगलुरू और मैसूर शहर में कन्नड़ समर्थक संगठन के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इसमें सबसे अधिक बिहारी ही निशाना बनाए जाते हंै। जमाने से एक बात कही जाती रही है कि साथी हाथ बटाना एक अकेला थक जाए तो मिलकर हाथ बटाना......लेकिन ये क्या अपने ही देश में बेगाने होने लगे हैं उत्तर भारतीय। अपनी मेहनत और लगन की बदौलत होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी जगह बनाते हैं। बावजूद इसके भेदभाव की नीति अपनाकर राज्यों में बांट डालते हैं। स्थानीय लोगों के ऐसी घिनौनी हरकत से हिन्दुस्तान की स्मिता को ठेस लगती है।उत्तर भारत पुराने जमाने से विभूतियों, मेहनतकश, प्रतिभावानों की उर्वरा भूमि रही है। यहां की मिट्टी हमेशा से प्रतिभाओं को जन्म देती है। ये वही उत्तर भारतीय हैं जो अभावग्रस्त जिन्दगी बसर करते हैं। इनके पास नौकरी के अलावे कोई दूसरा आधार नजर नहीं आता है। इसलिए ये अपनी मेहनत की बदौलत अपनी पहचान बना पाते हैं। इन उत्तर भारतीयों ने तो कभी नहीं किसी के साथ ऐसा किया। फिर इन लोगों के साथ ऐसा क्यूं होता है?
( आए दिन हो रहे उत्तर भारतीयों पर हमले कहां तक जायज )
राष्ट्रीय स्तर पर भारत को समृद्ध बनाने के लिए हर किसी का ख्वाब है। लेकिन ये विडंबना ही कही जाएगी जब एकता में अनेकता की बात को दर्शाते हुए आए दिन पढ़ाकुओं पर हमला कर अपनी किस मानसिकता का परिचय देते हैं। समझ में नहीं आता। ये वही भारत है जिसकी आजादी के लिए हर जाति,हर वर्ग के लोगेां ने अपना बलिदान दिया था। लेकिन दर्द तब होता है कि जिस आजादी को लेकर साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर हमारा भारत आजाद हुआ। आज उसी देश में आपसी द्वंद्व का सफर जारी है। वैसे में चाहें किसी भी प्रांत का रहने वाला इंसान हो, उनके साथ सम भाव का व्यवहार होना चाहिए। हिन्दुस्तान ही नहीं पूरे विश्व के मानचित्र पर उत्तर भारतीयों की प्रतिभा का जौहर देखने को मिलता है। ये अपनी प्रतिभा के बूते अपनी जगह बनाए हुए हैं। अगर उत्तर भारतीयों से मुकाबला करनी है तो स्वस्थ्य प्रतियोगिता होनी चाहिए। इससे छुपी प्रतिभाएं उभरकर सामने आती हैं। लेकिन यहां तो इन सबसे परे जब कोई परीक्षा हो तो असहाय परीक्षार्थियों पर हमला कर अपने बहादूरी का परिचय दे डालते है। इसे रोकना होगा, इस विषय पर सोचना होगा, कि आखिर उत्तर भारतीयों के पास धैर्य है, मेहनती हैं आपसे, लगन है इनके पास तभी तो अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर दिखा देते हैं। अगर कोइ्र किसी प्रांत में जन्म ले लिया तो उसका क्या कसूर है? है तो भारतीय। आप भी मेहनत करो आगे आओ और इनसे हमलाकर नहीं अपनी मेहनत से पछाड़ दो। ताकि आपकी प्रतिभा भी उभर कर सामने आए। ऐसा नहीं कि अन्य प्रांत में प्रतिभा की कमी है। कमी है तो अपनी सोंच की। मानसिक रूप से खुद को बदलना होगा। जरूर आप भी अपनी जगह को सुरक्षित कर सकेंगे। फिर एक बार कहना चाहूंगा मत करो हमला, ये भी आपके भाई हैं, देश की आजादी में इनके भी घर वाले शहीद हुए हैं। इनका भी कुछ हक बनता है। इनके हक और हकूक को भी बराबर का दर्जा मिलना चाहिए।
--------मुरलीमनोहरश्रीवास्तv
/9430623520/9234929710

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....