श्रमिक नगरी भूली पर संकट के बादल
एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी भूली पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बाबू जगजीवन राम ने यहां पर श्रमिकों की समस्या देखते हुए उसे यहां बसाने का फैसला किया था। लेकिन आज सरकार के एक फैसले से इस श्रमिक नगरी पर मुसीबत आ पड़ा है। लगभग सत्तर हजार लोग आज सड़कों पर आ जाने की स्थिति में हैं।
यह है धनबाद का भूली। एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी। कभी लेबर मिनिस्टर जगजीवन राम ने इसे बसाया था। आजादी के बाद जब उसने धनबाद का दौरा किया था, तो यहां उसने श्रमिकों की दुर्दशा देखी थी। तभी उसने यहां श्रमिकों को बसाने का निर्णय लिया था।
जगजीवन बाबू ने अपनी मां के नाम पर इस श्रमिक नगरी का नामकरण किया। उस समय मे इस वीरान जगह पर कोई नहीं रहना चाहता था। तब उसने यहां पर बहुत प्रयास करके श्रमिकों को बसाया।
लेकिन आज जब यह टाउनशिप काफी पूरी तरह से बस चुका है, सरकार उसे खाली कराने की बात कर रही है। यहां के लोग सरकार के इस निर्णय को हिटलरशाही बता रहे हैं। भूली मंे जमीन खाली कराने के सरकारी आदेश से यहां के मजदूर काफी उग्र हैं। अगर सरकार ने अपना आदेश वापस नहीं लिया तो कहीं नन्दीग्राम की तर्ज पर ही भूली में भी एक बड़ा आन्दोलन न शुरू हो जाए।
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