लापता बच्चों का सुराग नहीं
दिन पर दिन बढती अपहरण की घटनाओं की वजह से रोज नए खुलासे भी हो रहे हैं। बिहार में लगभग तीन सौ ऐसे बच्चे हैं जो लापता हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। बिहार में लगभग तीन सौ बच्चों का कोई अता - पता नहीं है। पुलिस की इस नाकामी का पता तब चला जब चर्चित गोलू अपहरण कांड के बाद दायर याचिका का जवाब उच्च न्यायालय को दिया गया है। हालांकि पुलिस रिकार्ड में ये भी दर्ज है कि ऐसे लापता बच्चों मे 75 बच्चों की हत्या कर दी गई है। ये आंकड़ा साल दो हजार एक से दो हजार सात तक की है जबकि दो हजार सात से दो हजार आठ का आंकड़ा नहीं बताया गया है। हालांकि ये देष की औसत के मुकाबले बिहार की अच्छी छवि बनाता है। पूरे देष से लापता होने वाले बच्चों में चैबीस दषमलव तीन प्रतिषत बच्चे वापस नहीं लौटते हैं। हालांकि गैर आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ये संख्या तीन सौ से कहीं ज्यादा है। पुलिस के अनुसार ये आकड़ा अट्ठारह साल से कम के वैसे सभी बच्चों के हैं जो विभिन्न कारणों से घर से भागे हैं। इसमें साठ से सत्तर प्रतिषत मामले प्रेमप्रसंग का है। बहरहाल , लापता बच्चों के मामले में कारण चाहे जो हों लेकिन यह आंकड़ा पुलिस की अकर्मण्यता की पोल तो जरुर खोल रहा है।
No comments:
Post a Comment