कलयुगी बेटा
21 अगस्त.. समय रात के 10 बजे.. कोडरमा में होती है एक वारदात। पूरे इलाके में फैल जाती है सनसनी। इंसानियत हो जाती है शर्मसार। मानवता हो जाती है कलंकित। जिसने भी ये खबर सुनी वो अवाक रह गया..सन्न रह गया। मानो उसे अपनी कानों पर यकीन नहीं हो रहा हो। चाहकर भी इलाके के लोग इस वारदात को सच मानने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन लोगों के मानने और न मानने से क्या होता है। सच तो आखिर सच है। आखिर सच है क्या.. ये आप भी जानना चाह रहे होंगे। दरअसल पूरा मामला कोडरमा के सतगांवा का है। शांति देवी अपने दो बेटों के साथ इसी गांव में रहती थी। वर्षों पहले शांति देवी के हसबैंड गुजर चुके थे। इसीलिए शांति देवी अपने बड़े बेटे राजू के साथ रहती थी। यही बात हर हमेशा छोटे बेटे दिलीप को नागवार गुजरती थी। उसके मन में हमेशा ये खटकते रहता था कि कहीं मां भईया को तो सारी संपत्ति का वारिस नहीं बना देगी।
जायदाद का लालच दिलीप के सर इस कदर चढ़ गया था कि मां-बेटे में हमेशा अनबन रहने लगी। दरअसल दिलीप चाहता था कि मां के नाम जो दस कट्ठा जमीन है वो उसके नाम हो जाए। इसी बात को लेकर वो मां से खफा रहने लगा..झगड़ा करने लगा और एक दिन मौका मिलते ही अपनी मां का ही कर डाला कत्ल।
इस सनसनीखेज वारदात की खबर मिलते ही पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच गई और लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस फरार आरोपी की तलाश सरगर्मी से कर रही है।
महज जमीन के थोड़े से टुकड़े की खातिर एक बेटे ने अपनी मां का कत्ल कर दिया। जी हां, उसने अपनी मां का नहीं बल्कि उस ममता का खून कर डाला जिसने अपने खून से सींचकर उसे इतना बड़ा बनाया था।
No comments:
Post a Comment