खेल और राजनिति आमने सामने
झारखण्ड में खेल और राजनिति एक दुसरे के आमने सामने है . राज्य में नवम्बर में राष्ट्रीय खेल होने वाले है लेकिन इसके बावजूद राज्य की राजनितिक पार्टिया राज्य में जल्द से जल्द चुनाव चाहती है . आपको बता दे की राष्ट्रिय खेल की तिथि पहले ही चार बार टल चुकी है .
झारखण्ड में राजनितिक पार्टियों बिच सायद ही कोई ऐसा मुद्दा हो जिसमे मतभेद न हो . लेकिन राज्य में चुनाव के मुद्दे पर राज्य की सारी राजनितिक पार्टिया सुर में सुर मिलाती है . फिर चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस इन सभी के लिए झारखण्ड में चुनाव सबसे जरुरी है . चुनाव के मुद्दे पर राजनेता यहाँ तक कहते है की अगर चुनाव की वजह से राष्ट्रीय खेल की तिथि टलती है तो टले लेकिन चुनाव राज्य की पहली प्राथमिकता है .
झारखण्ड में राष्ट्रीय खेल को लेकर पिछले कई सालो से तैयारिया चल रही है . इस राष्ट्रीय खेल के आयोजन के पीछे सरकार ने करोडो खर्च किये है .ऐसे में जिस तरह से चुनाव को जल्द करने की मांग उठ रही है इससे यहाँ के खिलाडियों में काफी निरासा है . खिलाडियों का कहना है की इस तरह से राजनीती की वजह से अगर खेल की तारीख आगे बढ़ी तो उनकी सारी मेंहनत पानी में मिल जायेगी .वही खेल संघ के अधिकारियो ने खेल की तारीख की जानकारी चुनाव आयोग को दे दी है .
राज्य में खेल पर फिलहाल राजनीती हावी होती दिख रही है . इससे एक बात तो तय है की राज्य के राजनेता भले ही खेल और खिलाडियों को लेकर लम्बी चौडी बाते कर ले लेकिन हकिकर कुछ और ही है . बहरहाल अगर इस बार भी राष्ट्रिय खेल की तारीखों में फेर बदल होते है तो झारखण्ड से इसकी मेजबानी छिन भी सकती है .
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