ट्रेन में बिश्वकर्मा pooja
धनबाद - हावडा कोलफिल्ड एक्सप्रेस फूल मालों से सजायी गई
है. आखिर सजे भी तो क्यों न आज विश्वकर्मा पूजा जो है. डेली पेसेंजर
द्वारा मनाया जाने वाला यह पूजा वर्ष २००० से चला आ रहा है. यूँ तो पुरे
देश में आज विश्वकर्मा पूजा मनाया जा रहा है, लेकिन इस पूजा की खासियत यह
है वे डेली पेसेंजर जो काम के लीये रोज सुबह घर से निकलते है और रात को
घर लौटते है . उनके लीये यही घर और द्वार दोनों है , इसलिए ये यात्री इस
पूजा को धूम धाम और गाजे बाजे के साथ मानते है.
धनबाद हावडा कोलफिल्ड एक्सप्रेस के डेली पेसेंजर इस ट्रेन को
अपने घर से भी ज्यादा अहमियत देते है . इनलोगों का कहना है हरदिन हम सुबह
इसी ट्रेन से अपने अपने काम पर जाते है और इसी से वापस भी लौटे है. ऐसे
में इस ट्रेन से खासा लगाव हो गया है. साथ ही इन लोगों का यह भी कहना है
की ट्रेन सही से चले और सभी यात्री अपने अपने घर ठीक ठाक पहुँच जाएँ और
कोई दुर्घटना नहीं हो इसके लीये ट्रेन में बाबा बिश्वकर्मा की पूजा की
जाती है. इसके लीये बजापते डेली पेसेंजर चंदा इकठा करते है और इससे पूजा
की सामग्री से लेकर फूल माला और गाजा बजा की व्यवस्था की जाती है.
ट्रेन में सफ़र करने वाले यात्री इस पूजा को काफी
हर्षोलाश के साथ मनाया करते है. जहाँ रात से ही ट्रेन के सभी बोगियों की
सफाई और सजाने का काम शुरू हो जाता है. वही सुबह होते ही गाजे बाजे की
धों पर डेली पेसेंजर अपने को नाचने से नहीं रोक पाते है. वहीँ दूसरी और
ट्रेन के चालक को इस बात का गर्व है की वे एक एसा ट्रेन चला रहे है जिसके
सभी यात्री अपने में मिलझुल कर बाबा की पूजा में भाग लेते है.
जहाँ ट्रेन के सभी पेसेजर इस पूजा को धूम धाम से मानते है वहीँ
उनलोगों को इस बात का दुःख है की ट्रेन की बोगियां बदले जाने से वे एक
दिन ही पूजा कर उसी दिन प्रतिमा का विसर्जन कर देंगे . जबकि हर साल यह
पूजा दो दिनों तक माने जाती थी. बहरहाल इस बार भी धूम धाम से विश्वकर्मा
की पूजा कर डेली पेसेंजर अपनी सुखद यात्रा की कामना कर रहें है.
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