मानो तो मैं गंगा मां हूं ... ना मानो तो बहता पानी...
इन गीतों के धुन आज भी गंगा मइया के लिए दिलों में श्गंरद्दधा जगाती है तो इस मैली होती गंगा के लिए कई बार कदम उठाए गए, मगर अब तक कोई माकूल बचाव नहीं हो सका. गंदगी की
मार झेल रही गंगा को गंदगी
बचाने के लिए सरकार ने ज़ोर
आजमाइश की लेकिन
फिर चाहे गंगा एक्शन प्लान
हो या नेशनल गंगा रिवर बेसिन
का गठन करोड़ो
रुपये खर्च होने के बाद भी
गंगा मैली ही है.
दुखों को दूर करने
वाली मां गंगा की गोद में भक्तगण
सालों-साल से डुबकियां
लगाते आए है... लेकिन
आज मां गंगा मैली हो चुकी
है...मैली गंगा को साफ किए
जाने की मुहिम छिड़ चुकी है...
लेकिन ये मुहिम सियासत
के गलियारों में कही नरम तो
कही गरम दिखाई दे रही है...
खासकर उस राज्य के
मुखिया के तेवर नरम दिखाई दे
रहे है जहां से गंगा निकलती
है...
विजय बहुगुणा को
छोड़कर तीनों मुख्यमंत्रियों
ने कहा कि गंगा साफ-सुथरी
और पवित्र होनी चाहिए...ये
बैठक का मुख्य मुद्दा था...
लेकिन परिणाम नहीं
निकला ... गंगा
के लिए अनशन तब तक जारी रहेगा...
जब तक कोई परिणाम
नहीं निकलता...
साल 1985 में
गंगा एक्शन प्लान लागू हुआ...
इसके तहत गंगा में
नालों को मिलने से रोकना था...
लेकिन ढाक के तीन पात
की तरह ये प्लान फेल हो गया...
पर्यावरण सुरक्षा
अधिनियम 1986 के तहत
नेशनल गंगा रिवर बेसिन का गठन
हुआ... जिसके तहत
गंगा की साफ-सफाई
और विभिन्न योजनाओं के लिए
2589 करोड़ रुपये
आवंटित किए गए थे... नेशनल
गंगा रिवर बेसिन की तीसरी बैठक
में गंगा को बचाने के लिए
बाचतचीत की गई...फिल्म राम तेरी गंगा मैली में अभिनेता राज कपूर ने इन गीतों के माध्यम से एक बड़ा थीम दिया था....
राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते-धोते.........
माना जा रहा है
कि गंगा की 50 फीसदी
गंदगी के लिए यूपी जिम्मेदार
है... अकेले इलाहाबाद
में गंगा और यमुना के 50 गरीब
नाले गिरते है...जबकि
गंगा एक्शन प्लान लागू होने
से पहले यहां केवल 13 नाले
थे.
हालांकि गंगा को बचाने के लिए विश्वबैंक ने भी 7 हजार करोड़ रुपये की मदद के लिए सहमति दी थी... यही नहीं साल 2010 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और देश की सात आईआईटी के बीच एक MO साइन हुआ... जिसका उद्देश्य नदी के पूरे सिस्टम को रिस्टोर करना और नदी के इकोलॉजिकल बैलेंस को बनाए रखना था... गंगा को साफ करने की मुहिम से जुड़े लोग अपने मकसद को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश के लिए तैयार है...
हालांकि गंगा को बचाने के लिए विश्वबैंक ने भी 7 हजार करोड़ रुपये की मदद के लिए सहमति दी थी... यही नहीं साल 2010 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और देश की सात आईआईटी के बीच एक MO साइन हुआ... जिसका उद्देश्य नदी के पूरे सिस्टम को रिस्टोर करना और नदी के इकोलॉजिकल बैलेंस को बनाए रखना था... गंगा को साफ करने की मुहिम से जुड़े लोग अपने मकसद को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश के लिए तैयार है...
गंगा एक्शन प्लान
कितने एक्शन में है... ये
गंगा में बहती गंदगी साफ बयां
करती है... ये हाल तब
है जब गंगा की सफाई को लेकर
सरकार 2 हजार करोड़
रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन
हैरानी है कि हालात जस के तस
बने है. एक लंबे समय से गंगा को बटाने की मुहिम जारी है, कोई इसका निदान नहीं निकल रहा है . अगर इस तरह इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कहीं गंगा भी विलुप्त सरस्वती नदी की तरह न हो जाए. और आने वाली पीढ़ी को सिर्फ किताब के पन्नों तक पढ़ने को मिले यानि कोरी कल्पना....