इच्छा मृत्यु मांग रही सोनाली .
बोकारो की 27 वर्षीय सोनाली मुखर्जी अपने जीवन की बोझ भरी जिन्दगी से
मायूस होकर इच्छा मृत्यु की मांग प्रशासन से कर रही है .सोनाली बोझ की जिन्दगी
जीने को मजबूर है पिछले आठ सालो से कानूनी प्रक्रिया में फंसे मामलों से अब सोनाली
पूरी तरह से उब गयी है .जिसके कारण सोनाली मुखर्जी इच्छा मृत्यु मांग रही है
.सोनाली की जिन्दगी को बर्बाद करने वाला तीन हैवान युवक को उसकी कड़ी की सजा तो नहीं मिली और पैसे के बल पर निचली अदालत से जमानत पर रिहा हो गया है और मौज मस्ती
की जिंदगी जी रहा है साथ ही बाहरी जिन्दगी मे सोनाली को बार -बार धमकी देने की वजह से
सोनाली का परिवार भागा फिर रहा है.पढने लिखने में तेज तर्रार सोनाली पढ़ लिखकर कुछ
करना चाहती थी .उसने झारखण्ड बिहार का एनसीसी का कॉलेज के समय मे कामंडेट भी रह
चुकी है और इस लिए सोनाली ने उन बदमाशों का मुकाबला किया लेकिन उन बुजदिलों ने सोनाली
को सोने के क्रम मे सोनाली के चेहरे पर तेजाब डाल दिया जिससे सोनाली का पूरा का
पूरा चेहरा जल गया .
बोकारो जिला के कसमार प्रखंड के धधकी गाँव की रहने वाली सोनाली वर्ष 2003
मे धनबाद के बरवाडा थाना के क्षेत्र मे अपने परिवार के साथ एक किराया के मकान में
रहती थी .सोनाली के पिता चंडी दास मुखर्जी एक निजी कंपनी में गार्ड का काम करते थे
.घर में बूढी दादी ,माँ ,पिता एक बहन और एक भाई था लेकिन उसी वर्ष के 22 अप्रैल को
एक ऐसा हादसा हुआ की जिससे न सिर्फ सोनाली की सूरत बदल गयी साथ ही जिन्दगी भी बदल
गयी .
पड़ोस के तीन मनचले युवकों ने अपने इस हैवानियाह से सोनाली को बदसूरत बना दिया
.इस हैवानियत के खेल मे सोनाली की बहन भी शिकार हुई लेकिन सोमा बहुत ज्यादा नहीं
जली ..यह घटना छेड़खानी का विरोध करने के कारण हुआ .मामला को बरवाडा थाना मे दर्ज
कराया गया है .तीनो मनचले युवक को कुछ साल की सजा भी हुई लेकिन उन लोगों ने उच्च
न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जहां से उन युवकों को जमानत मिल गया है.
सोनाली ने इन्साफ और मदद के लिए किसका दरवाजा तक नहीं खटखटाया विधायक से लेकर सांसद तक यंहा तक ही नहीं झारखण्ड के तीनो मुख्यमंत्री तक साथ ही शिबू सोरेन तक के घर का दरवाजा खटखटाकर गुहार लगायी लेकिन हार दरवाजे पर सिर्फ आश्वासन के
आलावे और कुछ भी हासिल नहीं हुआ तो सोनाली ने अब अपने जीवन से हारकर झारखण्ड के
महिला आयोग के कार्यालय पर अपनी इच्छा मृत्यु की गुहार लगायी है की मुझे अब मौत दे
दिया जाय ताकि सोनाली किसी की बोझ बनकर न रहे .
सोनाली के परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है पिता पूजा पाठ कराकर किसी तरह
से रोजी-रोटी चला रहे है.अपनी आँख गँवा चुकी सोनाली अपने पिता के लिए कुछ करना
चाहती है लेकिन अब वह हर तरफ से निराश होकर मरना चाहती है सोनाली को लगता है की इस
जिन्दगी से बेहतर मौत हीं है और इसीलिए सोनाली इच्छा मृत्यु की मांग प्रशासन से कर रही है.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चाहे कितने भी कदम उठाए जाएं, आरोपियों को सजा भी मिल जाए तो क्या सोनााली की पुरानी यादें...दिलों में संजोए सपने..और उसका बीता हुआ कल कौन लौटाएगा...उसके आंखों की रौशनी कोन लौटाएगा...और आखिरकार बेचारी बनकर रह गई सोनाली किसी के टुकड़े पर किसी तरह जिंदगी काटने से बेहतर उसने समझा की क्यों न अपनी जिंदगी को हमेशा के लिए खत्म करलूं....जरा सोचो न्याय दिलाने वालों अगर आपके घर वालों के साथ ऐसा होता तो क्या करोगे...यह एक सवाल है.....
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