मेघा तुम पर नाज़ है
नक्सल प्रभावित इलाके से मेघा बनी फिल्मी दुनिया की गायक....
पलामू हमेशा से अकाल सुखाड़ नक्सल हिंसा
के लिए पूरे देश में जाना जाता है., पूरे देश में पलामू की नकारात्मक क्षवि रही है, अब
इस सकारात्मक छवि को बदल रही है पलामू की एक बेटी. मेघा श्रीराम नामक यह बेटी आज
पलामू जैसे छोटे जगह से निकल कर मुंबई तक का सफ़र तय किया है . जहां के लोग गोली
बन्दुक और विस्फोट की आवाज सुनते और जानते है आज वहां की बेटी अपनी आवाज से पूरे
देश में मशहुर हो गई है.
अपनी जादुई आवाज से लोगो को
मंत्रमुग्ध कर देने वाली मेघा श्रीराम पलामू के डाल्टनगंज की रहने वाली है. एक
मध्यमवर्गीय परिवार से आती है . मेघा आज हिमेश रेशमिया , मधुरभंडारकर जैसे
संगीतकारों के साथ काम कर रही है. मेघा ने तेरह वर्ष की उम्र से गाना प्रारभ किया
था. अपनी माँ के कहने पर उसने संगीत के क्षेत्र में कैरियर बनाने
की सोची,इस दौरान मेघा को भारत सरकार से स्कॉलरशिप
भी मिली . शिक्षा के बाद मेघा ने मुम्बई का रुख किया जहां उसे अपनी आवाज के बल पर
काम मिलना प्रारम्भ हो गया. मेघा से सबसे पहले इकबाल फिल्म के लिये गाना गाया.उसके बाद मेघा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.मेघा MTV कोक से काफी मशहुर
हुई.
बकौल मेघा उसने
बहुत ही मुश्किल भरा सफ़र तय किया है.पलामू जैसे छोटे शहर से होने के बावजूद उसने
संगीत के क्षेत्र में अपनी कैरियर बनायी. जहां इसके बारे में सोचना भी गुनाह है.खासकर के एक कट्टर परिवार से होने पर . शुरुवाती दौर में लोगों से उन्हें ताने भी
सुनना पड़ा.लेकिन परिवार का सहयोग उसे मिलता रहा,आज वह झारखंड के लिए कुछ करना
चाहती है,मेघा का कहना है की भोजपुरी संगीत आज काफी मशहुर है इसी तरह वह नागपुरी
को भी मशहुर करना चाहती है और कुछ करना चाहती है,परिवार के लोग भी मेघा से
काफी खुश हैं,उनका कहना है उनकी बेटी उनके नाम के साथ गांव और सूबे का भी नाम रौशन कर रही है
मेघा का जुड़ाव थियटर के
तरफ जायदा है,उसका कहना है की उसका थियटर से काफी लगाव है,हलांकि प्लेबैक गाना गाती हैं,लेकिन उसे जो
मजा थियटर में आता है और कहीं
नहीं,आर्ट थियटर में
मुश्किल सफ़र होने के बावजूद उन्होंने इसे कैरियर के रूप में लिया.इसके पीछे वह
कारण बताती है की वह तकनीक का सहारा नहीं लेना चाहती है तकनिकी से आवाज खो जाती है.धीरे-धीरे उनकी पहचान भी थियटर से जुड़ी है....
No comments:
Post a Comment