महादलितों के लिए बनी योजनाएं नहीं उतरी जमीन पर
राज्य महादलित
आयोग सूबे के महादलितों के
कल्याण के लिए बना। बने हुए
पांच साल भी हो गये...इन
पांच सालों में महादलितों के
की योजनाएं पूरी तरह जमीन पर
तो नही उतरीं लेकिन आयोग के
भीतर की अनियमितताएं और आपसी
खीचतान सतह पर जरुर आ गया है।
राज्य महादलित
आयोग में सब कुछ ठीक ठाक नही
चल रहा है। इस बात की तस्दीक
आयोग के सदस्य रामचंद्र राम
का इस्तिफा देते वक्त उठाये
गये सवाल ही करते है।
राज्य महादलित
आयोग के अध्यक्ष उदय मांझी
अपने सदस्य के इस्तिफे की नियत
पर तो सवाल उठा रहें है लेकिन
इस्तिफे के वक्त उठाये गये
एतराजों से भी इत्तेफाक रखते
है।
लड़ाई महज़ राज्य
महादलित आयोग और राज्य महादलित
मिशन की नही है। आयोग के अध्यक्ष
समेत सदस्य भी तकरीबन 9
महिनों से दफ्तर में अपने
सचिव का दिदार तक नही कर पाये
है। उनका चेंम्बर में खाली
पड़ी ये कुर्सी इस बात की तस्दीक
भी करती है।
जिस संस्था के
कंधों पर महादलितों के कल्याण
की जिम्मेवारी है,
वहीं पर अंधेरगर्दी के ये
नमूने इस बात को बताने के लिए
लिए काफी है कि महादलितों की
जमीनी हलकीकत सूबे में कहां
है।
प्रमोद चतुर्वेदी की रिपोर्ट
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