भोजपुरी अकादमी
के अध्यक्ष रविकांत
दुबे के साथ मुरली की भेंटवार्ता
सड़क से सदन तक भोजपुरी के
लिए संघर्ष जारी है...कभी
आठवीं अनुसूची में दर्ज करने
के लिए...तो
अब भोजपुरी दिवस के रुप में
मनाने के लिए भी आवाज उठने लगी
है.
भोजपुरी
एक लोकप्रिया भाषा है...इसे
बोलने वाले लोगों की संख्या
25-30 करोड़ से
भी ज्यादा है...इस
भाषा के बोलने वाले हिन्दुस्तान
के पूर्वोत्तर राज्यों के
अलावे कई देशों में भी हैं....लेकिन
इसके लिए कोई दिवस अब तक नहीं
निर्धारित किया जा सका है....
भोजपुरी
के विकास और संवैधानिक पहचान
के लिए सड़क से लेकर सदन तक
लड़ाई लड़ी जा रही है...की
लड़ाई लड़ी जा रही है...इसे
अष्टम सूची में दर्ज करने की
बात पर बहस का होना आम हो
गया है...लेकिन
भोजपुरी भाषी ही अपने घर में
भोजपुरी बोलने से परहेज कर
रहे हैं...जब
तक घर में नहीं बोली जाएगी
विकास संभव नहीं...
(पी.चिदंबरम
ने सदन में कहा था -
हम रउवा सभे के भावना के
समझत बानी....मगर
वो भावना के साथ अब तक कोई
निर्णायक भूमिका नहीं निकाल
सके...)
भोजपुरी
को आठवीं अनुसूची में दर्ज
करने के लिए आम-आवाम
की उठती आवाज के बाद सदन में
भी यह आवाज गुंज गई...लेकिन
इस पर कितना कारगर कदम उठाया
गया सभी वाकिफ हैं.....
अब देखने
वाली बात है कि कब तक भोजपुरी
को आठवी अनुसूची में जगह मिलती
है...और इसके
लिए किसी दिवस का कब तक निर्धारण
किया जा सकेगा...
मुरली
मनोहर श्रीवास्तव
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