इंसेफेलाइटिस और मां की चीत्कार.............
मां तेरा आंचल रोज सूना हो रहा है
कितनों के कूल के दीप बुझ रहे हैं
दिल दहल जाता है, उस मां को देखकर
जिनका हंसता-खेलता मासूम,
पल-पल कूम्हला रहे हैं.
मां जब रोती है तो कहती है,
मेरा लाल तू कुछ बोलता क्यूं नहीं
यह सुनकर रोज,
अस्पतालों में रोगटे खड़े हो रहे हैं.
जाने क्यूं नहीं सुनते सरकार के रहनुमा
या फिर सुनकर अंजान बन रहे हैं.
अरे, जाकर देखो क्या होती है मां की ममता
जिनके घरों में खाने को दाने नहीं
वो कैसे अपनों का इलाज करा रहे हैं.
धरती के रहनुमाओं को नहीं सुनायी देती
हे प्रभु तु ही कुछ कर, मां की चीत्कार को सुनकर
अपनों की रक्षा करने के लिए
आंखों में अश्क भरकर पल-पल गुहार लगा रहे हैं……मुरली...
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