मुझे
एक बेटी
है
बेटी
!
प्रेम
और पीड़ा का प्रतीक है.
प्रेम
उनके लिए ,
मेरे
लिए
जो
जननी के रूप में
देखते हैं.
पीड़ा
उनके लिए
जो
दकियानुसी विचारों में जीते
हैं.
बेटी
क्या होती है ?
एक
बाप ही समझ सकता है.
क्योंकि
अक्सर
पत्नी से
जब
सुखद विवाद होता है,
तो
बेटी ही बाप का पक्ष लेती है.
मैं
खुशनसीब हूं,
मुझे
एक बेटी है.
थक
हारकर जब आता हूं
तो
बड़े प्यार से कहती है
पापा,
आप क्यों उदास
हो
फिर
चेहरे पर हंसी लौट आती है.
आज
की बेटी
कल
की समाज है
बेटी
मुझे है,
मुझे इस पर गर्व
है
ईश्वर
आपको भी दे
यही
कामना है.
.......सुनील
पांडेय (पत्रकार)
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