नरेगा नहीं काल
नरेगा आया गरीबों के उद्धार के लिए। इसके आते ही लगने लगा जैसे अब सही में गरीब-गुरबा के जीवन में नई रौशनी आ जाएगी। अब उन्हें दो जून रोटी खातिर भटकना नहीं पड़ेगा। जीवन में खुशियां आएंगी। अब रहेंगे मौज में। पर ऐसा हो न सका। नरेगा जैसे-जैसे पांव पसारता गया गरीबों पर कहर बनके टूटने लगा। झारखंड में तो इसका इतना खौफ है कि वहां के लोग अब ये कहने लगे हैं कि-नरेगा जो करेगा वो मरेगा।
नरेगा को लेके सरकार चाहे जितना ढोल पीट ले--कि ये गरीब-गुरबा के बेहतरी के लिए है। उनके हाथ में हरदम काम और दू गो पैसा रहेगा। पर झारखंड में यही नरेगा कहर बनके टूटा है। इसको लेके गरीबों में इतना खौफ है कि अब वो इसका नाम तक लेना नहीं चाह रहे।
ललित प्राकृति आपदा या रोड एक्सीडेंट से नहीं, नरेगा के चलते ही जान गंवा बैठा। झारखंड का ललित इसका शिकार होने वाला अकेला शख्स है ऐसी बात नहीं। तापस सोरेन, तुरिया मंुडा के नाम भी इसमें शामिल हैं। जो नरेगा के काल के गाल में शमा
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