Saturday, October 10, 2009




याद आये गुरू दत

हिन्दी फिल्मों के महान निर्दंेषको की बात चले और गुरूदत का नाम नही आये यह हो ही नही सकता । वह एक महान निर्देषक नही बल्कि एक सफल , लेखक , निर्माता , एवं अभिनेता भी थे गुरू दत का आज 45 वी पुण्यतिथि मनाया जा रहा है
भारतीय फिल्म को एक मुकाम पर लंे जाने वाले गुरू दत का जन्म 9 जुलाई 1925 को बंगलौर में हुआ था । गुरू दत का पूरा नाम गुुरूदत षिव ष्षंकर पादूुकोने थे लेकिन फिल्मी दुनिया में आने के बाद उनका नाम गुरू दत हेा गया । अपनंे फिल्मी कैरियर की ष्षुरूआत 1944 में बनी फिल्म चाॅद से श्रीकृष्ण की एक छोटी सी भूमिका से की थी ष्षूरूआत की । 1945 में उन्होने लाखारानी में निर्देषक विश्राम बेडेकर के साथ निर्देषक का जिम्मा भी सभाला । इसके बाद 1946 में गुरूदत ने पीएल संतांेषी कंी फिल्म हम एक है के लिए सहायक निर्दंेषक और नृत्य निर्देषन भी किया । उसके बाद कई उतार चढाव देखने के बाद उन्होने 1957 में प्यासा नाम की फिल्म बनाई उसके बाद 1960 में कागज के फुल , चैदहवी का चाॅद , साहिब बीबी और गुलाम , जैसी फिल्मेा को बनाया । फिल्मों के हर क्षेत्र में अपने को साबित करने वाले गुरूदत अपने पारिवारिक जीवन का संजोय नही रख पाये
फिल्मों में काम करने जुनून इस कदर था । की वे परिवार को ज्यादा समय नही दे पायंे जिसक फल यह हुआ कि उनका परिवारिक जीवन बिखरता चला गया । और जीवन में वे बिलकुल तन्हा हो गये । इस गम से निकलने के लिए वे ष्षराब का सहारा लियंे उन्होने ष्षराब के प्याले में अपने को इस तरह डंुबाया की फिर कभी नही निकले और इसी के कारण वे केवल 39 साल के उम्र में इस लकी कलाकार की अनलंकी मौत हो गयी .




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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....