Friday, October 9, 2009

शिक्षा का गिरता स्तर ---------------------

शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है। शिक्षित होना सबके लिए जरूरी है। लेकिन अब शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे गिरता जा रहा है। वर्तमान परिवेश में शिक्षा एक व्यापार बन कर रह गया है। प्राइवेट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज का खुलना इसका प्रमाण है। सामान्य शिक्षा प्रणाली की बातें सिर्फ पन्नों में ही सिमट कर रह गयी है।
शिक्षा में सुधार के लिए चलाये जाने वाले अभियान जमीन पर नहीं उतर पाते हैं। शिक्षा का अलख जगाने और उसे गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए प्रयास तो किये गये। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। शहरी माहौल में रह चुके शिक्षक गांव जाने से कतराते हैं, तो गांव से ताल्लुक रखने वाले शिक्षक आराम फरमाते हैं।
अब नेताओं को लें, ये बातें तो सरकारी स्कूलों की करते हैं, लेकिन खुद उनके बच्चे अंगरेजी स्कूलों में पढ़ते हैं। फिर सुधार करने की बात कहां से सोची जा सकती है ?
अगर विदेशों में शिक्षा के स्तर की बात करें, तो यहां शिक्षा का स्टाइल कुछ अलग हटकर है। यहां जिस बच्चों का जिस क्षेत्र में मन लगता है, उसी क्षेत्र में उसे करियर बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। जबकि हमारे यहां वो बात नहीं है।
पढ़ाई नॉलेज बेस्ड होनी चाहिए। सैम पित्रोदा की अध्यक्षता वाले नॉलेज कमीशन क्या कर रहा है, किसी को नहीं पता। क्या यह अपने मकसद में कामयाब है या नही ? इस तरह और भी कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं वो कहां तक सार्थक साबित हो रहा है. इस स्तर में सुधार के लिए हर कोई जिम्मेदार है....हर कोई को अपने स्तर से जुटना पड़ेगा.

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....