बाबू मोसाय...ये दुनिया एक रंगमंच है....
...जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मोकाम वो फिर नहीं आते.........
...जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मोकाम वो फिर नहीं आते.........
.........और हम सब की डोर उपर वाले की हाथ में है....वो जब चाहे....जैसे चाहे नचा सकता है......यह डायलॉग आज भी लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई है......और हो भी क्यो नहीं...सच्चाई से रुबरु कराती है.....राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के इस जीवंत भूमिका ने फिल्म जगत में इतिहास रच दिया.......राजेश आज जिन्दगी के इस पड़ाव पर भी
अपने रूमानी अंदाज, जीवंत अभिनय और कामयाब फिल्मों के बूते करीब डेढ़ दशक तक सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज करते रहे......राजेश खन्ना के रूप में हिन्दी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था।29 दिसम्बर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। उनका अभिनय का शुरुआती अच्छा नहीं रहा.....बाद में इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती है।परिवार से खिलाफत कर बतौर एक्टर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 वर्ष की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा में कदम रखा। बाद में बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आईं मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वे युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वे हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशंसकों के दिलोदिमाग पर छा गए।आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा-झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया।वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेहँदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिये उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा।भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इनसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया।राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिए वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया।वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई। उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा-रानी और आविष्कार में जोड़ी बनाई जबकि दो रास्ते, बंधन, सच्चा-झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई।संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिन्दी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से विवाह किया और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। हालाँकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया।करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे।वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई वफा के साथ उनका सफर अब भी जारी है।...सदी के ऐसे बहुत कम ही अभिनेता हुए जिनके नाम आज भी है......और उनके जन्म दिन पर लॉट आफ कॉन्ग्राचुलेशन डीयर राजेश.....
अपने रूमानी अंदाज, जीवंत अभिनय और कामयाब फिल्मों के बूते करीब डेढ़ दशक तक सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज करते रहे......राजेश खन्ना के रूप में हिन्दी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था।29 दिसम्बर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। उनका अभिनय का शुरुआती अच्छा नहीं रहा.....बाद में इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती है।परिवार से खिलाफत कर बतौर एक्टर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 वर्ष की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा में कदम रखा। बाद में बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आईं मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वे युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वे हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशंसकों के दिलोदिमाग पर छा गए।आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा-झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया।वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेहँदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिये उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा।भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इनसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया।राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिए वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया।वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई। उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा-रानी और आविष्कार में जोड़ी बनाई जबकि दो रास्ते, बंधन, सच्चा-झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई।संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिन्दी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से विवाह किया और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। हालाँकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया।करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे।वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई वफा के साथ उनका सफर अब भी जारी है।...सदी के ऐसे बहुत कम ही अभिनेता हुए जिनके नाम आज भी है......और उनके जन्म दिन पर लॉट आफ कॉन्ग्राचुलेशन डीयर राजेश.....
.......घुंधरु की तरह बजता ही रहा हूं मै.......
प्रस्तुति--सिमरन
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