ओझल हो जाऐं
भूल न जाना अंजाने को,जो राहों में मिल गया था.
मिली थी इक नजर बस तेरा होकर रह गया था.
सफर करते-करते,इतनी दूर निकल गए
दूर जाने की बातें की, आंसू छलक गए
दुनिया की भीड़ में, बहुतेरे लोग मिले
ये मुझे क्या हुआ,बस तेरे होकर रह गए
दर्द तो पलते रहे,सब खिलखिलाते रहे
जख्म पर मरहम लगाया,उम्मीद पल गए
चल दूर इस जहां से,नई दुनिया बसाऐं
जहां हम-तुम,दो टूक गुफ्तगु कर पाएं
मंजिल-ए-जिंदगी का क्या कुछ कहूं
जहां को रास न आए,ओझल हो जाऐं
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव
मिली थी इक नजर बस तेरा होकर रह गया था.
सफर करते-करते,इतनी दूर निकल गए
दूर जाने की बातें की, आंसू छलक गए
दुनिया की भीड़ में, बहुतेरे लोग मिले
ये मुझे क्या हुआ,बस तेरे होकर रह गए
दर्द तो पलते रहे,सब खिलखिलाते रहे
जख्म पर मरहम लगाया,उम्मीद पल गए
चल दूर इस जहां से,नई दुनिया बसाऐं
जहां हम-तुम,दो टूक गुफ्तगु कर पाएं
मंजिल-ए-जिंदगी का क्या कुछ कहूं
जहां को रास न आए,ओझल हो जाऐं
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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