दूर दूर तक फैली
हरियाली,
किसी भी इंसान के चेहरे
पर खुशी ला दे....लेकिन
ये हरियाली कईयों की जान लेने
के लिए काफी है,,,,दरअसल
ये हरियाली है नशे की...यानी
अफिम की...बिहार
के औरंगाबाद,
गया
और भगलपुर के कई जिलों में
बेरोजगारी और गरीबी से परेशान
किसानों ने अफीम की खेती का
जरिया चुना है जिससे इन्हें
कम रकम में अच्छा मुनाफा होता
है....लेकिन
ये खेती किसान खुशी से नहीं
करते बल्कि जबरन या प्रलोभन
देकर कराई जाती है....मौत
के इस फसल को नष्ट करने के लिए
अभियान भी छिडा़....इस
दौरान औरंगाबाद पुलिस ने दस
एकड़ में फैले अफीम की खेती
को नष्ट भी किया...
पुलिस
अफीम की होर ही अवैध खेती पर
लगातार छापेमारी कर रही
है...लेकिन
फिर भी अफीम की अवैध खेती का
दायारा बढ़ता जा रहा है...मुद्दा
इतना गंभीर हो गया है कि ये
मुद्दा बिहार विधानसभा में
भी गूंजा...सरकार
ने माना कि कई जिलों में चोरी
छुपे अफीम की खेती की जा रही
है और इसके पीछे दूसरे राज्य
के संगठित अपराधी भी काम कर
रहे हैं...
किसान
मजबूर है,
तंगहाली
में जिंदगी गुजार रहे है......ऐसे
में गरीबी और प्रलोभन उन्हें
नशे की खेती के लिए मजबूर कर
रही है...मामला
गंभीर हैलेकिन इसके साथ ही
कई सवाल भी खड़े है...आखिर
क्यों अपराधियों की दबिश में
किसान आ जा रहे हैं...क्यों
इन्हें अफीम की खेती के लिए
मजबूर कर दिया जा रहा है....सवाल
कई है...लेकिन
जवाब के नाम पर लगाम लगाने
वाले अभियान के भरोसा और उम्मीद
का आश्वासन..
No comments:
Post a Comment