गढवा जिले के
प्रतापपुर गांव में सालों से
फ्लोराईड अपना कहर बरपा रहा
है...गांव के
90 फीसदी लोग
फ्लोराईड की चपेट में है....दूषित
पानी की वजह से इस गांव से
अर्थियां तो उठती हैं,
पर सालों से इस गांव से शहनाई
की गूँज सुनाई नहीं पड़ रही
है....इसके
बावजूद भी इस तऱफ किसी का ध्यान
नहीं है.
जिला मुख्यालय
से महज 10 कि0
मी0 दूर,
प्रकृति की नाइंसाफी झेलता
प्रतापपुर गाँव....वो
गाँव जहाँ के पानी में घुला
है जहर... फ्लोराईड
नाम का जहर...इस
जहरीले पानी को पीने से कोई
कुपोषित हो रहा है,
कोई अपाहिज,
तो कोई हो जा रहा है वक्त
से पहले बूढा...इस
गांव में फ्लोराईड का कहर
कुछ ऐसे बरपा कि इस गांव से
जनाजे तो निकलते हैं पर न तो
यहाँ नई- नवेली
बहू आती है और ना उठती है किसी
बेटी की डोली...गांव
में छाए इस मातम से हर कोई मायूस
है...
प्रतापपुर के
ग्रामीणों को जनता के नुमाइंदे
और सफेद लिबास वाले नेता एक
अरसे से फ्लोराईड मुक्त जल
मुहैया कराने की बात कर रहे
हैं, ये बात
दिगर है कि उनमे से शायद ही
किसी ने एक अदद कोशिश की
हो...प्रशासनिक
कार्रवाई की बात करें तो 7
साल पहले गांव के चापाकलों
में फ्लोराईडरोधी मशीन लगाई
गई, लेकिन
विभाग उसका रख-
रखाव तक नहीं कर पाई...कागजों
पर तो जल निर्माण योजनो भी
उकेरी गई, पर
विभागीय उदासिनता और ठेकेदारों
की लापरवाही इस योजना को भी
ले डूबी...ऐसे
में जिला प्रशासन चापानल का
सर्वे कर रही है,
प्रशासन की माने तो यहाँ
11 कल फ्लोराईड
वाले को चिन्हित किया गया,
जबकि सिविल सर्जन ने कम
फ्लोराईड वाले चापानल की
संख्या चार बताई है....
फिलहाल ये वक्त
आँकड़ो की फजीहत में फँसने
की नहीं बल्कि जहर घुले पानी
को पीने लायक पानी में तब्दील
करने की है....प्रतापपुर
के ग्रामीणों को अब भी उम्मीद
है देर आए जिला प्रशासन के
दुरूस्त आने की...
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