विशेष राज्य
का दर्जा देने की मांग को लेकर
आज दिल्ली में बिहार के सीएम
नीतीश कुमार ने रैली की ....
रामलीला
मैदान में हुई रैली में सबसे
बड़ा सवाल ये उभरा कि क्या
नीतीश बिहार के बहाने दिल्ली
में पीएम की उम्मीदवारी की
दस्तक दे रहे हैं....
इस रैली
से कई ऐसे संकेत निकल रहे जो
देश में भविष्य की राजनीति
पर असर डाल सकते हैं.
दिल्ली
का रामलीला मैदान वैसे तो कई
आंदोलनों और रैलियों का गवाह
बना है लेकिन इस मैदान पर पहली
बार है जब किसी राज्य की सरकार
के मुखिया ने राज्य के विकास
के नाम पर रैली की....
. खास
ये भी है कि इस रैली में उसने
एनडीए में अपने सहयोगी और
बिहार की सत्ता में साझेदारी
बीजेपी को भी शामिल नहीं किया
है.
दिल्ली
में नीतीश की रैली,
सिर्फ
और सिर्फ जेडीयू की रही और
जिसमें सबसे बड़ा चेहरा रहे
नीतीश कुमार.....
. वैसे
6
फरवरी
को दिल्ली के SRCC
कॉलेज
से गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की
दौड़ शुरू की थी,
मुद्दा
बनाया था विकास को.
अब SRCC
कॉलेज
से करीब आठ किलोमीटर दूर रामलीला
मैदान में नीतीश की रैली इस
बात का ऐलान है कि नीतीश भी
दिल्ली की इस दौड़ में शामिल
हैं.
इस रैली से
नीतीश का दोहरा फायदा उठाते
की कोशिश में दिखे........
एक तो
वो बिहार में जातिगत फैक्टर
से ऊपर उठकर वोटरों को एकजुट
करते दिखे........
और दूसरा
ये कि इस रैली से बीजेपी को
दूर रखकर वो भविष्य का रास्ता
भी खुला रखने के संकेत दे गए...
जो
बीजेपी के लिए एक चेतावनी से
कम नहीं है.
. नीतीश
ये कोशिश करते दिखे कि विकास
का पत्ता खेलते हुए वो नए ऐसे
राजनैतिक समीकरण की तरफ बढ़े
सकें जहां उनका समर्थन करने
वालों की एक बड़ी तादाद हो
जिसका फायदा वो आने वाले वक्त
में उठा सकें.
. नरेंद्र
मोदी की दिल्ली में पीएम बनने
की संभावना को लेकर नीतीश और
जेडीयू की नराजगी किसी से छिपी
नहीं है.
17 मार्च
को मुंबई में नरेंद्र मोदी
भी रैली करना चाहते थे लेकिन
खबरों के मुताबिक नीतीश के
विरोध की वजह से मोदी की ये
रैली रद्द कर दी गई.
कहा गया
कि बीजेपी फिलहाल नीतीश को
नाराज नहीं करना चाहती.
बिहार
में कुल 40
लोकसभा
सीट हैं जिसमें 2009
चुनाव
में जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर
32
सीट
जीती थीं.
इसके
बाद हुए विधानसभा चुनाव में
भी बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर
243
सीटों
में से 206
विधानसभा
सीट जीती थीं.
ऐसे
में बीजेपी ये बिल्कुल नहीं
चाहेगी कि बिहार का ये विनिंग
कॉम्बीनेश टूटे या फिर नीतीश
पाला बदलकर यूपीए की तरफ चले
जाएं.
इस
रैली से नीतीश अपनी दिक्कतें
से भी ध्यान हटाने की कोशिश
में भी दिखे...
. कॉन्ट्रैक्ट
शिक्षकों पर लाठीचार्ज मामले
में नीतीश को विपक्ष पूरी तरह
से घेर रहा है.
बिहार
में कानून व्यवस्था को भी
लगातार मुद्दा बनाए जाने की
कोशिशें की जा रही हैं.
वहीं
नीतीश के विरोध में भी लालू
यादव,
पासवान
और उपेंद्र कुशवाहा ने भी नए
समीकरणों की तलाश शुरू कर दी
है.
नीतीश
ने रैली के जरिए पूरी कोशिश
की कि रामलीला मैदान पर विराट
रूप दिखा कर अपने कार्यकर्ताओँ
और वोटरों में नई उम्मीद जगा
जाएं.
नीतीश
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