मां
हर पल, दर्द को सहने वाली
जुबां से उफ! न कहने वाली
हर मुश्किल से लड़ने वाली मां!
तू और तेरी ममता बड़ी निराली है.
तन से अपने साट-साटकर
मुझको जीवन देती हो
लाख मारी पैरों को तन पर
उसको हंस-हंस सहती हो
सोचता हूं, कितनी धीरज वाली है मां!
बिस्तर हो गए गिले तो
खुद उस पर सो,
हमे उससे बचाती हो
लगे किसी की नजर न हमको
सीने से लगा हौसला देने वाली है मां!
भूख लगे तो दूध पिलाया
चोट लगी ममता के मरहम लगाती हो
खुद तो भूखे सो जाती
चेहरे पर शिकन नहीं दिखाती हो मां
तू कितनी प्यारी हो!
जिन्दगी की खुशीयां कुर्बान करने वाली है मां!
पौधों सा सींच-सींचकरएक दिन बड़ा बनाती हो
ये कैसी दुनियां की रीत
उम्मीदों की दुनियां में खुद बुढ़ी हो जाती हो
पर!
तेरी ममता हर पल जवां रहने वाली है मां!
दुनियां के कोने-कोने में
ढूंढ़ा मां की ममता हीं सबसे प्यारी है
ढंूढ़ रहा था मंदिर-मस्जिद में तुझको
घर में बैठी अमृत की प्याली है मां!
हर मुश्किल को सहने वालीजीवन के गुर सीखाती हो
हो गया जब बड़ा लाड्ला
प्यारी सी दुल्हन घर में लाती हो
माथे को चुमकर,उसे भी गले लगाती हो
थक गई तू जो हर मुश्किल को सहने वाली है मां!
खुशीयों का एक बाग सजाकर
फूल रंग-बिरंगे खिलाया था
कैसा अब ये दिन आया
सब आंखों से ओझल हो जाते हैं
कितने दिन की मेहमां,
गम को अंदर पीने वाली है मां!
एक दिन ऐसा भी आया
बुढ़ी हो गई मां उसे भी
अब तेरी जरुरत है
नहीं चाहिए रुपया-पैसा
तेरे ममता की उन्हें जरुरत है
धरती सा धीरज,
कुछ न कहने वाली हैमां !-----------------मुरली मनोहर श्रीवास्तव9430623520/9234929710
हर पल, दर्द को सहने वाली
जुबां से उफ! न कहने वाली
हर मुश्किल से लड़ने वाली मां!
तू और तेरी ममता बड़ी निराली है.
तन से अपने साट-साटकर
मुझको जीवन देती हो
लाख मारी पैरों को तन पर
उसको हंस-हंस सहती हो
सोचता हूं, कितनी धीरज वाली है मां!
बिस्तर हो गए गिले तो
खुद उस पर सो,
हमे उससे बचाती हो
लगे किसी की नजर न हमको
सीने से लगा हौसला देने वाली है मां!
भूख लगे तो दूध पिलाया
चोट लगी ममता के मरहम लगाती हो
खुद तो भूखे सो जाती
चेहरे पर शिकन नहीं दिखाती हो मां
तू कितनी प्यारी हो!
जिन्दगी की खुशीयां कुर्बान करने वाली है मां!
पौधों सा सींच-सींचकरएक दिन बड़ा बनाती हो
ये कैसी दुनियां की रीत
उम्मीदों की दुनियां में खुद बुढ़ी हो जाती हो
पर!
तेरी ममता हर पल जवां रहने वाली है मां!
दुनियां के कोने-कोने में
ढूंढ़ा मां की ममता हीं सबसे प्यारी है
ढंूढ़ रहा था मंदिर-मस्जिद में तुझको
घर में बैठी अमृत की प्याली है मां!
हर मुश्किल को सहने वालीजीवन के गुर सीखाती हो
हो गया जब बड़ा लाड्ला
प्यारी सी दुल्हन घर में लाती हो
माथे को चुमकर,उसे भी गले लगाती हो
थक गई तू जो हर मुश्किल को सहने वाली है मां!
खुशीयों का एक बाग सजाकर
फूल रंग-बिरंगे खिलाया था
कैसा अब ये दिन आया
सब आंखों से ओझल हो जाते हैं
कितने दिन की मेहमां,
गम को अंदर पीने वाली है मां!
एक दिन ऐसा भी आया
बुढ़ी हो गई मां उसे भी
अब तेरी जरुरत है
नहीं चाहिए रुपया-पैसा
तेरे ममता की उन्हें जरुरत है
धरती सा धीरज,
कुछ न कहने वाली हैमां !-----------------मुरली मनोहर श्रीवास्तव9430623520/9234929710
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