११
अगस्त,
१९४२
को सचिवालय गोलीकाण्ड बिहार
के इतिहास वरन् भारतीय
स्वतन्त्रता आन्दोलन का एक
अविस्मरणीय दिन था । पटना के
जिलाधिकारी डब्ल्यू.
जी.
आर्थर
के आदेश पर पुलिस ने गोलियाँ
चलाने का आदेश दे दिया । पुलिस
ने १३ या १४ राउण्ड गोलियाँ
चलाईं,
इस
गोलीकाण्ड में सात छात्र शहीद
हुए,
लगभग
२५ गम्भीर रूप से घायल हुए ।
११ अगस्त,
१९४२
के सचिवालय गोलीकाण्ड ने बिहार
में आन्दोलन को उग्र कर दिया
सचिवालय
गोलीकाण्ड में शहीद सात महान
बिहारी सपूत-
१.
उमाकान्त
प्रसाद सिंह-
राम
मोहन राय सेमीनरी स्कूल के
१२वीं कक्षा का छात्र था ।
इसके पिता राजकुमार सिंह थे
। वह सारण जिले के नरेन्द्रपुर
ग्राम का निवासी था ।
२.
रामानन्द
सिंह-
ये
राम मोहन राय सेमीनरी स्कूल
पटना के ११ वीं कक्षा का छात्र
था । इनका जन्म पटना जिले के
ग्राम शहादत नगर में हुआ था
। इनके पिता लक्ष्मण सिंह थे
।
३.
सतीश
प्रसाद झा-
सतीश
प्रसाद का जन्म भागलपुर जिले
के खडहरा में हुआ था । इनके
पिता जगदीश प्रसाद झा थे । वह
पटना कालेजियत स्कूल का ११वीं
कक्षा का छात्र था । सीवान
थाना में फुलेना प्रसाद
श्रीवास्तव द्वारा राष्ट्रीय
झण्डा लहराने की कोशिश में
पुलिस गोली का शिकार हुए ।
४.
जगपति
कुमार-
इस
महान सपूत का जन्म गया जिले
के खराठी गाँव में हुआ था ।
५.
देवीपद
चौधरी-
इस
महान सपूत का जन्म सिलहर जिले
के अन्तर्गत जमालपुर गाँव
में हुआ था । वे मीलर हाईस्कूल
के ९वीं कक्षा का छात्र था ।
६.
राजेन्द्र
सिंह-
इस
महान सपूत का जन्म सारण जिले
के बनवारी चक ग्राम में हुआ
था । वह पटना हाईस्कूल के ११वीं
का छात्र था ।
७.
राय
गोविन्द सिंह-
इस
महान सपूत का जन्म पटना जिले
के दशरथ ग्राम में हुआ । वह
पुनपुन हाईस्कूल का ११वीं का
छात्र था ।
नमक
सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा
आन्दोलन,
साइमन
कमीशन वापस जाओ आन्दोलन,
बिहार
में स्वराज पार्टी
चौरा-चौरी
काण्ड से दुःखी होकर गाँधी
जी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त
कर दिया फलतः देशबन्धु चितरंजन
दास और मोतीलाल नेहरू और
विट्ठलभाई पटेल ने एक स्वराज
दल का गठन किया
असहयोग
आन्दोलन
खिलाफत
आन्दोलन
होमरूल
आन्दोलन
चम्पारण
सत्याग्रह आन्दोलन
बिहार
में मजदूर आन्दोलन
बिहार
में किसानों के समान मजदूरी
का भी संगठन बना । बिहार में
औद्योगिक मजदूर वर्ग ने मजदूर
आन्दोलन चलाया । १९१७ ई.
में
बोल्शेविक क्रान्ति एवं
साम्यवादी विचारों में परिवर्तन
के साथ-साथ
प्रचार-प्रसार
हुआ । दिसम्बर,
१९१९
ई.
में
प्रथम बार जमालपुर (मुंगेर)
में
मजदूरों की हड़ताल प्रारम्भ
हुई । १९२० ई.
में
एस.
एन.
हैदर
एवं व्यायकेश चक्रवर्ती के
मार्गदर्शन में जमशेदपुर
वर्क्स एसोसिएशन बनाया गया
। १९२५ ई.
और
१९२८ ई.
के
बीच मजदूर संगठन की स्थापना
हुई । सुभाषचन्द्र बोस,
अब्दुल
बारी,
जयप्रकाश
नारायण इसके प्रमुख नेता थे
।
बिहार
में संवैधानिक प्रगति और द्वैध
शासन प्रणाली
भारतीय
राष्ट्रीय आन्दोलन एवं नव
बिहार प्रान्त के रूप में गठन
रेग्यूलेटिंग
एक्ट १७७४ ई.
के
तहत बिहार के लिए एक प्रान्तीय
सभा का गठन किया तथा १८६५ ई.
में
पटना और गया के जिले अलग-अलग
किये गये ।
जून,
१९४५
में सरकार ने राजनैतिक गतिरोध
को दूर करते हुए एक बार फिर
मार्च,
१९४६ ई.
में बिहार
में चुनाव सम्पन्न कराया
गया । विधानसभा की १५२ सीटों
में कांग्रेस को ९८,
मुस्लिम
लीग को ३४ तथा मोमीन को ५ सीटें
मिलीं । ३० मार्च,
१९२६ को
श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व
में कांग्रेस द्वारा अन्तरिम
सरकार का गठन का मुस्लिम लीग
ने प्रतिक्रियात्मक जवाब
दिया । देश भर में दंगा भड़क
उठा जिसका प्रभाव छपरा,
बांका,
जहानाबाद,
मुंगेर
जिलों में था । ६ नवम्बर,
१९४६ को
गाँधी जी ने एक पत्र जारी कर
काफी दुःख प्रकट किया । १९
दिसम्बर,
१९४६ को
सच्चिदानन्द सिंह की अध्यक्षता
में भारतीय संविधान सभा का
अधिवेशन शुरू हुआ । २० फरवरी,
१९४७
में घोषणा की कि ब्रिटिश जून,
१९४८ तक
भारत छोड़ देगा ।
१४ मार्च,
१९४७ को
लार्ड माउण्टबेटन भारत के
वायसराय बनाये गये । जुलाई,
१९४७ को
इण्डियन इंडिपेंडेण्ट बिल
संसद में प्रस्तुत किया । इस
विधान के अनुसार १५ अगस्त,
१९४७ से
भारत में दि स्वतन्त्र औपनिवेशिक
राज्य स्थापित किये जायेंगे
। बिहार के प्रथम गवर्नर
जयरामदास दौलतराम और मुख्यमंत्री
श्रीकृष्ण सिंह बने तथा अनुग्रह
नारायण सिंह बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री सह
वित्त मंत्री बने।
- २६ जनवरी, १९५० को भारतीय संविधान लागू होने के साथ बिहार भारतीय संघ व्यवस्था के अनुरूप एक राज्य में परिवर्तित हो गया ।
- १९४७ ई. के बाद भारत में राज्य पुनर्गठन में बिहार को क श्रेणी का राज्य घोषित किया लेकिन १९५६ ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत इसे पुनः राज्य के वर्ग । में रखा गया ।
- १५ नवम्बर, २००१ को बिहार को विभाजित कर झारखण्ड और बिहार कर दिया गया ।
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