- बाढ़ पीड़ितों की होली
बना के क्यूं बिगाड़ा, बिगाड़ा रे नसीबा उपर वाले.....................होली के फुहार में पूरी दूनियां सराबोर है। क्या यह सच है ? जिधर देखता हूं उधर सबके चेहरे पर सवालिया निशान है। होली मनेगी पर वैसे नही। जैसे हर बार मनती है। आप जानते हो क्यूं.....सबसे पहले तो विश्व आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है। देश के अंदर हुए मुम्बई बम कांड हो या फिर कोई और बड़ी घटना। इन सब के अलावे दर्द में डुबो कर रख दिया है। तो वो है बिहार में आई विभत्स कोसी जैसी बाढ़ । जिसने 25 लाख लोगों से ज्यादा को घर से बेघर कर उनके तकदीर की तस्वीर बदल कर रख दिया है। इन अभागों को दो जून की रोटी को जहां लाले पड़े हैं। तन पर फटे कपड़े हैं।लालायित आंखों से मासूम टकटकी लगाए हुए है। दूसरों की होली देखकर रात को बंद आंखों में ये लोग भी होली खेल लेंगे।
होली रंगों का त्योहार है। पर कोसी की त्रासदी झेल रहे उन लाखों लोगों को देखकर हृदय कांप उठता है। शायद इनके फिके पड़े रंग इन्हें बीते कल के सपने जरूर रूला जाऐंगे। कल तक ये भी पैसे कमाकर अपने बच्चों और घर वालों के सपने सजाते थे। आज तो इन्हें रहने को घर नसीब नहीं, तन ढकने को कपड़े नहीं है। तो अपनी बिटीया के लग्न में भी हाथ पीले नहीं हो सके। दर-दर की ठोकर खाते इनके अरमान राहों में रह गए। मुम्बई से बिहारियों को खदेड़ा गया पर ये कोसी के मारे अपनी मौत की परवाह किए वगैर कमाने चले गए। कहते हैं-वैसे भी मर रहे थे तो क्या फर्क पड़ जाता है हमारी जिन्दगी से। अरे! हम गरीब लोग उस मोमबती की तरह हैं जो कुछ पल जलकर फिर बुझ जाते है। बस बनकर रह जाते हैं, तो बड़ी-बड़ी महफिलों के उदाहरण या फिर आलिशान बंग्ले के बदनुमा दाग। देश में राजनीति भी इन्हीं को टारगेट बनाकर होती है। खैर ! छोड़ो ये हंसने-बोलने खुशीयां मनाने का वक्त है। हर कोई किसी-न-किसी दर्द में जुझ रहा है। आओ हम सब जाति, धर्म ,कौम को भुलाकर मानवता की होली मनाऐं। जरूर मैं से अच्छा हम सब की होली होगी। जिनके घरों में कुछ नहीं तो हमारे घर में है मिल बांटकर खाऐं। क्योंकि सुख-दुख दोनो सिक्के के दो पहलू हैं। ये सबके साथ होना है। होली की ढेरों शुभकामनाओं के साथ................
Saturday, March 14, 2009
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- Distinctive
- HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....
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