विदेशी के बहाने भारत की प्रतिभा को आॅस्कर
आज हमारे पास आॅस्कर भले हीं आ गया हो लेकिन इसे पाकर जहां पूरा देश खुश है।हमें भी बहुत खुशी हो रही है।पर मुझे एक बात साल रहा है वो ये कि-स्लमडाॅग मिलियनेयर सही मायनें में सक्सेस की स्टोरी है।फर्श से अर्ष तक जा पहुंचे लोगों के लिए तो एक नई उड़ान मिल गई।लेकिन जरा सोचिए कि फिर किसी विदेशी के बनाए फिॅल्म को हीं इस बार भी आॅस्कर की श्रेणी में रखा गया है।यह सच है कि ये फिल्म मिल का पत्थर साबित हुआ।भारतीय फिल्म जगत के बनवास को तोड़ा है।कितनों के आंखों में उम्मिद के किरण सजा रखी है।उन सच्चाइयों को उजागर किया जिन्हें जानकर भी लोग आज तक इस स्लम एरिया के बच्चों के जजबे को नहीं जानने का प्रयास किया।एक मिथ्या टूट गई।इस फिल्म ने नया इतिहास गढ़ा। आखिर कब तक इन भारतीयों को सम्मान के बदले इनकी प्रतिभाओं को दर किनार किया जाएगा ।देखो न इनकी प्रतिभा जमीन से उठकर आसमान तक जा पहुंची। आॅस्कर अवार्ड देने वालों लोगों पर फिर एक बार ये सवला उठता है कि अगर कोई विदेशी निर्देशक नहीं होता तो शायद इस अवार्ड से भी वंचित रह जाते।
एक अच्छी सोच..मुझे भी लगता है की अगर कोई भारतीय निर्देशक होता तो शायद ही हमें ऑस्कर मिल पता..
ReplyDeleteस्वागत है..लिखते रहिये...
or kya to, narayan narayan
ReplyDeleteक्या अन्दाज है-जगत पर आपका स्वागत श्यामसखा श्याम
ReplyDeleteअच्छा लेख.........
ReplyDeleteआप लोगोें के इस स्नेह से मन प्रभावित हुआ।आप जैसे लोग सचमुच एक नई दुनियां और नई उड़ान के द्योतक हैं। आगे हम सब का सफर जारी रहेगा। जो अपनी खुशियों को आपस में बांटेंगे।अपन लेखनी के सहारे...........आप लोगों को मुरली के ब्लाॅग पर आने के लिए फिर एक बार स्वागत है..........
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