कैसे मनेगी हमारी होली
कोसी मईया
तू कितनी निर्दयी हो
हमने
तेरा क्या बिगाड़ा था ?
जो जीते जी मार गई.
आंखों में रह गए
अधुरे सपने,
तो क्या
तकदीर में दर्द
लिखना जरूरी था ?
मां !
तुझे ये क्या सूझी
बच्चों की गलती
और पूरा आशियाना हीं
उजाड़ डाली.
अब तुम्हीं बताओ
कैसे मनेगी
हम अभागों की होली
कौन ढकेगा मेरे तन को?
कौन भरेगा जीवन में रंग?
कौन उठाएगा
मेरी बिटिया की डोली,
अगर डोली
वक्त पर न उठी तो
यह होली रंगहीन होगी,
खाने स्वादहीन होंगे
बिटिया किसी मनचलों की
ग्रास बनेगी,
अरे !
अब अफसोस कैसा
सोचो !
कैसे बीतेगी
मेरी खुशीयों की होली.
---मुरली मनोहर श्रीवास्तव
9430623520/9234929710
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