Saturday, March 14, 2009

मत छिनों मेरी आजादी......

अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस भले हीं आज मनाया जा रहा है। महिला उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है। लेकिन आज भी ये समाज से अपने संघर्ष की लड़ाई लड़ रही हैं। महलाओं का जीवन शुरूआती दौर से अपने जीवन-संघर्ष की गाथाओं के लिए काफी जददोजहद करना पड़ा। राजनैतिक गलियारे में इन्हें भुनाने की मुहिम तेज हो गई है। वहीं इनकी दुर्दशा अभी भी जारी है। इसके लिए कौन है जिम्मेदार ? वैसे इनके संघर्ष की गाथा फ्रांस में महिला शिक्षा अधिकार की मांग हुई। तो 1792 में ब्रिटेन में ए विंडिकेशन आॅफ वीमेन, महिला पर पहली पुस्तक छपी थी। जबकि 1857 में 8 मार्च को हीं मजदूरिन महिलाओं ने पुरूषों के समान वेतन की मांग की लड़ाई लड़ी थी। इतना के बाद भी इनके संघर्ष का दौर जारी है। इनके साथ आज भी लोगों का नजरिया कुछ वैसा हीं शोषण वाला हीं है।
अपनी पहचान बनाने में महिलाओं ने कोई कसर नहीं छोड़ा। मगर इनके साथ वही होता है जो पहले से होता आया है। इनको इनका अधिकार मिल गया। लेकिन अपने अधिकार मिलने के बाद भी अपनी समस्या और समाजिक उत्पीड़न की शिकार हो रही हैं। चाहें वह दहेज हत्या कांड हो ,भ्रूण हत्या हो या फिर किसी रूप में इनका शोषण बदस्तुर जारी है। इन्हें तालाश है तो इन्हें अधिकार मिलने के साथ-साथ इन्हें समझने वालों की। जाने कब इनकी यह मान्यता पूरी होगी। या इसी तरह से इनके साथ महिला दिवस के रूप में छलावा होता रहेगा। यह सवाल हमेशा से समाज में एक सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
आइये इस पर हर लोग एक संकल्प लें दहेज हत्या, भ्रूण हत्या और इनके शोषण जैसी अमानवीय कुकृत्य को रोकना होगी। नहीं तो जगत जननी हीं जब नहीं रहेगी तो सृष्टि की रचना को भी ग्रहण लग जाऐंगे। माॅं की ममता, बहन का प्यार पत्नी के आंचल सब तार-तार हो जाऐंगे। वक्त है इनहे और इनकी भावना को समझने का.........

No comments:

Post a Comment

About Me

My photo
HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....