नापाक इरादे
( मत खेलो खूनी खेल )
कभी मुम्बई , कभी दिल्ली, कभी जयपुर... तो इस बार काशी रक्तरंजीत हुई....मनहुस इरादे वाले भेड़िये आखिरकार कब तक खेलते रहेंगे खून की होली....हर बार दहशत के नाम पर होती है मौत सिर्फ मौत....लेकिन इन आतंकियों पर शर्म आती है...कि समाज में कुछ करने की क्षमता नहीं है, तभी तो गोली, बारुद से लोगों की जान लेकर दहशत फैलाते हैं.....
वाराणसी के काशी में कितने प्यार से मंदिर के चौखट पर मत्था टेकने आए थे....पर इन अभागों को क्या मालूम इनकी किस्मत में मौत की इबारत लिखी गई है....खबर शहर में आग की तरह फैल गई...चारो ओर कोहराम मच गया...लोग अपनों को ढुंढ़ने डरे-सहमे भागे जा रहे हैं....मौत की परवाह किए बिना एक्सक्लूसिव कि फिराक में पत्रकार दौड़ रहे हैं...तो पुलिस अपनी वही पुरानी हथियारों के साथ गस्त लगाती है....सभी का ध्यान इधर बंट गया....तब तक कहीं और दिल को दहलाने वाली घटना...........
रुको..थोड़ी देर समझो....तुम्हें क्या चाहिए..नोट..अगर हां तो हाथों में मेंहदी नही रचाई है तुने...आओ मेहनत से कमाओ फिर उसका मजा ही कुछ और है....तू तो उस सुखे पेड़ की तरह हो, जो किसी के काम आ ही नहीं सकते...अपने आतंक मचाने की फिराक में अपनी पीढ़ी-दर-पीढ़ी को बर्बाद कर देते हो...खैर जैसी तुम्हारी मर्जी....कई बात यह भी सुनने में आया कि दबंगों के आतंक से इस रास्ते को अख्तियार करते हैं...पर मैं इसे नहीं मानता...इस तरह के घृणित काम बुजदिल लोग ही कर सकते हैं...समाज के निचले पादान पर जनमे लोग भी अपनी मेहनत, लगन से बहुत कुछ बदलते हैं....
अब वाराणसी की घटना को ही लिजीए....घटना के बाद पूरे देश में हाई अलर्ट है । लोगों से सतर्क रहने व किसी प्रकार का संदेह होने पर पुलिस को सूचित करने की अपील की जाती है.... रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, होटल, धार्मिक..स्थानों पर सुरक्षा बढा दी जाती है । हालांकि कई ऐसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को छोड़ दिया जाता है जो सुरक्षा के लिहाज से अति संवेदनशील हैं ।
इस नासूर को खत्म करने के लिए...हमें इसकी तह में जाना होगा...हर शहर में इंसान की भेष में बैठे भेड़िये को पहचानना होगा...चंद रुपयों के लालच में अपना इमान तो बेचते ही हैं....अपने भविष्य को भी ताक पर रख देते हैं..........एक बार एसी घटना को अंजाम देने वाले तुम सोचो..कि क्या कर रहे हो.....अरे तू जिंदगी तो किसी कि ले सकता है...पर तेरे अंदर वो क्षमता कहां जो किसी को जिंदगी दे सको.....मुंह चोरों की तरह जीते हो....मां की गोद को कलंकित करते हो.....घर की उन दिवारों को दागदार कर देते हो जहां की दिवारें भी तुम्हें धिक्कारती है.....धिक्क्कारती रहेंगी.....
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