Thursday, December 9, 2010


हाथियों का उत्पात


झारखंड में आज भी हाथियों का आतंक जारी है... सिमडेगा में बौराए हाथियों ने एक ग्रामीण की जान लेते हुए कई घरों को गिरा दिया। यही कहानी गिरिडीह में भी दुहराई गई। यहां भी हाथियों ने एक आदमी को कुचल कर मार दिया जबकि कई घरों को नष्ट कर दिया।

हाथियों ने तबाही मचा रखी है। हाल ये है कि पिछले चार महीने में हाथियों ने अकेले सिमडेगा में 12 लोगों को मौत की नींद सुला दी है। गिरिडीह में भी कम से कम तीन लोगों की मौत हाथियों के कहर से हो चुकी है। जामताड़ा में तो हाथियों का निशाना एक रेंजर ही बन गए। तबाही का ये मंजर यहीं नहीं रुका। इन हाथियों के पैरों तले हजारों एकड.की फसल को रौंदी जा चुकी है जबकि सैकड़ों घर भी गिराए जा चुके हैं। लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी कोई ठोस प्रशासनिक कार्रवाई होने से लोगों की नाराजगी सड़क पर उतर आई। लोग इस तरह की घटनाओं के लिए वन विभाग की लापरवाही को ही कारण मानते है

हालांकि वन विभाग हाथियों के उत्पात के लिए लोगों को ही जिम्मेदार ठहराता है। वन विभाग के लोगों का कहना है कि हाथियों के सुरक्षित अभयारण्य में लोगों की दखलअंदाजी ही उन्हें गांवों की तरफ रुख करने को मजबूर करती है। हाथियों के प्राकृतिक प्रवास केन्द्रों में भोजन की कमी के कारण हाथी गांव की तरफ निकल जाते हैं। वहां भी जब खाना नहीं मिलता तो उनकी तबाही शुरु हो जाती है।


वन्य जीवों के लिए केन्द्र की तरफ से करोड़ों की सहायता मिलती है जबकि राज्य सरकार ने भी उनके लिए एक अलग फंड बना रखा है। लेकिन इसके बावजूद उनकों भोजन मिल पाना कहीं कही व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। साथ ही लोगों को भी कहीं कहीं ये सोचना होगा कि वे सिर्फ हाथियों को बल्कि अन्य वन्य जीवों को उनके घरों में चैन से रहने दें तभी शायद इंसान भी अपने घर में चैन से रह पाएंगे।


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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....