ये कैसी बेबसी
( यात्रा बनती मौत )
---मुरली मनोहर श्रीवास्तव
रुको..पकड़ो...वो देखो भागा जा रहा है.....उसी ने धक्का मारी है....यह कहते सुनते वो फरार हो गया.....फिर पीछे मुड़कर देखा तो सड़क पर खुन से लतपथ लोग कराह रहे हैं....कोई उनका हाल पुछता है....तो कोई घर वालों का पता पुछ रहा है....इतने में किसी के प्राण फखेरु उड़ गए.....तो किसी को बिगड़ती हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया....
वक्त बीता...सबकी निगाहें इस घटना पर दौड़ी...आखिर कैसे हुई यह घटना....किसकी गलती से हुई यह दुर्घटना....लोगों में कौतुहल का विषय बन जाता है....आखिरकार पता चलता है कि गाड़ी की तेज रफ्तार से दुर्घटना हुई....ओवरटेक की चक्कर में....या फिर युवाओं की बाईक राइडिंग की वजह कहें....लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण मुझे शराब के नशे में धुत होकर गाडियों को रफ्तार देना....जैसी गलतियों का बस एक ही रिजल्ट निकलता है...यात्रा के नाम पर मौत और सिर्फ मौत....
घर में मातम पसर गया....कहीं घर का इकलौता बेटा....तो कहीं किसी का सुहाग उजड़ गया...हाय रे सड़क दुर्घटना....कितनों को और निगलेगी...सुबह होते हीं पहली खबर होती है....सड़क दुर्घटना में सात की मौत...आए दिन होने वाली इस तरह की घटनाओं के लोग आदि हो गए हैं.....पर सवाल यह उठता है कि इस दुर्घटना के पीछे के कारण क्या है....सड़कों और डिवाईडर का सही नहीं होना........तो सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करना भी घटना को अंजाम देता है.....
समय रहते चेतने की जरुरत है....भाग-दौड़ भरी जिंदगी में समय से पहले मंजिल पर पहुंचने की चाहत ने कितनों को अपंग बना दिया तो कितने घरों को उजाड़कर रख दिया...रह गई तो बेबसी...यतिमों का एक बड़ा कुनबा...बेरंग महलों जैसी बेवा महिलाएं अपने कंधों पर अपने पूरे परिवार का बोझ ढ़ोने को विवश हो जाती हैं....और इसका एक बड़ा कारण है....दुर्घटना में मौत का होना....
बेतरतीब चलाते गाड़ियों के बादशाहों से पुछो तो एक ही बात उनकी जुबान पर होती है...........जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है....तेरे दामन में बता मौत से ज्यादा क्या है.....पर जब हो जाए कोई अपसगुन तो......सब कुछ बदलकर रह जाता है.....आईये ऐसे मुद्दे को ध्यान में रखते हुए...अपने को संभालने की कोशिश करें...कोई किसी को सलाह दे....इससे बेहतर होगा कि खुद ही अमल करें....शायद आए दिन होनें वाली दुर्घटना पर कुछ रोक लग जाए.....
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