विधायक का अनोखा शपथ
(कानून को ताख पर रखकर विधायक ने शपथ को बनाया मजाक)
---मुरली मनोहर श्रीवास्तव
विधायक की शपथ तो बहुत लोग जानते हैं...देखते हैं...मगर एक अनोखा शपथ बिहार में देखने को मिला...आखिर क्या है...कैसा है ये शपथ....तो हम विधायक जी की बातों को ही सामने रख देते हैं.....शक्ति जनता ने िदया तो शपथ जनता के सामने लेने वाले हैं बिहार के औरंगाबाद के ओबरा के नवनिर्वाचित विधायक सोमप्रकाश......ये जनाब ओबरा थाना में दारोगा थे.....पर इनके उपर नेता बनने का शौक सवार क्या हुआ....जनाव निर्दलीय चुनाव लड़ गए..... विधायक भी बन गए.....इनकी तकदीर तो बदल गई...मगर इस क्षेत्र की जनता की कैसे सेवा करेंगे.....ये तो आपके सामने होगा.....सत्य और न्याय को इस युग में भी जिन्दा मानने वाले इस विधायक ने भले ही अपनी दलील जो भी दी हो...मगर इस पर कानूनविदों की मानें तो अपने विधानसभा क्षेत्र में शपथ लेना विधिसंवत नहीं है...इसे नासमझी कहेंगे या फिर सोची समझी कोई ड्रामेबाजी.... विधायक की आगे दलील है कि जनता ने जिताया है तो आम जनता के सामने ही शपथ लेना चाहिए.....यही ओरिजनल है....यह विधायक जी की भूल है....या लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का नायाब तरीका......वैसे विधानसभा में लिया गया शपथ पूरे राज्य की जनता को साक्षी मानकर लिया गया माना जाता है....
राजनीति एक मजाक बनकर रह गई है....अपनी हरकत से हर बार चर्चा में रहने वाले ऐसे विधायक कानून को अपने हाथों में ले लिए.....आखिर इस विधानसभा क्षेत्र की जनता का भविष्य का क्या होगा....राजनीति कोई खिलौना नहीं.....कोई मजाक नहीं...बल्कि यह आम अवाम के लिए संग्राम है...किसी भी क्षेत्र के विधायक के लिए निर्वाचित होना एक चुनौती है.....लोगों के प्रति आस्था है.....जनप्रतिनिधि समाज सेवा है, समर्पण है.....पर ऐसे नेता जी को सही मायने में सामाजिक प्रतिष्ठा को कायम रखने वाला कहा जाए....या फिर इसे जज्बात में उठाया गया कदम.......
बिहार में इस तरह का मजाक कोई नई बात नहीं....कहीं नेता जी नर्तकियों के साथ नाचते हैं..तो कहीं नर्तकियों को नचाकर भीड़ जुटाने में मशगुल रहते हैं.....भलगर गीत....भलगर ड्रेस में नाच तो सुना था....मगर इस तरह किया गया काम को क्या कहेंगे......यहां एक सवाल खड़ा करता है.......
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