Wednesday, January 30, 2013


              ….................और ब्रह्मेश्वर मुखिया नहीं रहे

आराः एक जून की की वो सुबह करीब 4.30 बजे का समय शहर अभी ठीक से जग भी नहीं पाया था की नवादा थाना इलाके के कतीरा से उठी एक चिंगारी ने हमेशा शांत रहने वाले आरा शहर को एकाएक नजाने किसकी नजर लगी और धधक उठा पूरा आरा शहर, लोग कुछ समझ पाते तब तक काफी देर हो चुकी थी और इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं था रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रम्हेश्वर सिंह उर्फ मुखिया जी की सुबह के वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई और उसके बाद जो भी हुआ वो सभी जानते है हालाँकि अब एक ही सवाल सभी के जेहन में है की आखिर किसने की मुखिया की हत्या या किसके इशारे पर की गई उनकी हत्या इस सवाल का जवाब किसी के पास अभी नहीं है 

सितम्बर 1994 का वो महिना जब आरा के एक गुप्त स्थान पर जिले के 10 चर्चित लोगों जिनमें की कई अब स्वर्ग सिधार गये हैं उनकी एक बैठक में तब के ज़माने में हो रहे हिंसा और अत्याचार के खिलाफ और तब के नक्सली संगठन माले के द्वारा ऊंची जाती के लोगों पर किये जा रहे अत्याचार के खिलाफ की गई जिसमें की भोजपुर जिले के खोपिरा के तब के मुखिया रहे ब्रम्हेश्वर सिंह एकवारी के किसान भोला सिंह सन्देश थाना के बर्तियर के कांग्रेसी नेता रहे जनार्दन राय तिर्थकौल के प्रो देंवेंद्र सिंह भटौली के युगेश्वर सिंह बेलाउर के वकील चौधरी धन्छुहा के कमलाकांत शर्मा और सन्देश खंदौल के तब के मुखिया अवधेश सिंह ने मिलकर एक संगठन बनाया जिसको बाद में रणवीर सेना के नाम से जाना जाने लगा और तब से लेकर आज तक
सके सुप्रीमो रहे थे ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया उस समय के किसानों ने अपने ला
सेंसी हथियारों के साथ लड़ाई शुरु की और सबसे पहले अप्रैल में बेलाउर से सटे गांव सरथुआ में 5 दलितों की हत्या के साथ शुरु हुआ यह संघर्ष २९ अगस्त २००२ को मुखिया जी की पटना में गिरफ़्तारी से बंद हुआ १९९ से लेकर २००२ तब इश लड़ाई में कुल २७७ लोगो की हत्या हुई थी और मुखिया जी के ऊपर २२ मामले दर्ज थे जिनमे उनको १६ मामलो में रिहा हो गये थे और ६ मामले में जमानत पर थे ८ जुलाई २०११ आरा जेल से छुटने के बाद से वे लगातार किसानो को फिर से संगठित करने में लगे थे जिश्के कारन वो अपने घर पर जयादा समय नहीं दे पाते थे हालाँकि जयादा सक्रिय हुए वो ५ मई के बाद जब उन्होंने किसानो को संगठित करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय रास्त्र वादी कीसान संगठन की स्थापना की और उश्के माध्यम से वे अब जयादा सक्रिय दिख रहे थे तभी तो वे अप्रेल के महीने में आरा सम्हार्नालय पर किसानोकी  मांग को लेकर धरने पर बैठे थे और हत्या से एक दीन पहले उन्होंने एक बैठक की थी और आगे की रन निति पर बिचार किया था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था हालाँकि पिचले २४ मई को सहर के एकवारी में हुई एक महत्वा पूर्ण बैठक में उन्होंने सरकार से अब आर पार की लड़ाई लड़ने की बात कही थी तभी तो उनकी लोकप्रियता लगातार बढाती जा रही थी पिचले अगर एक महीने की बात करे तो वो जयादा ही सक्रिय दिख रहे थे  तभी तो लोग उनकी बद्हतो लोक प्रियता  se घबडा गये थे कयोंकि अब उनके संगठन के लोग इश बात की सवीकार कर रहे है की आखिर उश्के कारन तो कही उनकी हत्या तो नहीं की गई हालाँकि उनके सबसे करीब रहे और हर समय चाहे वो जेल में रहे यह भूमिगत उनका साथ देने वाले और संगठन बनाने में अपनी महत्वा पूर्ण भुमिक निभाने वाले सक्रिय सदस्य देवेन्द्र सिंह की माने तो वो हत्या को लेकर कई सवाल खड़ा कर रहे है उनका कहना है की सरकार के इशारे पर यानि सूबे के मुखिया नितीश कुमार के इशारे पर इनकी हत्या की गई है और येषा नहीं है की एक मुखिया के मर जाने से उनके सपनो को साकार नहीं कियाजायेगा बल्कि और जोर शोर से संगठन इश्मे लगाई है और एक बरमेश्वर के मारने के बाद कई बरमेश्वर पैदा भी हो गये है और आगे वो बताते है की किसानो की हक़ की लड़ाई लड़ना और उनके उपज का उचित मूल्य दिलवाना उनकी प्राथमिकता में सामिल था तभी वो सभी को नागवार गुजर रहा था हालाँकि उनका कहना है की इश्के कारन संगठन कमजोर नहीं हुआ है बल्कि और मजबूती से हमलोग लड़ाई लड़ेंगे और इश्को लेकर एक बैठक आगामी ७ जून को बुलाई गई है जिश्मे नेता का चुनाव करके आगे की लड़ाई लड़ी जाये गी आगे उनकी हत्या के के पीछे वे कई कारन बताते है पहली की उनका माले के साथ पुराणी अदावत थी दूशरा उनके द्वारा मांगी गई सुरक्षा के बाद भी उनको सुरक्षा नहीं ड़ी गई तिश्रा की हमारे समाज के कुछ गलत तबके के लोगो को उनके  द्वारा स्वीकार नहीं करना मामला चाहे जो भी हो वो तो जाचा के बाद ही पाता चलेगा हालाँकि जनप्रतिनिधि भी इश हत्या कांड की जाच सी बी आइ से कराने की बात करते है 

अगर जेल से छुटने के बाद की बात करे तो पिछले फ़रवरी माह में ही उन्होंने अपनी भतीजी की शादी की थी और ८ जुलाई २०११ के बाद लगातार समान्य जीवन बिता रहे थे और हर समय समाज किबेहतरी की बात करने वाले  मुखिया की हत्या के बाद एक ही सवाल है सबके सामने की आखिर किशने मारा मुखिया को कयोंकि उनके द्वारा पिचले २८ अप्रेल को भी आवेदन के माध्यम से सुरक्षा की मांग की गई थी लेकिन फिर  भी नहीं दी गई सुरक्षा इशकी भी जाच की मांग की जा रही है कयोंकि सेना के प्रवक्ता के अनुसार सभी उछु जातियो के हथियार सरकार के कहने पर जमा करा लिए गये है कयोंकि सरकार उनकी चुन चुन कर हत्या करवाना चाहती है हालाँकि आगामी ३ जून की भाभुया और ५ को रोहताश सहित कई स्थानों पर होने वाली थी इनकी बैठक लेकिन इश्के पहले ही इनकी हत्या कर दी गई

हत्या के बाद आज उनके घर पर बिरनागी छाई है और केवल पुलीस के जवान ही दिखाई दे रहे है और कोई कुछा बोलने को तैयार नहीं है सुनी पड़ी है गलिया सुनी पड़ी है सड़के केवल लोगो को इंतजार है तो इशका की कब तक आखिर हो पाता है इश हत्या कांड का खुलाशा हालाँकि इश कांड के अनुसन्धान के लिए एक स्पेसल टीम का गठन किया गया है जिश्मे बिहार के तेज तरार ऑफिसर को सामिल किया गया है और ड़ी ज़ी पी के निर्देश पर एक महीने में इश कांड की जाच कर रिपोर्ट सौप देना है 

हालाँकि इश घटना के बाद काफी उपद्रव हुआ था और इश मामले पर पुलीस कुछ भी बोलने से इंकार कर रही है और जिले का कोई भी पुलीस पदाधिकारी कुछ बोलने से इंकार कर रहा है कयोंकि इश हत्या कांड का पूरा जाच का जिम्मा साहाबाद रेंज के ड़ी आइ ज़ी  अजिताभ कुमार को दिया गया है हालाँकि उनकी हत्या के बाद उनके पुत्र और खोपीरा पंचायत के मुखिया कुमार इन्दुभुसन के अनुसार आरा नवादा थाने में अज्ञात के बिरुद्ध एक मामला  दर्ज किया गया है 


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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....