ऐ कृष्ण तू जिद ना कर आने की
बच्चा है नादान है तू।
द्वापर का भगवान है तू
नही जानता इस धरती को
अभी कलयुग है यहां
है बडी गरीबी यहां
भष्ट्राचार और बेवसी यहां
एक बात बताऊ तुम्हें
इस धरती पर
रहते है जो महलो में
खोली किराये पर लेते है
सरकारी राशन खाकर
गरीब उनके द्नारा कोसे जाते है
महलो के अटारी पर
मैडम देखी जाती है
खुली आसमान में गरीब खडे
साहब राशन दूकानों के
लाईन में मिल जाते है
गरीबो के बच्चे
बिन भोजन के
रातों में सुलाये जाते है।
बैठ एसी कमरो में ये महलों वाले
अपने हिसाब से
इन गरीबो के लिए नियम बनाते है।
नही मिलती इनको राशन पानी
नाम नही है कागज पर
यह बात इन्हें बतलायी जाती है।
देखो कृष्ण
हठ मत कर यहां आने को
कोई नही है अपना यहां
सब धोखा दे जाते है
जिन रिश्तों को
इंसानो ने बनाया
वो रिश्ता उनको धोखा दे जाता है।
ना तो कोई कृष्ण यहां
ना तो सखा सुदामा है
सुन नादान जरा
कलयुग के सखा
खंजर लेकर आते है।
पीठ पर वार नही
सिने में खंजर दे जाते है।
मौत नही होती खंजर से
दर्द पूरी उम्र दे जाते है।
भनक ना होगी कानो को
धड से सर कलम कर जाते है
बिन खून बहाये कत्ल यहां
नरसिग्धा भी यहां शर्मायेगा
वो धर्म करने यहां आया था
पर यहां धर्म के नाम पर खून बहाये जाते है
जिद ना कर तू आने की
तेरे काम की बात बताऊ जरा
तू तो है दिल फेक यहां
ना तो कोई मीरा है
ना तो कोई राधा है
यहां तो रुकमणी भी कृष्ण बदल देती है
बच्चू जिद मतकर
सिने से दिल को चुराते है
............................तरुण ठाकुर
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