लालच ने ली दोनों भाईयों की जान
कहते हैं कि जब आदमी की आंखों पर लालच का पर्दा पर जाए तो उसे कुछ भी नहीं सूझता है.......ऐसा ही पर्दा परा था दरभंगा के घनश्यामपुर गांव के दो भाइयों पर......... थोड़ी सी जमीन के लिए दोनों बन गये एक दूसरे के खून के प्यासे....... दोनांे ने एक दूसरे को लाठी से इतना पीटा कि दोनों की मौत हो गयी.......देहरी पर पड़ी ये लाशें मोहन और ललित यादव की हैं........ दोनों ही सहोदर भाई थे...... साथ-साथ पले बढ़े......... बचपन में एक के पांव में कांटा चुभता था तो दर्द दूसरे को महसूस होता था...... पर जवानी के चढ़ते ही आंखों पर लालच का ऐसा पर्दा चढ़ा कि दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे बन बैठे.........और नतीजा सामने है......... खून के प्यासे बने दोनों भाइयों के मौत की खबर जंगल की आग की तरह आस-पास फैल गयी...... पहले तो किसी को यकीन भी नहीं हुआ कि खून का रिश्ता इतना कमजोर निकलेगा.....स्वार्थ और लालच ने इंसानी भरोसे की दीवार को इतना कमजोर बना दिया है कि उसे ढहने में पल भर नहीं लगता........
Saturday, April 18, 2009
friendship
पानी लाओःआॅपरेशन कराओएनएमसीएच में पानी के लिए हाहाकार मचा है.......तो इस समय पानी लाओ आॅपरेशन कराओ के जुमले हकिकत नजर आ रहे हैं। मरीजों को ईलाज के लिए लाना पड़ रहा है बाहर से पानी।ई है पटना का एनएमसीएच अस्पताल....जहां पिछले 15 दिनों से पानी के लिए हाहाकार मची हुई है। जिनको भी अपने परिजनों का आॅपरेशन कराना है तो उनको पानी लाना पड़ता है। काहें कि डाक्टरों के आपरेशन करने के बाद हाथ धोने तक को पानी नही होता है.......इतना हीं नहीं आॅपरेशन थियेटर का काम पूरी तरह से बाधित पड़ी हुइ्र है......इसमें काम करने वाले कर्मचारियों को पीने के लिए पानी तक घर से लानी पड़ती है।....इसीलिए पानी लाओ आॅपरेशन कराओ....वाली बात आम हो गई है......अस्पताल में पानी के लिए माकूल उपाय को लेकर .....बोरिेंग तक लगाए गए....बावजूद इसके....इस अस्पताल में पानी की समस्या ज्यों कि त्योें बनी हुई है।जल हीं जीवन है.....और गरमी का दिन हो तब क्या कहने.....कि पानी का केतना महत्व है......ई बाल्टी में पानी को भर कर ले जा रहा इंसान को देखिए........ई आए हैं अपने बेटे का ईलाज करवाने.....लेकिन आफपरेशन कराने के लिए अस्पताल परिसर के चापाकल से पानी ले जाना पड़ रहा है......कभी कभार तो पानी के लिए मरीजों के परिजन अपने में उलझकर मारपीट तक कर लेते हैं।स्वास्थ्य मंत्री का पदभार ग्रहण करने के साथ हीं.......स्वास्थ्य मंत्री नन्द किशोर यादव ने.....एनएमसीएच का निरीक्षण किया था......और वादा किया था कि यहां कि सबसे बड़ी पानी की समस्या को दूर की जाएगी.....पर उनके गद्दी नशीन हुए तीन साल हो गए.....इसके बाद भी इस अस्पताल में पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है....और उनके वादे ढाक के तीन पात साबित होकर रह गए हैं।ई पानी की समस्या कौनों अस्पताल का हीं नहीं है......बल्कि इस कैंपस में बने स्टाॅफ क्वार्टर में भी पानी के त्राहि मचे हैं...अस्पताल परिसर में बने क्वार्टरों में लगभग 40 हजार लोगों की आबादी है........पीएचईडी ने कई बार यहां बने जल मिनार को चालू करने का वादा किया था......तो तीन बोरिंग की स्थापना के बादो चालू नहीं हो सकी हैं....तो लाजिमी है कि पानी की समस्या से लोगों को झेलना पड़ेगा ही।वैसे तो अस्पताल में लोग जिन्दगी मांगने आते है......लेकिन इस समय यहां आए मरीजों को पानी के अभाव में भटकना पड़ता है.....अगर समय से पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया.....स्थिति बद से बद्तर हो जाएगी।----मुरली मनोहर श्रीवास्तव
नक्सली वारदात: आशंका पहले से थी गोलियों की गर्जना....इंसान के खुन से खेलने और अपनी दहशत पैदा कर....नक्सली संगठन अपने पांव पसार रहे है....लेकिन इनके बढ़ते कदम राजनैतिक गलियारे में भी पैठ बनाने की फिराक में है।आशंका तो पहले से हीं थी, कि चुनाव के पहले नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देंगे.....लेकिन किसी ने भी ई नहीं सोचा था कि उनकी हिम्मत इतनी बढ़ जाएगी, कि वो बीएसएफ कैंप पर हमला कर देंगे......जबकि बीएसएफ कैंप पर हमले का साहस आतंकवादी समूह भी नहीं कर पाते हैं.....केन्द्रीय खुफिया एजेंसी ने नक्सलियों द्वारा चुनाव बहिष्कार घोषणा पत्र को लेकर हमला की आशंका जताई थी।नक्सलियों का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है......इस घटना को अंजाम देने से पहले काराकाट के जदयू उम्मीदवार महाबली सिंह का प्रचार वाहन फूंककर और जहानाबाद में एक उम्मीदवार रामाश्रय सिंह के घर पर हमला कर नक्सलियों ने जता दिया था कि चुनाव में उनकी कड़ी चुनौती झेलनी होगी। नक्सली आंदोलन के इतिहास में यह पहला मौका था......जब किसी संगठन ने बहिष्कार के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया था।दरअसल जिस रोहतास में बीएसएफ कैंप पर हमला हुआ है......उसे नक्सलियों के रेड काॅरिडोर का बड़ा गढ़ माना जाता है। खुफिया एजेंसियां तो यहां तक कहती हैं कि कैमूर के रास्ते नक्सली मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ के अलावे आंध्र प्रदेश तक सफर तय करते हैं.......इस रास्ते को भी रेड काॅरिडोर का अंग कहा जाता है......इसी क्षेत्र में पीपुल्सवार और एमसीसी जैसे संगठनों के एक होने के बाद इन इलाकों में इनकी ताकत काफी बढ़ गई है।पिछले 60 वर्षों में इस देश के लोगांे ने केन्द्र और प्रांत की सरकारों को बदला है.......लेकिन इनकी हालत नहीं बदली.......और इस तरह से नक्सलियों के बढ़ते हौसले सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती जरुर है।-----मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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- Distinctive
- HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....